EDFC project running in files in previous government, delay is proof of their work culture: Narendra Modi
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पिछली सरकार में फाइलों में चलता रहा ईडीएफसी प्रोजेक्ट, देरी उनकी कार्य संस्कृति का प्रमाण: नरेन्द्र मोदी

- कहा, पिछली सरकार में काम अटका, लटका और भटका, लागत 11 गुनी बढ़ी लखनऊ, 29 दिसम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के नए सेक्शन के उद्घाटन मौके पर पूर्व की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने प्रोजेक्ट की देरी को पिछली सरकार की कार्य संस्कृति का जीता जागता प्रमाण बताया और कहा कि उस दौरान यह परियोजना केवल फाइलों में ही चलती रही। वहीं प्रधानमंत्री ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को राजनीति से दूर रखने की भी बात कही। उन्होंने आन्दोलनों में देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे किसी पार्टी, सरकार नहीं बल्कि राष्ट्र की क्षति होती है। पिछली सरकार के कारण प्रोजेक्ट की लागत में 45 हजार करोड़ का इजाफा: प्रधानमंत्री ने कहा कि ये प्रोजेक्ट 2014 से पहले जो सरकार थी, उसकी कार्य संस्कृति का जीता जागता प्रमाण है। साल 2006 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई। उसके बाद यह सिर्फ कागजों और फाइलों में ही बनता रहा। केंद्र को राज्यों के साथ जिस गंभीरता से बातचीत करनी चाहिए थी, जिस तेजी से संवाद होना चाहिए था, वह किया ही नहीं गया। नतीजा यह हुआ कि काम अटक गया, लटक गया और भटक गया। उन्होंने कहा कि स्थिति यह थी कि साल 2014 तक एक किलोमीटर ट्रैक भी नहीं बिछाया गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए जो धनराशि स्वीकृत हुई थी, वह सही तरीके से खर्च नहीं हो पाई। प्रधानमंत्री ने कहा 2014 में हमारी सरकार आने के बाद इस प्रोजेक्ट के लिए फिर से फाइलों को खंगाला। अधिकारियों को नए सिरे से आगे बढ़ने के लिए कहा गया तो बजट करीब करीब 11 गुना यानी 45,000 करोड़ों रुपये से अधिक बढ़ गया। आठ साल में एक किलोमीटर ट्रैक नहीं बिछा, छह साल में 1,100 किलोमीटर किया काम: प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रगति की बैठकों में उन्होंने स्वयं इसकी मॉनिटरिंग की। इससे जुड़े स्टेकहोल्डर्स से संवाद किया, समीक्षा की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से भी संपर्क बढ़ाया। उन्हें प्रेरित व प्रोत्साहित किया। हमारी सरकार नई तकनीक लाई। इसी का परिणाम है कि करीब 1,100 किलोमीटर का काम अगले कुछ महीनों में पूरा हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आठ साल में एक भी किलोमीटर नहीं, और छह साल में 1,100 किलोमीटर के कार्य से इसे समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर राजनीतिक उदासीनता का नुकसान इन फ्रेट कॉरिडोर को ही नहीं उठाना पड़ा है बल्कि पूरे रेलवे से जुड़ा सिस्टम ही इसका बहुत बड़ा भुक्तभोगी रहा है। चुनावी लाभ के लिए पहले ट्रेनों की संख्या बढ़ाने पर रहता था फोकस: उन्होंने पूर्व सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले फोकस ट्रेनों की संख्या बढ़ाने पर रहता था, ताकि चुनाव में उसका लाभ मिल सके। लेकिन जिन पटरियों पर ट्रेन को चलाना था, उन पर निवेश ही नहीं किया जाता था। रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण को लेकर कोई गंभीरता ही नहीं थी। हमारी रेलगाड़ियों की गति बहुत कम थी और पूरा नेटवर्क जानलेवा मानवरहित फाटकों से भरा हुआ था। 2014 के बाद कार्यशैली और सोच को बदलने का हुआ काम: उन्होंने कहा कि हमने 2014 के बाद इस कार्यशैली और सोच को बदला। अलग से रेल बजट की व्यवस्था को खत्म करते हुए हमने ऐलान करके भूल जाने वाली राजनीति को बदला। हमने रेल ट्रैक पर निवेश किया। रेलवे ट्रैक को हजारों मानवरहित फाटकों से मुक्त किया। रेलवे ट्रैक को तेज गति से चलने वाली ट्रेनों के लिए तैयार किया। रेलवे नेटवर्क के चौड़ीकरण और बिजलीकरण दोनों पर फोकस किया। आज वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी सेमी हाई स्पीड ट्रेन भी चल रही है और भारतीय रेल पहले से कहीं अधिक सुरक्षित भी हुई है। मालगाड़ियों के लिए बने विशेष ट्रैक बताये आज की जरूरत प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हाईवे, एयरवे, वाटरवे या फिर आईवे आर्थिक रफ्तार के लिए जरूरी इन पांचों पहियों को ताकत, गति दी जा रही है। ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के एक बड़े सेक्शन का लोकार्पण भी इसी दिशा में बहुत बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को अगर सामान्य बोलचाल की भाषा में कहें, तो मालगाड़ियों के लिए बने विशेष ट्रैक और विशेष व्यवस्थाएं हैं। इनकी जरूरत आखिर देश को इसलिए पड़ी क्योंकि हमारे खेत, उद्योग या फिर बाजार यह सब माल ढुलाई पर निर्भर होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कहीं कोई फसल उगती है, तो उसको देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाना पड़ता है। एक्सपोर्ट के लिए बंदरगाहों तक इन्हें पहुंचाना पड़ता है। इसी तरह उद्योगों के लिए कहीं से कच्चा माल समुद्र के रास्ते से आता है। उद्योग से बना माल बाजार तक पहुंचाना होता है या फिर एक्सपोर्ट के लिए उसको फिर बंदरगाहों तक पहुंचाना होता है। इस काम में सबसे बड़ा माध्यम हमेशा से ही रेलवे रही है। मालगाड़ी और यात्री रेल एक ही ट्रैक पर चलने से पड़ता है असर प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे आबादी बढ.ी, अर्थव्यवस्था बढ.ी तो माल ढुलाई के इस नए नेटवर्क पर दबाव भी बहुत आ गया। समस्या यह थी कि हमारे वहां यात्रियों की ट्रेनें और मालगाड़ियां दोनों एक ही पटरी पर चलती हैं। मालगाड़ी की गति धीमी होती है। ऐसे में मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए यात्री ट्रेनों को स्टेशन पर रोका जाता है। इससे पैसेंजर ट्रेन भी समय पर नहीं पहुंच पाती हैं और मालगाड़ी भी लेट हो जाती हैं। मालगाड़ी की गति जब धीमी होगी, उसे जगह-जगह रोका जाएगा तो जाहिर है ट्रांसपोर्ट की लागत भी ज्यादा होगी। उन्होंने कहा कि इसका सीधा असर हमारी खेती, खनिज उत्पादन और औद्योगिक उत्पादों की कीमत पर पड़ता है। महंगे होने के कारण विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धा पर नहीं टिक पाते हमारे उत्पाद प्रधानमंत्री ने कहा कि महंगे होने के कारण ये उत्पाद देश और विदेश के बाजारों में होने वाली प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते हैं, हार जाते हैं। इसी स्थिति को बदलने के लिए फ्रेट कोरिडोर की योजना बनाई गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि शुरुआत में दो डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार करने की योजना है। पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पंजाब के औद्योगिक संस्थान लुधियाना को पश्चिम बंगाल के दनकुनी से जोड़ रहा है। सैकड़ों किलोमीटर लंबे इस रूट में कोयला खान, थर्मल पावर प्लांट और औद्योगिक शहर हैं। इनके लिए फीडर मार्ग भी बनाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा वहीं पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर महाराष्ट्र में जेएनपीटी को उत्तर प्रदेश के दादरी से जोड़ता है। लगभग 15 किलोमीटर के डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में गुजरात के कई बड़े बंदरगाहों के लिए मार्ग होंगे। इन दोनों फ्रेट कॉरिडोर के इर्द-गिर्द दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल फ्रेट कॉरिडोर और अमृतसर कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी बनाए जा रहे हैं। इसी तरह उत्तर को दक्षिण से और पूरब को पश्चिम से जोड़ने वाले ऐसे विशेष रेल कॉरिडोर से जुड़ी जरूरी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही है। यात्री ट्रेन की लेटलतीफी अब होगी दूर, मालगाड़ियों की तीन गुना बढ़ेगी रफ्तार प्रधानमंत्री ने कहा कि मालगाड़ियों के लिए बनी इस प्रकार की विशेष सुविधाओं से एक तो भारत में यात्री ट्रेन की लेटलतीफी की समस्या कम होगी और दूसरा मालगाड़ी की गति भी तीन गुना से ज्यादा हो जाएगी और मालगाड़ियां पहले से दोगुना ज्यादा सामान की ढुलाई कर पाएंगी, क्योंकि इन ट्रैक पर डबल डेकर यानी डिब्बे के ऊपर डिब्बा वाली मालगाड़ियां चलाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि मालगाड़ियां जब समय पर पहुंचेंगी तो हमारा लॉजिस्टिक नेटवर्क सस्ता होता जाएगा। हमारा सामान पहुंचाने का खर्च कम होने के कारण ऐसा होगा, जिसका हमारे निर्यात को लाभ होगा। यही नहीं देश में उद्योग के लिए बेहतर माहौल बनेगा। