...जब हाई कोर्ट में हुई दिल्ली सरकार और केंद्र के वकीलों के बीच तीखी बहस
...जब हाई कोर्ट में हुई दिल्ली सरकार और केंद्र के वकीलों के बीच तीखी बहस

...जब हाई कोर्ट में हुई दिल्ली सरकार और केंद्र के वकीलों के बीच तीखी बहस

- दिल्ली दंगा: राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारुख को मिली जमानत पर 2 जुलाई को होगी सुनवाई नई दिल्ली, 01 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट में आज फिर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों से जुड़े शिव विहार के राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारुख को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील और केंद्र सरकार के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई। उसके बाद जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील को निर्देश दिया कि वो उप-राज्यपाल का वह पत्र लाएं कि कौन दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करेगा। इस मामले पर अगली सुनवाई कल यानि 2 जुलाई को होगी। आज इस मामले पर लंच के पहले सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने एएसजी अमन लेखी के पेश होने पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने इसे लंच के बाद सुनवाई का आदेश दिया। लंच के बाद जब सुनवाई शुरू हुई तो केंद्र सरकार की ओर से वकील अमित महाजन ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में एएसजी अमन लेखी पेश नहीं होना चाहते हैं। इस पर जस्टिस सुरेश कैत नाराज हो गए और कहा कि आप कल उप-राज्यपाल का वह पत्र लेकर आएं कि इस मामले में वो वकील हैं कि नहीं। अगर इस तरह कोर्ट का समय बर्बाद करेंगे तो कोर्ट जुर्माना भी लगा सकता है। उसके बाद कोर्ट ने कल यानि 2 जुलाई को सुनवाई करने का आदेश दिया। पिछले 23 जून को हाई कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की याचिका पर फैसल फारुख को जवाब देने के लिए समय दिया था। फैसल फारुख की ओर से पेश वकील रमेश गुप्ता ने कहा था कि फैसल फारुख को कल यानि 22 जून को हिंसा के एक दूसरे मामले में हिरासत में ले लिया गया है। रमेश गुप्ता ने पुलिस की ओर से दायर याचिका पर जवाब देने के लिए समय की मांग की। जिसके बाद कोर्ट ने 1 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत देने का फैसला सही नहीं है। इसलिए उस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए। पिछली 22 जून को कोर्ट ने फैसल फारुख को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान जब दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे तो दिल्ली पुलिस की क्राइम की ओर से हमेशा पेश होने वाले वकील राहुल मेहरा ने उनका विरोध किया था। इसके बाद तुषार मेहता ने इस केस से अपना नाम वापस ले लिया। उसके बाद एएसजी अमन लेखी और स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित चड्ढा पेश हुए और इस मामले पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की ताकि दिल्ली पुलिस की ओर से कौन पेश हो ये मामला सुलझाया जा सके। कड़कड़डूमा कोर्ट ने पिछली 20 जून को फैसल फारुख को जमानत दे दी थी। एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने फैसल को जमानत देते हुए कहा था कि चार्जशीट से ये कहीं प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी के पोपुलर फ्रंट, पिंजरा तोड़ या दूसरे मुस्लिम धर्मगुरुओं के संपर्क में था। कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ये कहीं से प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी घटना के वक्त घटनास्थल पर मौजूद था। कोर्ट ने कहा था कि गवाहों के बयानों में काफी विरोधाभास है। जांच अधिकारी ने इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल करने की कोशिश की है ताकि कमियों को छिपाया जा सके। कोर्ट ने कहा था कि गवाह का पहला बयान 8 मार्च को दर्ज किया गया था। उस बयान में उसने कहा था कि उसने फैसल को घटना वाले दिन राजधानी स्कूल के गेट पर दिन में डेढ़ बजे के करीब देखा था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पिछली 3 जून को फैसल फारुख के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में दंगा फैलाने, आपराधिक साजिश, डकैती, समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने और आर्म्स ऐक्ट की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। चार्जशीट में फारुख के खिलाफ स्कूल और स्कूल के आसपास दंगे का साजिश रचने और उसे भड़काने का आरोप लगाया गया है। चार्जशीट में कहा गया है कि फारुख के निर्देश पर ही भीड़ ने राजधानी स्कूल के बगल वाले और विरोधी डीआरपी स्कूल के अलावा अनिल स्वीट्स के पार्किंग स्थल को जानबूझकर नष्ट किया गया। इस तथ्य के समर्थन में डीआरपी स्कूल के गार्ड के अलावा खुद राजधानी स्कूल के गार्ड ने भी अपने बयान दर्ज कराए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत/बच्चन-hindusthansamachar.in

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