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एनएएफएलडी को गैर-संचारी रोगों में शामिल करने का निर्णय महत्वपूर्णः डॉ. हर्षवर्धन

-एनएएफएलडी और एनपीसीडीसीएस का किया गया एकीकरण नई दिल्ली, 22 फरवरी (हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने सोमवार को एनएएफएलडी (नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज) और एनपीसीडीसीएस (नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटिज, कार्डियोवसकुलर डिजीज एंड स्ट्रोक) के एकीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने इसके लिए संचालन के दिशा-निर्देश भी जारी किए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि हृदय की तरह लिवर भी समान रूप से महत्वपूर्ण है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज एक नया अध्याय जुड़ा है, क्योंकि एनएएफएलडी को एक कार्यक्रम के रूप में शामिल किया गया है। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा इस एकीकरण से गैर-संचारी रोगों पर काबू पाया जा सकेगा और भारत का भविष्य स्वस्थ बनेगा। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत के अंतर्गत स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र योग और जीवन शैली में परिवर्तन लाने में मददगार साबित हो रहे हैं। आयुष्मान भारत कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं आरोग्य केन्द्रों में अब तक उच्च रक्तचाप के लिए 838.39 लाख, मधुमेह के लिए 683.34 लाख और तीन प्रकार के कैंसर के लिए 806.4 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। इन केन्द्रों ने अब तक सामुदायिक स्तर पर 6.91 लाख योग सत्र आयोजित किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तंबाकू, पान मसाला, शराब आदि का सेवन न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और इनसे ऐसे रोगों के प्रसार की आशंका बनी रहती है। उन्होंने कहा कि सरकार निदान से आधारित उपचार के स्थान पर बचाव से आधारित स्वास्थ्य पर बल दे रही है। क्या है एनएएफएलडी रोग एनएएफएलडी रोग में लिवर का 5 से 10 प्रतिशत अधिक भार होने को फैटी लिवर माना जाता है। एनएएफएलडी एक सामान्य स्वास्थ्य विकृति है और विश्व भर में लगभग एक अरब लोग इसके शिकार होते हैं। विश्व में 20 से 30 प्रतिशत जनसंख्या को यह रोग प्रभावित करता है। भारत में यह रोग लगभग 9 से 32 प्रतिशत जनसंख्या में होता है और यह मोटापे अधिक वजन और मधुमेह वाले व्यक्तियों को शिकार बनाता है। केवल फैटी लिवर के साथ एनएएफएलडी के रोगियों में जटिलताएं उत्पन्न नहीं होती। गैर-अल्कोहलिक स्टीटोहेपटाइटिस (एनएएसएच) से सिरोसिस तथा लिवर कैंसर हो सकता है। एनएएसएच से ग्रस्त रोगियों की लिवर की जटिलताओं के कारण मृत्यु की अधिक आशंका होती है। एनएएफएलडी एक गैर-संचारी रोग है, जिसमें लिवर की विकृतियां होती हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार दूसरी श्रेणी के मधुमेह वालों में 40 से 80 प्रतिशत लोगों में यह रोग पाया जाता है और मोटापे वालों में 30 से 90 प्रतिशत लोगों में यह रोग होता है। एनएएफएलडी के रोगियों में हृदय रोग होने की अधिक आशंका रहती है। स्वस्थ लिवर के बिना जीवित रहना बहुत कठिन है। यह एक शांत रोग है, जो जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। एनएएफएलडी का एकीकरण एनपीसीडीसीएस के साथ किया गया है। इससे एनएएफएलडी का प्रबंधन एनपीसीडीसीएस कार्यक्रम के अंतर्गत किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/ विजयालक्ष्मी

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