उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक गंगा, अलकनंदा उफान पर

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देहरादून, 19 जून (हि.स.)। उत्तराखंड में पिछले तीन दिन से हो रही बारिश का कहर शनिवार को पहाड़ से लेकर मैदान तक दिखा। गंगा, अलकनंदा, मंदाकिनी और पिंडर नदियां रौद्र रूप दिखाते हुए खतरे के निशान को पार कर गईं। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहने से तीन लाख 92 हजार 404 क्यूसेक तक पहुंच गया। राज्य में केदारनाथ, बदरीनाथ सहित कई हाइवे बंद है। नीती-माणा दर्रों का सड़क संपर्क कट गया है। कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक लगातार हो रही मानसून की बारिश से आम जनजीवन पर खराब असर पड़ा है।गंगा का जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से लेकर कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर गेटों को खोला गया। ऋषिकेश में भी गंगा का जलस्तर बढ़ने से गंगा घाट डूब गए हैं। गंगा नदी एक बार फिर भगवान शिव की मूर्ति को छूकर बह रही है। गंगा का जलस्तर 340.34 आरएल मीटर पर पहुंच गया है। इसके साथ ही अलकनंदा, मंदाकिनी, नंदाकिनी, शारदा, गोरी, कोसी, रामगंगा सहित अन्य नदियां उफान पर हैं। प्रशासन ने नदियों के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने भी अगले 72 घंटे के लिए नैनीताल, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ आदि जिलों में बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने नदी किनारे रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए अलर्ट किया है। हरिद्वार में गंगा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। अचानक हुई तेज बारिश में चंडी घाट के पास बन रहे पुल के निर्माणाधीन कार्य में लगी दो क्रेन और एक जेसीबी बह गई। गंगा के तेज बहाव में निर्माणाधीन पुल की सामग्री भी बह गई। मजदूरों ने किसी तरह भागकर जान बचाई। आपदा प्रबंधन की रिपोर्ट के अनुसार टिहरी झील का जलस्तर 749.40 मीटर है, जबकि औसत डिस्चार्ज 198 क्यूमेक्स है। रामकुंड देव प्रयाग में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर 464.36 मीटर है। यहां पर गंगा को चेतावनी स्तर 462 मीटर है। आपदा प्रबंधन अधिकारी बृजेश भट्ट ने बताया कि 20 और 21 जून को मौसम पूर्वानुमान में टिहरी में बारिश जारी रहने के आसार हैं। लगातार जारी बारिश के चलते जनपद में अलर्ट घोषित किया गया है। नैनीताल जिला मुख्यालय में पिछले 24 घंटे में 115 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई है। काठगोदाम बैराज में गौला नदी का जलस्तर 16 हजार क्यूसेक और रामनगर में कोसी नदी का जलस्तर 12,400 क्यूसेक पर पहुंच गया है। इधर नैनी झील का जलस्तर भी पिछले 24 घंटे में 13 इंच बढ़कर 4 फीट 3 इंच हो गया है। वहीं, भूस्खलन एवं पेड़ों की शाखाओं के टूटने व उखड़ने की घटनाओं से विद्युत आपूर्ति भी पूरे दिन बाधित रही। नैनीताल जनपद में 17 सड़कें बारिश की वजह से हुए भूस्खलन के कारण बंद हो गई हैं। अल्मोड़ा एनएच में कई जगह मलबा आने से आवाजाही बंद है। बाबा नीब करौरी के कैंची धाम क्षेत्र में गदेरे का पानी एक बार फिर सांई मंदिर के पास भवाली-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग 87 पर आ गया है। केदारनाथ हाईवे बंद केदारनाथ हाईवे भी मूसलाधार बारिश के कारण बंद है। केदारनाथ हाईवे लोनिवि रुद्रप्रयाग, तहसील, बांसबाड़ा, कुंड, फाटा, रामपुर में काफी खतरनाक बना हुआ है। बद्रीनाथ-ऋषिकेश हाईवे के नरकोटा और खांखरा के बीच पहाड़ी से लगातार मलबा और बोल्डर गिरने से राजमार्ग दो दिनों से बंद है। यहां पर विभाग की मशीनें दोनों ओर से राजमार्ग को खोलने में जुटी हुई हैं। वहीं बद्रीनाथ-ऋषिकेश राजमार्ग के नरकोटा में पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण एक कार क्षतिग्रस्त होने के साथ ही निर्माणाधीन सामुदायिक शौचालय ध्वस्त हो चुका है। रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से सटे ग्राम पंचायत बर्सू के ओण तोक को जोड़ने वाला पैदल मार्ग पुनाड़ गदेरे में बह गया है। यहां के लोगों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट चुका है। पुलिस अधीक्षक ने दोनों राजमार्गों का जायजा लिया और राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों से वार्ता कर राजमार्ग को यातायात के लिए सुचारू किए जाने के निर्देश दिए। बद्रीनाथ और केदारनाथ हाईवे के बंद होने पर सूचना पुलिस कंट्रोल रूम के माध्यम से सीमावर्ती जनपदों को समय-समय पर दी जा रही है। बदरीनाथ और मलारी हाईवे कई जगह क्षतिग्रस्त बारिश से बदरीनाथ और मलारी हाईवे कई जगह क्षतिग्रस्त होने के साथ ही नीती-माणा दर्रों का सड़क संपर्क कट गया है। रैणी मे भूस्खलन और मकानों में दरारें पड़ने से ग्रामीण भयभीत हैं। चमोली-जोशीमठ के साथ ही जोशीमठ-बदरीनाथ व जोशीमठ-मलारी मोटर मार्ग कई स्थानों पर अवरुद्ध है। चमोली से जोशीमठ तक गुलाबकोटी,टंगणी आदि स्थानों पर भारी बोल्डर आने के कारण मार्ग अवरुद्ध है। जोशीमठ-बदरीनाथ मार्ग पर बलदौडा, लामबगड, रडांग, कंचनगंगा मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। बीआरओ के कर्मचारी और संबधित सड़क निर्माण कंपनियों की मशीनें मौके पर खड़ी हैं। पहाड़ी से लगातार मलबा व बोल्डर गिरने से काम शुरू नहीं हो पा रही है। अलकननंदा, धौली गंगा, ऋषिगंगा, लक्ष्मण गंगा, कल्प गंगा समेत नालों और गदेरों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ की मदद से इस मार्ग पर फंसे यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। विगत रात्रि को यहां पर फंसे 20 यात्रियों को प्रशासन द्वारा नारायणबगड के अंजलि लाॅज में भोजन एवं ठहरने की व्यवस्था कराई गई। शनिवार को भी प्रशासन ने फंसे यात्रियों को भोजन एवं राहत सामग्री वितरित की। बारिश के चलते जिले में 84 ग्रामीण मोटर मार्ग अवरुद्ध हुए थे, जिनमें से 23 मोटर मार्ग यातायात के लिए सुचारू किए जा चुके हैं और शेष मार्गों को खोलने का कार्य जारी है। हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

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