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दिल्ली हिंसा : आरोपितों के खिलाफ दायर तीसरी पूरक चार्जशीट पर कोर्ट ने लिया संज्ञान

नई दिल्ली, 02 मार्च (हि.स.) । दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद उमर खालिद, शरजील इमाम, ताहिर हुसैन समेत यूएपीए के 18 आरोपितों के खिलाफ दायर तीसरी पूरक चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है। कोर्ट ने इस बात पर आपत्ति जताई कि संज्ञान लेने के पहले ही चार्जशीट लीक हो जा रही है। कोर्ट ने कहा कि संज्ञान लेने के पहले चार्जशीट लीक होने का ट्रेंड परेशान करने वाला है। मीडिया की रिपोर्टिंग खासकर सोशल मीडिया पर हमेशा इसकी चर्चा होती रहती है। कोर्ट ने कहा कि मीडिया खबरों को कवर करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन उन्हें अपने रुख को लेकर सावधान रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आरोपित और दोषी में फर्क होता है। कोर्ट ने कहा कि यह हर आरोपित का मौलिक अधिकार है कि उसे अपने बचाव का मौका मिले। मीडिया कवरेज के लिए दिशा-निर्देश जारी करना संभव नहीं है लेकिन रिपोर्टिंग करते समय एक डिस्क्लेमर जरूर होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को पूरे तरीके से पक्षपाती बताना या आरोपित को दोषी की तरह दिखाना न्याय प्रणाली के लिए स्वस्थ संकेत नहीं है। कोर्ट ने तीसरी पूरक चार्जशीट की कॉपी सभी आरोपितों को पेनड्राईव में सौंपने का निर्देश दिया। एक आरोपित आसिफ इकबाल तान्हा के साथ किए जा रहे बुरे बर्ताव के आरोपों के मामले पर तिहाड़ जेल प्रशासन से मेडिकल रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान आरोपित उमर खालिद ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोर्ट को शिकायत की कि कुछ मीडिया संस्थान मीडिया ट्रायल कर रहे हैं। उमर खालिद ने कहा कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद उसके खिलाफ मीडिया ट्रायल चलाया जा रहा है। उसे दोषी की तरह पेश किया जा रहा है। उमर खालिद ने कहा कि आसिफ इकबाल, नताशा नरवाल, मैं, देवांगन कलीता और दूसरे आरोपितों के नाम हेडलाइंस में छापकर दिल्ली दंगों के बड़े गुनाहगार बताया जा रहा है। हम बिना मौका मिले उन आरोपों का खंडन कैसे कर पाएंगे। सुनवाई के दौरान एक आरोपित खालिद सैफी ने कहा कि मुझे अभी तक नहीं मालूम कि मेरे खिलाफ आरोप क्या हैं। पुलिस कहती है कि मैं प्रदर्शन में शामिल था। वे मुझे आतंकी बताते हैं। पुलिस कोर्ट में आने से पहले मीडिया में जाती है। जब मीडिया में छप जाती है तो वे कोर्ट में आते हैं। इस पूरी प्रक्रिया पर विराम लगना चाहिए। देवांगन कलीता और नताशा नरवाल की ओर से पेश वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि उन्हें चार्जशीट की कॉपी मिलनी चाहिए। तब जज ने पूछा कि क्या संज्ञान लेने के पहले दस्तावेज दिए जा सकते हैं। तब पुजारी ने कहा कि टीवी चैनल और अखबार चार्जशीट को उद्धृत करते हुए खबरें चला रहे हैं। तब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि चार्जशीट मीडिया में लीक नहीं होनी चाहिए। तब पुजारी ने कहा कि पुलिस ही लीक कर रही है। पिछले 1 मार्च को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से वकील अमित प्रसाद ने एक वीडियो प्ले किया था। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी कैमरों को हटाया गया था और उनका कनेक्शन काट दिया गया। उन्होंने चांद बाग के 33 सीसीटीवी कैमरों के लोकेशन के मैप दिखाया। पिछले 25 फरवरी को स्पेशल सेल ने तीसरी पूरक चार्जशीट दाखिल की थी। तीसरी पूरक चार्जशीट में फोरेंसिक साक्ष्यों और दूसरे तकनीकी परीक्षणों को आधार बनाया गया है। चार्जशीट में बताया गया है कि दंगों के लिए कैसे साजिश रची गई। दंगों की साजिश रचने वालों ने एक साजिश तहत दंगों के दौरान कई इलाकों के सीसीटीवी कैमरे तोड़े थे। सीसीटीवी तोड़ने वालों की पहचान की गई है। उल्लेखनीय है कि 24 नवंबर, 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर, 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल की गई थी। पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148,149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395,419,420,427,435,436,452,454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ संजय

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