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लोककथाओं में पोषित है अपना इतिहास: नरेन्द्र मोदी

नई दिल्ली, 16 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री ने कहा है कि जिन लोगों ने भारत और भारतीयता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उन्हें इतिहास लेखन में उचित महत्व नहीं दिया गया। भारत का इतिहास केवल औपनिवेशिक शक्तियों या औपनिवेशिक मानसिकता वाले लोगों द्वारा लिखा गया इतिहास ही नहीं है बल्कि आम लोगों ने उसे अपनी लोककथाओं में भी पोषित किया है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मंगलवार को प्रधानमंत्री अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील के विकास कार्यों की भी आधारशिला रखी। साथ ही महाराजा सुहेलदेव के नाम पर एक मेडिकल कॉलेज भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश करने के साथ भारतीय इतिहास लेखकों द्वारा इतिहास निर्माताओं के विरुद्ध की गई अनियमितताओं और अन्याय को अब ठीक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे अनेक व्यक्तित्व हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों से मान्यता नहीं मिली। सवालिया अंदाज में प्रधानमंत्री ने कहा कि चौरी-चौरा के बहादुरों के साथ क्या हुआ था, क्या हम इसे भूल सकते हैं! उन्होंने आगे कहा कि महाराजा सुहेलदेव के योगदान की भी अनदेखी की गई। पाठ्यपुस्तकों में अनदेखी के बावजूद उन्हें अवध, तराई और पूर्वांचल के लोकगीतों ने लोगों के दिलों में जीवित रखा है। मोदी ने एक संवेदनशील और विकासोन्मुख शासक के रूप में उनके योगदान को याद किया और यह उम्मीद जताई कि महाराजा सुहेलदेव के लिए यह स्मारक आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा प्रदान करेगा। गौरतलब है कि दो वर्ष पहले ही प्रधानमंत्री ने महाराजा सुहेलदेव की स्मृति में एक डाक टिकट भी जारी किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में निर्मित इतिहास, आस्था और आध्यात्मिकता से संबंधित स्मारकों का सबसे बड़ा लक्ष्य पर्यटन को बढ़ावा देना है। उत्तर प्रदेश पर्यटन और तीर्थयात्रा दोनों क्षेत्रों में भी समृद्ध है और प्रदेश में इसकी संभावनाएं बहुत अधिक हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ब्रजेश-hindusthansamachar.in

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