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दिल्ली: कोरोना सहायता पर खर्च का ब्योरा नहीं मिलेगा, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया जुर्माना

नई दिल्ली, 04 मई (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से मुख्यमंत्री/उप-राज्यपाल सहायता कोष से कोरोना सहायता पर किए गए खर्च का ब्यौरा मांगने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता वकील प्रत्युष प्रसन्ना और समित ठक्कर पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस जसमीत सिंह ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि चाय पीते-पीते आइडिया आया कि जनहित याचिका दायर करें और बिना किसी रिसर्च के याचिका दायर कर दिया। ये पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन नहीं होकर पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है। उसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर पचास हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया। याचिका में मांग की गई थी कि मुख्यमंत्री सहायता कोष से कोरोना के मद में किए गए खर्च की जांच कोर्ट की निगरानी में हो। याचिका में कहा गया था कि कोरोना से लड़ने का दावा करनेवाले दिल्ली सरकार के विज्ञापनों को तत्काल रोका जाए। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली के नागरिकों ने कोरोना से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में सहयोग किया ताकि स्वास्थ्य के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया जा सके। याचिका में कहा गया था कि इस धन का उपयोग ऑक्सीजन बेडों को बढ़ाने, पीपीई किट खरीदने, आईसीयू और वेंटिलेटर वाले बेड बढ़ाने पर करना था। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में ये हकीकत सामने आयी कि अस्पतालों में बेड नहीं हैं, टेस्टिंग किट नहीं है और पूरी दिल्ली ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री राहत कोष से कोरोना के मद में खर्च किए गए धन का ब्यौरा जानना जरूरी है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत

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