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तमिलनाडु के एक संगठन की सभी स्कूलों में खादी की वर्दी अनिवार्य करने की मांग

चेन्नई, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)। तमिलनाडु स्थित एक थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज (सीपीडीएस) ने शिक्षा मंत्रालय से देश भर के स्कूलों में खादी की वर्दी अनिवार्य करने का आह्वान किया है। संगठन के निदेशक और हैंडलूम शोधकर्ता सी. राजीव ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मांग की है कि देश भर के सभी सीबीएसई, आईसीएससीई स्कूलों में खादी को वर्दी के रूप में इस्तेमाल किया जाए और कम से कम सभी केन्द्रीय विद्यालयों में इसे अनिवार्य करने का अनुरोध किया। देश भर में लगभग 45 लाख हथकरघा (हैंडलूम) श्रमिक हैं। उन्होंने कहा कि कोविड -19 और लॉकडाउन के बाद स्टॉक जमा रहने के कारण संघर्ष कर रहे क्षेत्र के साथ, प्राकृतिक आपदाओं के बाद, हथकरघा और खादी बुनकरों का मनोबल बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है और कहा कि यदि शिक्षा मंत्रालय इसे अनिवार्य बनाता है, तो इस क्षेत्र को गरीबी से बाहर निकाला जा सकता है। देश भर में केंद्रीय विद्यालयों में लगभग 13 लाख छात्र हैं और यदि ये छात्र खादी की वर्दी का उपयोग करते हैं, (जो पर्यावरण के अनुकूल और बिना कार्बन फुटप्रिंट के हैं) तो दोनों क्षेत्र संकट से बचे रहेंगे और छात्रों के पास वर्दी के रूप में अच्छा कपड़ा होगा। सीपीडीएस ने कहा कि केवी में 13 लाख छात्रों के अलावा, जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) में लगभग 2,87,000 छात्र हैं। संगठन ने कहा कि सरकार सीधे नवोदय विद्यालयों के छात्रों के लिए वर्दी और अन्य सभी सामान खरीद रही है। राजीव ने कहा कि केंद्र देश के सभी केवी के लिए खादी की वर्दी का उपयोग अनिवार्य करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ बाधाओं के कारण परियोजना शुरू नहीं हो पाई है। संगठन ने अपने अध्ययन में पाया है कि देश के माध्यम से हथकरघा और खादी क्षेत्र गंभीर संकट में हैं और उन्होंने कहा कि मणिपुर, पानीपत, गुजरात और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में क्लस्टर महामारी के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के कारण लॉकडाउन के कारण व्यापार में भारी नुकसान के बाद अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। सीपीडीएस संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सभी सांसदों से इस मुद्दे को उठाने का अनुरोध करने की भी योजना बना रहा है। --आईएएनएस एचके/आरजेएस

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