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पूर्व मुख्यमंत्री शान्‍ता कुमार ने डलहौजी का नाम बदलने के लिए राज्‍यपाल और मुख्‍यमंत्री को लिखा पत्र

पालमपुर, 08 जून (हि.स.)। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि 1992 में भाजपा सरकार में लिए गए निर्णय को अब पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि वे जब मुख्यमंत्री थे तो डलहौजी का नाम बदलने का अध्यादेश जारी किया था लेकिन उसके बाद कांग्रेस ने उसे रद्द कर दिया। शान्ता कुमार ने लिखा है कि डलहौजी तीन महान पुरुषों की याद से जुड़ा है। प्रसिद्ध साहित्यकार नोवल पुुरस्कार विजेता रवीन्द्र नाथ टेगौर डलहौजी आये थे और उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना गीतांजलि का कुछ भाग यहां लिखा था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भी डलहौजी आकर कुछ समय रहे और उन्होंने आजाद हिन्द फौज बनाने के क्रान्तिकारी विचार का यहीं पर आत्म मंथन करके निर्णय किया था। शहीद भक्त सिंह के चाचा प्रसिद्ध क्रान्तिकारी अजीत सिंह का यहीं पर देहान्त हुआ। उन्होंने कहा कि इन तीनों महान पुरुषों के स्मारक डलहौजी में बने। उनकी यह भी मांग है कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जिस मकान में रहे, सरकार उसका अधिग्रहण करके एक भव्य स्मारक बनाये। उन्होंने कहा कि डलहौजी आज केवल एक पर्वतीय पर्यटन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है लेकिन यहां इन तीन महापुरुषों का स्मारक बनने के बाद यह स्थान भारत भर में एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय तीर्थ बन जाएगा। शान्ता कुमार ने कहा कि 1942 का कांग्रेस का आन्दोलन आजादी की लड़ाई का अन्तिम आन्दोलन था। 1942 से 1947 तक पांच सालों में कोई आन्दोलन नहीं हुआ परन्तु उसी समय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज बनाई। संघर्ष शुरू किया और अंडमान की धरती पर जाकर तिरंगा झण्डा लहराया। आजाद हिन्द फौज में भारतीय सैनिक थे, इसलिए पहली बार भारत की सेना में आजादी के लिए विद्रोह फूटा। यही कारण था कि 1947 में ब्रिटेन की संसद में भारत को आजाद करने के अधिनियम पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था - ”जिस सेना के सहारे हमने आज तक भारत को गुलाम रखा - आजाद हिन्द फौज के कारण वह सेवा अब हमारी वफादार नहीं रही, इसलिए हमें भारत को आजाद करना पड़ रहा है।“ इससे पहले भाजपा नेता सुव्रमण्यम स्वामी भी डलहौजी का नाम बदलने की मांग कर चुके हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/सुनीत

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