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डिजिटल विषमता को पाटने के लिए किया जा सकता है विशेषज्ञ समिति का गठन

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने डिजिटल शिक्षा के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सार्वभौमिकरण के विषय पर बुधवार को एक अहम बैठक की। बैठक में मुख्य रूप से एक एकीकृत डिजिटल इको सिस्टम विकसित करने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी और इंटरनेट का लाभ उठाने पर चर्चा की गयी। मंत्री ने स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास और शिक्षक प्रशिक्षण के सभी पहलुओं को शामिल करने के लिए मौजूदा मंचों का और विस्तार करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की खातिर एक अभिनव ²ष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने मौजूदा स्वयं प्रभा पहल को मजबूत करने एवं उसका विस्तार करने तथा नेशनल डिजिटल एजुकेशन आ*++++++++++++++++++++++++++++र्*टेक्च र (एनडीईएआर) और नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) जैसी पहलों को समन्वित करने का आह्वान किया। प्रधान ने शिक्षा में अधिक से अधिक समावेश लाने के लिए डिजिटल विषमता को पाटने और वंचितों तक पहुंचने की आवश्यकता पर जोर दिया। मंत्री ने कहा कि स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव की अध्यक्षता में स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, दूरसंचार विभाग, प्रसार भारती, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, बीआईएसएजी-एन अंतरिक्ष विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल करते हुए एक समिति का गठन किया जा सकता है। बैठक में शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव अनीता करवाल,बीआईएसएजी-एन के महानिदेशक (डीजी) डॉ. टी पी सिंह, प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शशि एस वेम्पति और शिक्षा मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। इस बीच बुधवार को ही शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सुशासन पर वेबिनार श्रृंखला के हिस्से के रूप में महिलाओं के सशक्तिकरण, लैंगिक समानता पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। बुधवार को आयोजित इस वेबिनार में वाणिज्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर डीपी सिंह उपस्थित रहे। इस दौरान अनुप्रिया पटेल ने कहा कि लैंगिक समानता न केवल महिलाओं के लिए अच्छी है, यह समाज और राष्ट्र के लिए भी अच्छी है। मंत्री ने पुरुषों और महिलाओं के लिए समान अधिकार, समान भूमिका और समान अवसर की आवश्यकता पर बल दिया ताकि वे जीवन के सभी आयामों में समान रूप से योगदान दें। मंत्री ने कहा, संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच बढ़ाने, जीवन पर उनका नियंत्रण और उनके निर्णय लेने के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। --आईएएनएस जीसीबी/एएनएम

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