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मप्र में कोरोना काल में दिख रही सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल

भोपाल 5 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में कोरोना काल में लोगों की मदद में धर्म और जाति की दीवारें भी छोटी पड़ रही हैं। हर कोई एक-दूसरे की मदद की खातिर बढ़-चढ़कर आगे आ रहे हैं और कई स्थानों पर तो सांप्रदायिक सद्भाव की अनोखी मिसाल भी देखने मिल रही है। कोरोना एक तरफ जहां अपनों के बीच दूरी बढ़ाने का काम किया है तो दूसरी तरफ अनजान लोगों को जुड़ने का भी बड़ी संख्या में लोग अपने परिजनों को खो रहे हैं और स्थिति यहां तक आ रही है कि अंतिम संस्कार के लिए भी लोग कम पड़ रहे हैं। मध्य प्रदेश के सागर जिले में युवाओं ने तो अनोखी मिसाल पेश की, जहां पर रामपुरा वार्ड में एक महाविद्यालय में पदस्थ रहे उल्लास हार्डिकर की जब मौत हुई तो घर में सिर्फ उनकी पत्नी, बेटा और बहू थे। आलम यह था कि उनके अंतिम संस्कार के लिए घर से शव को श्मशान घाट तक लेने की बात आई तो परिचित और पड़ोसी भी सामने नहीं आए। ऐसे में सागर के मुस्लिम समाज के लोग आगे आए और कब्रिस्तान कमेटी के सदस्यों के साथ मिलकर पीपीई किट पहनी और शव को घर से चौराहे तक वाहन पर ले गए फिर उनका अंतिम संस्कार किया गया। कब्रिस्तान कमेटी के अध्यक्ष इरशाद खां पप्पू पहलवान बताते हैं कि उनके पास फोन आया था कि उल्लास का निधन हो गया है शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशानघाट ले जाना है और फिर हम लोगों ने व्यवस्था की। इसी तरह का वाक्या बालाघाट में भी देखने को मिला है जहां मुस्लिम समाज के युवा हिंदू शवों का रीति रिवाज के मुताबिक अंतिम संस्कार कर रहे हैं। वे धर्म के रूढ़िवादी भेदभाव को मिटाने के लिए आगे आ रहे हैं। ष्षवों का अंतिम सस्कार करने वाली टीम के सदस्य सोहेल बताते हैं कि वर्ष 2020 में मार्च में जब कोरोना की बीमारी ने जोर पकड़ा था, तभी से वह अपने साथियों के साथ हिंदू शवों का श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं। उनके साथ हिंदू धर्म के भी युवा शामिल हैं। वे बताते हैं कि कई बार तो मृतकों के परिजन अपनों के शवों को श्मशान घाट पर छोड़ कर चले जाते हैं, मगर उनकी टीम के सदस्य इन शवों का पूरे सम्मान और रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करते हैं यह सिलसिला बीते एक साल से जारी रखे हुए हैं। यहां की श्रीजी तिवारी बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से उनके परिजन की मौत हुई और वे उनका शव लेकर श्मशान घाट पहुंचे। उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था। तभी उन्होंने मुक्तिधाम में मौजूद युवकों की मदद ली और श्षव का पूरे रीत रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया। इसी तरह की तस्वीरें राज्य के अन्य हिस्सों से भी सामने आ रही हैं। जहां हिंदू वर्ग के लोग मुस्लिम के अंतिम संस्कार में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं तो वही मुस्लिम समाज के लोग हिंदुओं के अंतिम संस्कार में सहयोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर के देखें तो कोरोना काल में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल भी देखने को मिल रही है। --आईएएनएस एसएनपी/एसजीके

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