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पाकिस्तानी अखबारों सेः भारत से चीनी न खरीदने के फैसले के बाद लाइन में हो रही बिक्री

- लाहौर हाईकोर्ट ने कहा- 15 रुपये के पीछे लोगों को बना दिया है भिखारी - पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तबीयत खराब होने पर इमरान ने की जल्द स्वस्थ होने की कामना नई दिल्ली, 21 अप्रैल (हि.स.)। पाकिस्तान से बुधवार को प्रकाशित अधिकांश समाचारपत्रों ने फ्रांसीसी राजदूत को पाकिस्तान से निकाले जाने से सम्बंधित प्रस्ताव संसद में पेश किए जाने और उस पर बहस शुरू होने की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की हैं। अखबारों ने बताया है कि तौहीन-ए-रिसालत (ईशनिंदा) के मामले में पाकिस्तान सरकार पर दबाव है कि वह फ्रांस से अपने सभी प्रकार के सम्बंध तोड़ दे और पाकिस्तान में रह रहे सभी फ्रांसीसियों को वापस उनके देश भेज दे। अखबारों ने पाकिस्तान सरकार और तहरीक-ए-लब्बैक के बीच बातचीत के बाद समझौता होने की भी खबरें दी हैं। अखबारों का कहना है कि तहरीक-ए-लब्बैक ने अपने धरने प्रदर्शन को समाप्त करने का ऐलान कर दिया है लेकिन सरकार की तरफ से मौलाना साद रिजवी और उनके समर्थकों की रिहाई और संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने से इंकार कर दिया गया है। अखबारों ने लाहौर हाईकोर्ट के जरिए लाइन लगा कर चीनी खरीदने को मानव अधिकारों के हनन की संज्ञा दिए जाने के रिमार्क को काफी अहमियत से छापा है। अखबारों का कहना है कि लाहौर हाईकोर्ट ने बाजारों में चीनी के खरीदारों की लाइन खत्म कराने का आदेश दिया है और इसके साथ ही अदालत ने की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी तलब की है। हाईकोर्ट का कहना है कि 15 रुपये के पीछे लोगों को भिखारी बना दिया गया है। अखबारों ने संयुक्त अरब अमीरात के जरिए पाकिस्तान को दिए गए 2 अरब डॉलर के कर्जे की वापसी की समय सीमा में वृद्धि किए जाने से सम्बंधित खबरें प्रकाशित की हैं। अखबारों का कहना है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूएई का दौरा किया था और उन्होंने यूएई के वित्त मंत्री से मुलाकात करके इस कर्जे की वापसी के बारे में बातचीत की थी। शाह महमूद कुरैशी ने यूएई के इस फैसले का स्वागत किया है। अखबारों ने हांगकांग के जरिए भारत और पाकिस्तान पर कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए प्रतिबंध लगाने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने अमेरिका और ओमान के जरिए भारत पर कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के कारण प्रतिबंध लगाने की भी खबर दी है। यह सभी खबरें रोजनामा औसाफ, रोजनामा जिन्नाह, रोजनामा नवाएवक्त, रोजनामा खबरें, रोजनामा पाकिस्तान और रोजनामा जंग ने अपने पहले पृष्ठ पर प्रकाशित की है। रोजनामा औसाफ ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तबीयत खराब होने और उन्हें एम्स में भर्ती कराए जाने से सम्बंधित खबर देते हुए कहां है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है। इमरान खान का कहना है कि मनमोहन सिंह जैसे नेताओं की विश्व को बहुत जरूरत है। इसलिए हम दुआ करते हैं कि वह जल्द से जल्द स्वस्थ होकर आएं और अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं। अखबार ने कांग्रेस लीडर राहुल गांधी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की भी खबर दी है। अखबार का कहना है कि राहुल गांधी ने वायरस से संक्रमित होने की खबर अपने ट्विटर पर ख़ुद ही दी है। रोजनामा नवाएवक्त ने जम्मू कश्मीर से एक खबर काफी अहमियत से प्रकाशित की है जिसमें बताया गया है कि भारतीय फौज की फायरिंग से दो कश्मीरी नौजवान मारे गए हैं। इस घटना पर कश्मीरियों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। अखबार का कहना है कि कश्मीर के 20 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। अखबार का कहना है कि शोपियां में नौजवानों की हत्या के बाद कश्मीरी सड़कों पर निकल आए। प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों के जरिए पैलेट गन का इस्तेमाल किया गया। इस घटना में कई लोग जख्मी भी हुए हैं। अखबार का कहना है कि इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में इंटरनेट और मोबाइल सर्विस बंद कर दी गई है। अखबार का कहना है कि कुपवाड़ा से एक सरकारी कर्मचारी का शव बरामद हुआ है। अखबार का कहना है कि कर्फ्यू के दौरान नागरिकों को रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक घरों से बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी गई है। रोजनामा जंग ने पाक अधिकृत कश्मीर के प्रधानमंत्री राजा मोहम्मद फारूक हैदर खान का एक बयान काफी महत्व के साथ से छापा है। इस बयान में उन्होंने कहा है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्ताव के सिवा कश्मीर समस्या का कोई और हल उन्हें काबिल-ए-कबूल नहीं है। अखबार का कहना है कि उन्होंने अपने बयान में कहा है कि सात दशकों से कश्मीरियों की नस्लकुशी (नरसंहार) किया जा रहा है। हुक्मरान तिजारत की बात करते हैं, हमारा जीना-मरना पाकिस्तान के साथ है। उनका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के अनुसार रायशुमारी के अलावा कश्मीर समस्या का कोई समाधान नहीं है। उनका कहना है कि भारत और पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के अनुसार कश्मीरियों की राय लेनी चाहिए और कश्मीरी जो फैसला करें, दोनों देशों को स्वीकार तस्लीम करना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/एम ओवैस/मोहम्मद शहजाद

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