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मीडिया में हाथरस रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टली

नई दिल्ली, 05 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म अखबारों में हाथरस रेप पीड़िता की पहचान का खुलासा करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टाल दिया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षकारों को जवाब देने के लिए और समय देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट की नोटिस सभी पक्षकारों को तामील नहीं हुई है, इसलिए उन्हें जवाब देने के लिए समय दिया जाता है। पिछले 8 जनवरी को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, अखबारों और कुछ सोशल मीडिया साइट्स को नोटिस जारी किया था। याचिका मनन नरुला ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील जीवेश तिवारी ने कहा कि कुछ मीडिया संस्थान और सोशल मीडिया में रेप पीड़िता की पहचान को उजागर किया गया है। ऐसा कर इन मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया साईट्स ने भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए का उल्लंघन किया है। याचिका में कहा गया है कि रेप पीड़िता की पहचान को उजागर कर निपुण सक्सेना के केस में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया इत्यादि पर पीड़िता का नाम या पहचान उजागर नहीं करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था। यहां तक कि अगर पीड़िता की मौत हो गई हो तब भी पीड़िता की नजदीकी रिश्तेदार या सेशंस जज की अनुमति के बिना नाम या पहचान उजागर नहीं किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशानिर्देश में कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376ए, 376बी, 376सी, 376डी, 376डीए या 376ई के साथ साथ पॉक्सो एक्ट से संबंधित एफआईआर भी सार्वजनिक नहीं किए जा सकते हैं। दिशानिर्देश में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पीड़िता से संबंधित सभी दस्तावेज सीलबंद कवर में रखेंगे जिसमें उसका नाम या पहचान उजागर हो रहा हो। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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