digvijay-is-seen-falling-alone-in-the-politics-of-madhya-pradesh
digvijay-is-seen-falling-alone-in-the-politics-of-madhya-pradesh

मध्य प्रदेश की सियासत में अकेले पड़ते दिख रहे दिग्विजय

भोपाल, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सियासत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बगैर पूरी नहीं हो सकती। बीते तीन दशक से राज्य की सियासत में दिग्विजय सिंह का दबदबा कायम है, लेकिन बीते कुछ दिनों से वे पार्टी के भीतर ही अलग-थलग पडते दिख रहे हैं। वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राज्यसभा सदस्य हैं और पार्टी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलनों को लेकर बनाई गई समिति के प्रमुख भी हैं। हालात से लड़ना और पार्टी के नेताओं व कार्यकतार्ओं के बीच मौजूद रहना उनकी खूबी रही है। पिछले कुछ दिनों में पार्टी के नेता ही उनसे किनारा करने लगे हैं, और दिग्विजय सिंह अकेले ही मोर्चा संभाले हुए हैं। राज्य में तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा क्षेत्र में उप-चुनाव हो रहा है। इस उप-चुनाव में पार्टी की कमान पूरी तरह प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के हाथ में है। हर तरफ मोर्चे पर कमलनाथ नजर आए और प्रचार में पार्टी का चेहरा भी कमलनाथ थे। दिग्विजय सिंह प्रचार के लिए तो सिर्फ खंडवा लोकसभा क्षेत्र में गए, वहीं पृथ्वीपुर में उम्मीदवार का नामांकन पत्र भरा ने भी पहुंचे थे। इसके अलावा पार्टी ने उनका कहीं भी उपयोग नहीं किया। एक तरफ जहां उप चुनाव के प्रचार में पार्टी ने दिग्विजय सिंह को आगे नहीं बढ़ाया तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है जिसमें वे पूरी तरह अकेले ही नजर आ रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने पन्ना की रेत खनन का मामला उठाया और इसे लेकर लोकायुक्त तक जा पहुंचे, परंतु उनके इस अभियान केा पार्टी का कोई भी बड़ा नेता साथ देता नहीं दिखा। इतना ही नहीं, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, या दूसरे नेता, सभी दिग्विजय सिंह पर निशाना साध रहे हैं लेकिन पार्टी दिग्विजय का बचाव करने आगे नहीं आ रही। दिग्विजय सिंह द्वारा पन्ना रेत खनन के मामले केा उठाए जाने की वजह वहां कांग्रेस नेता के खिलाफ की गई प्रशासन की कार्रवाई से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां पार्टी की पूर्व जिलाध्यक्ष दिव्यारानी सिंह को पटटे पर दी गई जमीन की अवधि निकलने के बाद प्रषासन ने अतिक्रमण हटाया, वहीं राष्टीय राजमार्ग पर बने होटल केा भी गिराए जाने की कार्रवाई लंबित है। दिव्यारानी की गिनती दिग्विजय के करीबियों में होती रही है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय को लेकर पार्टी के प्रदेष संगठन के भीतर ही अच्छी राय नहीं बन रही है । कई नेता तो यहां तक कहने लगे हैं कि अब दिग्विजय सिंह अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए बयानबाजी करते हैं। वे ट्वीट के सहारे ऐसे हमले करते हैं जिससे पार्टी को फायदा कम नुकसान ज्यादा हो जाता है। इन स्थितियों में पार्टी का संगठन उनके साथ खड़ा नहीं हो रहा। --आईएएनएस एसएनपी/आरजेएस

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in