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Gyan Ganga: हनुमानजी के बिना प्रभु श्रीराम का दरबार कदापि पूर्ण नहीं होता
विगत अंकों में हमने पढ़ा कि श्री हनुमान जी जीव और ब्रह्म के मिलन को प्रतिक्षण तत्पर हैं और सुग्रीव श्री हनुमान जी पर उनके सामर्थ्य व विवेक पर पूर्ण विश्वास करते हैं। सज्जनों रामायण के अंदर वर्णित यह भिन्न−भिन्न प्रसंग जो हम पढ़ते अथवा सुनते हैं ऐसा नहीं कि क्लिक »-www.prabhasakshi.com