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कैंसर पीड़ित होने के बावजूद दिनरात कर रही कोरोना मरीजों की सेवा

नई दिल्ली , 7 मई (आईएएनएस)। कोरोना महामारी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सबकुछ भूलकर दिलो जान लगाकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। इनमें एक ऐसी महिला भी है जिसे देश की पहली महिला एम्बुलेंस चालक का गौरव हासिल है। कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद भी वो इस महामारी में अपना कर्तव्य निभा रही है। दिल्ली निवासी ट्विंकल कालिया खुद कैंसर पीड़ित होकर भी कोरोना मरीजों को मुफ्त में अस्पताल पहुंचा रहीं है। इसके अलावा जिन मरीजों की मृत्यु हो रही है, उनका पूरे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार भी करा रही हैं। दरअसल एम्बुलेंस वुमन ट्विंकल कालिया ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं। उनका फिलहाल इलाज चल रहा है लेकिन ये सब भूल वह कोरोना मरीजों की सेवा में लगी हुई हैं। उनके पति भी इस काम मे पूरा साथ दे रहें हैं। ट्विंकल ने आईएएनएस को बताया कि, उन्हें देश की पहली महिला ड्राइवर का खिताब मिला हुआ है। कोरोना की पहली लहर से ही वे इस सेवा में जुट गई थी और अब भी बिना झिझक लोगों की सेवा कर रही हैं। हर दिन करीब 350 फोन आते हैं जो की मदद की गुहार लगाते हैं। हम हर किसी की मुफ्त मे सेवा करते है। कई परिवार अपनो के शवों को हाथ लगाने से डरते हैं, जिनका हम अंतिम संस्कार कराते हैं। हमारे पास 10 से अधिक एम्बुलेंस है, जिनका प्रयोग हम अलग अलग तरह से करते है। कुछ एम्बुलेंस को हमने शवों को लाने ले जाने में लगाया हुआ है तो वहीं कुछ एम्बुलेंस को साधरण मरीजों और अन्य सेवाओं में लगा दिया है। ट्विंकल के काम से प्रभावित होकर महिला दिवस पर उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें लंच पर भी आमंत्रित किया हुआ है। ट्विंकल के पति हिमांशु कालिया ने आईएएनएस को बताया, पिछले बार जब कोरोना फैला था, उस वक्त भी हम सेवा कर रहे रहे थे। इस बार भी हम सेवा कर रहे है। हम लोगो ने इस बार 50 से अधिक लोगों का अंतिम संस्कार कराया है। साल 2007 से मेरी पत्नी ने एम्बुलेंस चलाना शुरू किया था । पिछले साल ही उन्हें कैंसर हुआ, इसके बाद कीमो थैरेपी होने से हाथों की नसें काली पड़ गई है। अन्य इलाज से सर के बाल भी चले गए है। वो हर दिन ये सोच कर निकलती है कि ये उनका आखिरी दिन होगा। ट्विंकल के परिवार में दो बेटियां है और दोनों अपनी माँ से काफी प्रभावित है। उनकी एक बेटी सिर्फ इस बात का इंतजार कर रही है कि कब वो 18 वर्ष की हो और वो भी अपनी माँ की तरह एम्बुलेंस चला लोगों की सेवा कर सके। --आईएएनएस एमएसके/आरजेएस

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