पाकिस्तानी अखबारों सेः भारत को हथियार न मिलने को बनाया मुद्दा

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नई दिल्ली, 24 फरवरी (हि.स.)। पाकिस्तान से बुधवार को प्रकाशित अधिकांश अखबारों ने प्रधानमंत्री इमरान खान की श्रीलंका यात्रा से सम्बंधित खबरें काफी प्रमुखता से प्रकाशित की हैं। अखबारों ने लिखा है कि इमरान खान ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार को बढ़ाने पर जोर दिया है। इमरान खान ने इस मौके पर सीपैक प्रोजेक्ट को श्रीलंका और एशिया तक बढ़ाए जाने पर भी जोर दिया है। अखबारों ने लिखा है कि श्रीलंका पहुंचने पर इमरान खान का शानदार स्वागत किया गया है। अखबारों ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी का एक बयान भी काफी अहमियत से प्रकाशित की है। इस बयान में उन्होंने कहा है कि वह ना तो इमरान खान सरकार को बहुमत साबित करने को कहेंगे और ना ही नेशनल असेंबली को भंग करेंगे। राष्ट्रपति ने यह बातें एक इंटरव्यू के दौरान कही हैं। अखबारों ने पाकिस्तान के सियालकोट की डस्का विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में गड़बड़ी की खबरें प्रकाशित करते हुए लिखा है कि चुनाव आयोग ने 14 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराने का फैसला किया है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) ने चुनाव आयोग के फैसले को मान लिया है। पाकिस्तानी वायुसेना के प्रमुख का एक बयान भी अखबारों ने छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि पाकिस्तानी वायुसेना के बेड़े में और अधिक लड़ाकू जहाजों को शामिल करने की कोशिशें जारी हैं। पाकिस्तान को इसी साल एयर डिफेंस प्रणाली भी मिलने की उम्मीद है। अखबारों ने उत्तरी वजीरिस्तान में एक एनजीओ से सम्बंधित चार महिलाओं की हत्या किए जाने के मामले में पुलिस के जरिए एक आरोपी को गिरफ्तार किए जाने की भी खबरें प्रकाशित की हैं। यह सभी खबरें रोजनामा औसाफ, रोजनामा जिन्नाह, रोजनामा नवाएवक्त, रोजनामा खबरें, रोजनामा पाकिस्तान और रोजनामा जंग ने अपने पहले पृष्ठ पर प्रकाशित की हैं। रोजनामा खबरें में यह खबर काफी अहमियत से प्रकाशित की गई है जिसमें बताया गया है कि जर्मनी और बेल्जियम ने भारत को हथियार देने से मना कर दिया है। भारत ने बेल्जियम से एन-95 और जर्मनी से एमपी-5 मशीन गन खरीदने के लिए ऑर्डर दे रखा है। मानवाधिकार संगठनों की तरफ से इन हथियारों को बनाने वाली फैक्ट्रियों के बाहर प्रदर्शन किया गया है और उनसे मांग की गई है कि भारत को हथियार उपलब्ध नहीं कराया जाए। मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि भारत कश्मीर में दमनकारी नीति अपनाकर कश्मीरी आवाज पर जुल्म ढा रहा है। मानवाधिकार संगठनों ने इन्हीं आरोपों का सहारा लेकर हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों पर दबाव बनाकर भारत को हथियार उपलब्ध नहीं करने के लिए मजबूर किया है। अखबार ने एक और खबर भी काफी महत्व के साथ प्रकाशित की है। यह खबर तुर्की के पाकिस्तान में स्थित राजदूत एहसान मुस्तफा यरोकवल से एक बातचीत पर आधारित है। अखबार ने बताया है कि तुर्की और पाकिस्तान के बीच बनाई जाने वाली रेलवे लाइन पर काम शुरू होने वाला है। इस रेल लाइन से दोनों देशों के बीच आने वाले दिनों में व्यापार में काफी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही पाकिस्तान की पहुंच योरोपीय देशों के साथ अन्य एशियन देशों तक हो जाएगी। इसके अलावा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और साहित्यिक सम्बंध को और मजबूत बनाया जा रहा है। तुर्की के मशहूर अर्तुगल गाजी टीवी सीरियल के उर्दू संस्करण के पाकिस्तान टीवी के जरिए दिखाए जाने के बाद अब अन्य टीवी सीरियल उस्मान गाजी को दिखाए जाने की तैयारी की जा रही है। अखबार ने लिखा है कि तुर्की और पाकिस्तान के शहरियों को एक दूसरे के देश में आने जाने के लिए वीजा देने में काफी छूट दी गई है। रोजनामा औसाफ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति के फ्रांसीसी मुसलमानों के समर्थन में दिए गए बयान पर फ्रांस की सरकार के कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किए जाने से सम्बंधित खबर प्रकाशित की है। अखबार ने लिखा है कि राष्ट्रपति अल्वी ने फ्रांसीसी मुसलमानों के समर्थन में एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने फ्रांस में मुसलमानों को दबाने के लिए वहां पर सरकार के जरिए बनाए जा रहे कड़े कानूनों का विरोध किया था। फ्रांस ने इस बयान पर सख्त आपत्ति जताई है। फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने इसका कड़ा विरोध करते हुए फ्रांस में स्थित पाकिस्तान के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब करके अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। रोजनामा नवाएवक्त ने तुर्की के विदेश मंत्री के जरिए संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार कमिशन के 46वें अधिवेशन को संबोधित करने से संबंधित खबर छापी है। इस मौके पर सभा को सम्बोधित करते हुए तुर्की के विदेश मंत्री ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह जम्मू-कश्मीर में रह रहे कश्मीरियों के साथ बर्बरतापूर्ण कार्रवाई कर रहा है। तुर्की के विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में भारत सरकार से कश्मीर में की गई घेराबंदी को कम करने और वहां के अवाम पर की जा रही सख्ती को भी कम करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कश्मीर समस्या का समाधान कश्मीरी अवाम की उमंगों और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के अनुसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि दुनिया के देशों को भारत पर कश्मीर समस्या के समाधान के लिए दबाव बनाना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/एम ओवैस/मोहम्मद शहजाद

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