दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या बहुविकल्पी प्रश्नों का विकल्प दे सकता है यूजीसी
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या बहुविकल्पी प्रश्नों का विकल्प दे सकता है यूजीसी

दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या बहुविकल्पी प्रश्नों का विकल्प दे सकता है यूजीसी

नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। ओपन बुक एग्जाम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने यूजीसी से पूछा है कि फाइनल ईयर के छात्रों के लिए आयोजित होनेवाली ऑनलाइन परीक्षा में बहुविकल्पी प्रश्नों का विकल्प संभव है। जस्टिस प्रतिभा सिंह ने यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को 24 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि ऐसी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, उस पर कब सुनवाई होनी है। तब यूजीसी की ओर से वकील अपूर्व कुरुप ने कहा कि इस पर 24 या 27 जुलाई को सुनवाई होगी। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि जिस तरीके से परीक्षा आयोजित की जा रही है उसे चुनौती दी गई है। यूजीसी ने कहा कि पूर्व के प्रदर्शन के आधार पर किसी को डिग्री नहीं दी जा सकती है। तब कोर्ट ने यूजीसी प्रोफेसर कुहाड की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने का निरादेश दिया। यूजीसी ने कहा कि आनलाइन परीक्षा का मतलब समयबद्ध परीक्षा है। जब लोग असाइनमेंट घर ले जाते हैं तो उसकी पवित्रता बरकरार नहीं रखी जाती है। तब कोर्ट ने यूजीसी से पूछा कि क्या कॉलेज असाइनमेंट का मूल्यांकन खुद करते हैं और छात्रों को आनलाइन असाइनमेंट देते हैं। कोर्ट ने कहा कि जो लोग नकल करेंगे वे कड़े माहौल में भी करेंगे। उसमें समय की कोई भूमिका नहीं है। तीन घंटे से कुछ नहीं होगा। ओपन बुक एग्जाम में कई समस्याएं हैं। यूजीसी ने कहा कि उसके दिशा-निर्देश पूरे देश के लिए हैं। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या आप छात्रों को दिल्ली बुला सकते हैं। तब कोर्ट ने कहा कि वे दूसरे मोड में भी परीक्षा दे सकते हैं। इसमें केवल ऑफलाइन परीक्षा ही नहीं हो रही है। तब कोर्ट ने कहा कि आप स्थिति को देखिए। आईसीएमआर कह रहा है कि कोरोना का संक्रमण नवंबर में पीक पर रहेगा। ऐसे में आप उनसे सितंबर में ऑफलाइन परीक्षा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कई कॉलेजों ने बहुविकल्पी प्रश्नों के अलावा कई क्रिएटिव मोड अपनाया है। पारंपरिक परीक्षाएं काफी समय ले रही हैं। ओपन बुक एग्जाम में काफी समस्याएं हैं। तब यूजीसी ने कहा कि परीक्षा के टाइमलाइन को लेकर डिवीजन बेंच सुनवाई कर रही है। एक शेड्यूल भी तैयार किया गया है। बहुविकल्पी प्रश्नों पर आधारित परीक्षा भी आयोजित की जा सकती है। दुनिया भर में बहुविकल्पी प्रश्नों पर आधारित परीक्षाएं आयोजित की गई हैं। तब कोर्ट ने यूजीसी से पूछा कि आप क्यों कह रहे हैं कि परीक्षा आनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में होगी। अब आप कह रहे हैं कि ये समयबद्ध होना चाहिए। अगर दिल्ली यूनिवर्सिटी चाहे कि बहुविकल्पी प्रश्नों के आधार पर परीक्षा होगी तो क्या होगा। तब यूजीसी ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के ऊपर है कि वो बहुविकल्पी प्रश्नों के आधार पर परीक्षा आयोजित करेगा या नहीं, हम उसका उत्तर कैसे दे सकते हैं। हमने दिल्ली यूनिवर्सिटी को परीक्षा में देरी के लिए कभी निर्देश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि समयबद्ध परीक्षा पूरे तरीके से अव्यवहारिक है। हम दिल्ली के बीचो बीच रहते हैं क्या होगा जब बारिश होगी और न बिजली होगी और न इंटरनेट। दूसरे यूनिवर्सिटी कैसे कर रहे हैं। दो सौ यूनिवर्सिटी ने करीब करीब परीक्षा खत्म कर ली है। तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि हमेशा इंटरनेट की जरुरत नहीं होती है। आपको केवल डाउनलोड और अपलोड करने के लिए इंटरनेट की जरुरत होगी। हम दिन-रात कम कर रहे हैं। तब कोर्ट ने कहा कि परीक्षा के लिए 4जी की जरुरत होगी तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि 4जी की जरुरत नहीं होगी। तब कोर्ट ने कहा कि आपका ब्रोशर ऐसा कहता है। आप उन्हें दो दिन का समय दीजिए। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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