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पाकिस्तानी अखबारों सेः सत्तापक्ष और विपक्ष में विभिन्न मुद्दों पर जारी रस्साकशी ने बटोरी सुर्खियां

- फिल्म स्टार दिलीप कुमार और राज कपूर के घरों को म्यूजियम बनाने की कोशिशों पर मचा हंगामा - गोल्डन टेंपल मामले की बरसी पर लंदन समेत सरहद उस पार हुए प्रदर्शनों को दिया महत्व - रोजनामा पाकिस्तान ने ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार की तबीयत खराब होने की खबर की प्रकाशित नई दिल्ली, 07 जून (हि.स.)। पाकिस्तान से सोमवार को प्रकाशित अधिकांश समाचारपत्रों ने एक बार फिर से केंद्र सरकार और सिंध प्रांत की सरकार के बीच बजट में नजरअंदाज किए जाने के मामले को लेकर पैदा हुए टकराव की खबरें प्रकाशित की हैं। अखबारों ने लिखा है कि सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकारों ने पिछले 7 सालों में सिंध के लिए कोई नई योजना नहीं दी है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार लगातार सिंध को नजरअंदाज कर रही है। अखबार का कहना है कि मुख्यमंत्री के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री असद उमर ने कहा है कि हम जायदाद बनाने के लिए पैसे नहीं दे सकते। केंद्र सिंध की जनता के लिए सीधे हर संभव मदद कर रही है। अखबारों ने पंजाब असेंबली की बैठक में फिल्म स्टार दिलीप कुमार और राज कपूर के घरों को म्यूजियम बनाने के लिए खरीदे जाने पर हंगामा किए जाने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि सरकार की तरफ से पाकिस्तान के आंदोलन से जुड़े लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। अखबार ने लिखा है कि इस मामले में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य एक साथ सुर में सुर मिलाते हुए दिखाई पड़े हैं। अखबारों ने प्रधानमंत्री इमरान खान का एक बयान छपा है जिसमें उन्होंने कहा है कि करप्शन मुल्क को तबाह कर देता है। कई राजनीतिक दलों के जिम्मेदार और मंत्रियों के जरिए किए गए करप्शन की वजह से मुल्क को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। उनका कहना है कि लोग रिश्वत को टैक्स समझते हैं। अखबारों ने पाकिस्तान के गृहमंत्री का एक बयान छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि इमरान खान खुशकिस्मत हैं कि उन्हें निकम्मी और बेकार अपोजिशन मिली है। उनका कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गोली देकर लंदन चले गए हैं जिस पर इमरान खान को भी दुख है। उनका कहना है कि फिलहाल सरकार के खिलाफ कोई भी अपोजिशन मौजूद नहीं है। अखबारों ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ के जरिए संसद के बजट सत्र के दौरान मिलकर सरकार को घेरने की योजना बनाई है। अखबारों ने लिखा है कि दोनों बड़ी अपोजिशन पार्टियों ने बजट सत्र में सरकार को परेशान करने के लिए आपस में हाथ मिला लिया है। यह सभी खबरें रोजनामा पाकिस्तान, रोजनामा नवाएवक्त, रोजनामा खबरें, रोजनामा औसाफ और रोजनामा जंग ने अपने पहले पन्ने पर छापी है। रोजनामा खबरें ने गोल्डन टेंपल मामले की बरसी पर पाकिस्तान, लंदन सहित भारत में सिख संगठनों के जरिए धरना प्रदर्शन किए जाने की खबरें दी है। अखबार ने लिखा है कि गुरुद्वारा ननकाना साहब में सिखों के जरिए भारत सरकार के खिलाफ गोल्डन टेंपल पर की गई कार्रवाई का विरोध करते हुए नारेबाजी की गई है। अखबार ने लिखा है कि अमृतसर में गोल्डन टेंपल परिसर में भी सिखों के जरिए इस घटना को याद करके रोष व्यक्त किया गया है। अखबार ने लिखा है कि लंदन में भी सिखों ने इस घटना के खिलाफ सड़कों पर आकर धरना प्रदर्शन किया है और नारेबाजी की है। अखबार का कहना है कि सिखों में इस घटना को लेकर के अभी भी खासी नाराजगी पाई जा रही है। रोजनामा पाकिस्तान ने एक खबर दी है जिसमें बताया गया है कि फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार को एक बार फिर सांस लेने में दिक्कत होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अखबार का कहना है कि डॉक्टरों ने फिलहाल उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा हुआ है और उनके फेफड़ों में पानी भरने की शिकायत मिली है। अखबार ने लिखा है कि दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो ने प्रशासन से दिलीप कुमार की सेहत के लिए दुआएं करने की अपील की है। अखबार का कहना है कि मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में दिलीप कुमार को रविवार की सुबह भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। अखबार का कहना है कि उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा है कि उन्हें फिलहाल आईसीयू में दाखिल किया गया जहां उनकी हालत बेहतर है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो उन्हें 2 से 3 दिनों में घर जाने की इजाजत दे दी जाएगी। रोजनामा खबरें ने अमेरिका अफगानिस्तान युद्ध पर आई एक नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक विशेष खबर प्रकाशित की है जिसमें बताया गया है कि इस युद्ध के दौरान अमेरिका को अफगानिस्तान में शिकस्त का सामना करना पड़ा है। अखबार ने लिखा है कि अमेरिका ने इस दौरान अफगानिस्तान में 22 खरब 80 अरब डालर खर्च किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जख्मी और विकलांग होने वाले फौजियों के इलाज पर अमेरिका ने 296 अरब डॉलर खर्च किया है। इस जंग के दौरान 2500 अमेरिकी फौजी मारे गए हैं जबकि 21000 जख्मी हुए हैं। युद्ध में दो लाख 41 हजार आम अफगानिस्तानी नागरिकों की भी जान गई है। अखबार का कहना है कि नई रिपोर्ट में अमेरिका समर्थक मित्र देशों के खर्चे और उनके मारे जाने वाले फौजियों को शामिल नहीं किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के जरिए खरबों डालर खर्च करने के बावजूद भी अफगानिस्तान में अमन आज तक स्थापित नहीं किया जा सका है। हिन्दुस्थान समाचार/एम ओवैस/मोहम्मद शहजाद

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