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लोजपा में सड़क पर आयी वर्चस्व की लड़ाई (अपडेट)

नई दिल्ली, 16 जून (हि.स)। लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर वर्चस्व की लड़ाई को लेकर लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने चाचा व सांसद पशुपति पारस को सीधी चुनौती दी। बुधवार को उन्होंने कहा कि अब आगे कानूनी लड़ाई होगी। वहीं पशुपति पारस अपने समर्थकों को इकट्ठा करने के लिए दिल्ली से पटना के लिए रवाना हो गये। लोजपा का दोनों धड़ा आज उस वक्त आमने-सामने आ गया, जब चिराग पासवान के समर्थन में लोजपा कार्यकर्ताओं ने पशुपति पारस के आवास के सामने हंगामा करते हुए उनपर पीठ पर छुरा घोंपने का आरोप लगाया। तेजी के बदलते घटनाक्रम के बीच चिराग पासवान ने अपनी निर्धारित प्रेस वार्ता रद्द कर दी, लेकिन दोपहर बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत कर पशुपति पारस पर तीखा हमाला किया। उन्होंने कहा कि संसद में पार्टी का नेता कौन होगा, यह राष्ट्रीय अध्यक्ष ही तय कर सकता है। चिराग पासवान ने कहा कि मैं चाहता था कि परिवार की बात बंद कमरे में निपट जाए, लेकिन अब यह लड़ाई लंबी चलेगी और कानूनी तरीके से लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं एक शेर का बेटा हूं, उस वक्त जब चुनाव लड़ सकता हूं तो आज की तारीख में भी लड़ाई लड़ सकता हूं। आगे उन्होंने कहा कि कुछ लोग पार्टी और घर में भी विभाजन करा रहे हैं। चिराग ने लोजपा में मौजूदा संकट के लिए अपने चाचा व सांसद पशुपति कुमार पारस को सीधे जिम्मेदार ठहराया। चिराग ने कहा कि लोजपा अध्यक्ष होने के नाते मजबूरी में चाचा पशुपति पारस समेत पांच सांसदों को पार्टी से बाहर करने का फैसला किया है। यह फैसला संवैधानिक तरीके से पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर लिया गया है। पार्टी को मजबूत बनाने और अनुशासन बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया। इससे पहले पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा। दरअसल, पार्टी के संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता प्राप्त कर पशुपति पारस ने चिराग पासवान को सीधी चुनौती दे दी है। उन्होंने चुनाव आयोग में पत्र लिखकर अपने गुट को असली लोजपा के रूप में मान्यता देने का भी दावा पेश किया है। इसी संदर्भ में चिराग ने भी आर-पार की लड़ाई का मन बनाते हुए पशुपति पारस के दावे के संदर्भ में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। खबर है कि उन्होंने एक पत्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नाम भी लिखा है। जबकि एक दिन पहले पार्टी अध्यक्ष पद के अधिकार का उपयोग करते हुए चिराग ने पशुपति गुट के पांच सांसदों को पा्र्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उन सब पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और राष्ट्रीय नेतृत्व के खिलाफ साजिश करने का आरोप है। दूसरी तरफ पार्टी के भीतर अपनी मजबूत स्थिति बनाने के लिए पशुपति पारस बुधवार को पटना के लिए रवाना हुए, जहां वे अपने समर्थकों के साथ बैठक करने वाले हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ब्रजेश

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