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बिजनेस बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही निवेश के लिए भारत और आकर्षक बनेगा। देश में रोजगार, स्वरोजगार के अनेक नए अवसर भी तैयार होंगे। फ्रेट कॉरिडोर आत्मनिर्भर भारत के बनेंगे बड़े माध्यम प्रधानमंत्री ने कहा कि यह फ्रेट कॉरिडोर आत्मनिर्भर भारत के बहुत बड़े माध्यम बनेंगे। उद्योग, व्यापार, किसान या फिर उपभोक्ता हर किसी को इनका लाभ मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि लुधियाना और वाराणसी का कपड़ा निर्माता हो या फिरोजाबाद का किसान, अलीगढ़ का ताला निर्माता हो या राजस्थान का संगमरमर कारोबारी, मलिहाबाद का आम उत्पादन हो या फिर कानपुर और आगरा का लेदर उद्योग, भदोही का कालीन उद्योग हो या फिर फरीदाबाद की कार इंडस्ट्री, हर किसी के लिए यह अवसर ही अवसर लेकर आया है। पूर्वी भारत को नई ऊर्जा देने वाला है फ्रेट कॉरिडोर उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर औद्योगिक रूप से पीछे रहे पूर्वी भारत को यह फ्रेट कॉरिडोर नई ऊर्जा देने वाला है। इसका लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश में है। इसीलिए उत्तर प्रदेश के हर छोटे-बड़े उद्योग को इससे लाभ होगा। देश और विदेश के उद्योगों में जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के प्रति आकर्षण बीते वर्षों में पैदा हुआ है, वह और अधिक बढ़ेगा। उप्र को मिलेगा बहुत ज्यादा लाभ, किसान होंगे खुशहाल प्रधानमंत्री ने कहा कि इन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का लाभ किसान रेल को भी होने वाला है। कल ही देश में किसान रेल की शुरुआत की गई। किसान रेल से वैसे भी खेती से जुड़ी हुई उपज को देश भर के बड़े-बड़े बाजारों में सुरक्षित और कम कीमत पर पहुंचाना संभव हुआ है। अब नए फ्रेट कॉरिडोर में किसान रेल और भी तेजी से अपने गंतव्य तक पहुंचे, इसके लिए उत्तर प्रदेश में भी किसान रेल से अनेक स्टेशन जुड़ चुके हैं और इनमें लगातार बढ़ोतरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के रेलवे स्टेशनों के पास भंडारण और कोल्ड स्टोरेज की कैपेसिटी बढ़ाई जा रही है। उत्तर प्रदेश के 45 माल गोदाम को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जा रहा है। इसके अलावा राज्य में आठ नए गुड्सशेड भी बनाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में वाराणसी और गाजीपुर में दो बड़े पेरिशेबल कार्गो सेंटर पहले ही किसानों को सेवा दे रहे हैं। इनमें बहुत ही कम दरों पर किसान फल सब्जियां जैसी जल्दी खराब होने वाली अपने उपज स्टोर कर सकते हैं। राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। देश का इंफ्रास्ट्रक्चर किसी दल की विचारधारा का नहीं देश के विकास का मार्ग होता है। यह पांच साल की राजनीति का नहीं बल्कि आने वाली अनेक पीढ़ियों को लाभ देने वाला मिशन है। राजनीतिक दलों को अगर प्रतिस्पर्धा करनी ही है, तो इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धा, गति या स्केल को लेकर करें। इंफ्रास्ट्रक्चर नेता, दल या सरकार की नहीं देश की संपत्ति उन्होंने कहा हम अक्सर प्रदर्शन और आंदोलन के दौरान देश के इंफ्रास्ट्रक्चर, देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की मानसिकता हैं। हमें याद रखना चाहिए कि ये इंफ्रास्ट्रक्चर, संपत्ति किसी नेता, दल या किसी सरकार की नहीं ये देश की संपत्ति है। यहां की जनता, नागरिकों की संपत्ति है। इसके पीछे हमारे हर गरीब, करदाता, मध्यम वर्ग, समाज के हर तबके का पसीना लगा हुआ है। गरीब ने अपने पेट काटकर पैसा दिया, तब यह सुविधा मिली है। इसको लगने वाली हर चोट देश के गरीब, देश के सामान्य जनता को पहुंचाने वाली चोट है। इसलिए अपना लोकतांत्रिक अधिकार जताते हुए हमें अपने राष्ट्रीय दायित्व को भी नहीं भूलना चाहिए। कोरोना काल में रेलवे के योगदान को सराहा प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस रेलवे को अक्सर निशाना बनाया जाता है, वह किस सेवा भाव से मुश्किल परिस्थितियों में भी देश के काम आती है, यह कोरोना काल में दिखा है। मुश्किल में फंसे सभी लोगों को अपने गांव तक पहुंचाना हो, दवा और राशन को देश के कोने-कोने तक ले जाना हो या फिर चलते-फिरते कोरोना अस्पताल जैसी सुविधा देना हो, रेलवे के पूरे नेटवर्क सभी कर्मचारियों का यह सेवाभाव देश हमेशा याद रखेगा। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/राजेश/बच्चन-hindusthansamachar.in

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