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जमीनी स्तर पर भी सुनिश्चित हो कार्यपालिका की जिम्मेदारीः लोकसभा अध्यक्ष

शिलांग/नई दिल्ली, 26 फरवरी (हि.स.)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मेघालय और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्थानीय निकायों के लिए आउटरीच और परिचय कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कार्यपालिका की जवाबदेही केवल संसद और विधान सभाओं में ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लघु विधायी निकायों के रूप में कार्य करने वाली स्वायत्त जिला परिषदों को चर्चा और संवाद के माध्यम से कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए । अपने दो दिवसीय शिलांग दौरे के आखिरी दिन शुक्रवार को बिरला ने कहा कि केंद्र सरकार की ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी पहलों से स्थानीय क्षेत्रों का विकास होगा । उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम वोकल फॉर लोकल का चुनाव करेंगे । महात्मा गांधी की संकल्पना का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा कि जब प्रत्येक गांव आत्मनिर्भर होगा, तभी भारत आत्मनिर्भर होगा । उन्होंने कहा कि सरकार की एक्ट ईस्ट नीति से उत्तर- पूर्व क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाओं के द्वार खुले हैं और उत्तर पूर्वी राज्यों को इन अवसरों का अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने स्थानीय निकायों के प्रशासन को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और सुगम बनाने के लिए सूचना और संचार तकनीकों और नई प्रौद्योगिकियों के अधिकाधिक उपयोग पर बल दिया । उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं समावेशी विकास की अवधारणा के साथ विकास कार्यक्रमों के संबंध में सहयोग और सामूहिकता की भावना से चर्चा करें तथा जनता की समस्याओं का समाधान जनता को केन्द्र में रखकर निकालें। बिरला ने क्षेत्रीय आकांक्षाओं और राष्ट्रीय एकता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हमारे लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए दोनों ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं के भागीदारों से सकारात्मक चर्चा और संवाद के माध्यम से सभी समस्याओं का समाधान करने का आग्रह किया । मेघालय के मुख्य मंत्री डॉ कॉनरेड के. संगमा ने कहा कि हमें अपने विचारों और कार्यों में राष्ट्रीय एकता के मूलभूत आदर्श को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने वित्त आयोग अंतरण के अंतर्गत जिला परिषदों का वित्तपोषण किए जाने, जिला परिषदों को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत लाए जाने, ख़ासी, गारो और अन्य भाषाओं को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने, उत्तर-पूर्वी जनजातियों और संस्कृति संबंधी जानकारी को स्कूली बच्चों के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने और पूर्वोत्तर में राष्ट्रपति आवास स्थापित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि पंचायत राज संस्थाएं और अन्य स्थानीय निकाय राष्ट्र-निर्माण के शक्तिशाली माध्यम हैं । उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जमीनी स्तर पर लोकतान्त्रिक प्रणाली को और सुदृढ़ करने के लिए लोकतन्त्र के परंपरागत मूल्यों का संरक्षण किया जाना चाहिए । इससे पहले, 25 फरवरी को बिरला ने मेघालय विधान सभा के सदस्यों को संबोधित किया । हिन्दुस्थान समाचार/अजीत

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