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माकपा उम्मीदवार प्रतीक उर रहमान को है जनता के बीच रह कर काम करने की चाहत

कोलकाता, 03 अप्रैल (हि.स.)। दक्षिण 24 परगना की डायमंड हार्बर सीट से माकपा के युवा उम्मीदवार प्रतीक उर रहमान जनता के साथ और पास रह कर काम करना चाहते हैं। हिन्दुस्थान समाचार' से विशेष बातचीत में प्रतीक ने बताया कि , वह सर्वशक्तिमान का प्रतिनिधि बन कर लोगों के साथ रहना चाहता हूं और उनकी बेहतरी के लिये काम करना चाहता हूं। अब से पहले माकपा के टिकट पर कई युवा चेहरे विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ा चुके हैं । कुछ को राज्यसभा में भी भेजा गया है लेकिन इस चुनाव में पहली बार डीवाईएफआई और एसएफआई के प्रदेश नेताओं को इतनी बड़ी संख्या में चुनावी मैदान में उतारा गया है। प्रतीक उर रहमान इन्हीं में से एक हैं । छात्र राजनीति से उभर कर आये प्रतीक एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष हैं। प्रतीक-उर-रहमान जिस डायमंड हार्बर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं के रहने वाले भी हैं। पेशे से वकील हैं प्रतीक-उर के पास चुनाव लड़ने का कोई अनुभव नहीं है। हालांकि वह इस चुनावी अभियान में अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरे हैं। प्रतीक-उर-रहमान का जन्म 10 मई, 1990 को डायमंड हार्बर में हुआ। साल 2007 में डायमंड हार्बर हाई स्कूल में उच्चमाध्यमिक के समय छात्र राजनीति से संपर्क में आए और एसएफआई से जुड गये। 2008 में डायमंड हार्बर के फकीरचंद कॉलेज में दाखिला लेने के बाद 2009-10 में प्रतीक-उर को छात्र संसद का महासचिव चुना गया। साल 2011 के छात्र संसद चुनाव के दौरान हुई हिंसा में प्रतीक को मार पीट कर कॉलेज की दीवार के पीछे एक तालाब में फेंक दिया गया। बहुतों ने सोचा कि लड़का मर गया लेकिन किसी तरह उनकी जान बच गई। तथाकथित परिवर्तन के दौर में प्रतीक अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के निशाने पर रहे। कई बार उनपर हमले हुए लेकिन वह लड़ाई से एक इंच पीछे नहीं हटे। साल 2012 में राजनीति विज्ञान में स्नातक और 2016 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्हें 2019 में स्टेट बार काउंसिल का सदस्य चुना गया। अपने नाम का मतलब समझाते हुए उन्होंने कहा कि प्रतीक-उर शब्द का अर्थ है अल्लाह की निशानी। ' मेरे पिता एक साहित्यकार थे। बाद में व्यापार में आ गए। परिवार के साथ राजनीति का कोई लेना देना नहीं था। कॉलेज के समय से पूरी तरह राजनीति के माध्यम से मैं से लोगों के साथ रहा हूं।" प्रतिद्वंद्वी के बारे में पूछने पर वे तपाक से बोले - “मुझे कोई विरोधी नहीं दिखता। तृणमूल और भाजपा एक दूसरे के विरोधी हैं! तृणमूल ने लोकतांत्रिक अधिकारों को लूट लिया है। पिछले चुनावों में लोगों को वोट डालने नही दिया गया। भाजपा ने गैस और पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए। भाई भाई को अलग किया, हिन्दुओ और मुसलमानों के बीच विभेद उत्पन्न किया। यही वजह है कि लोग उनके विरोधी बन गए हैं। ” वामपंथी शासन के दौर में डायमंड हार्बर में माकपा की मजबूत नींव थी। माकपा ने 1967 से 2006 तक 11 में से 9 बार यहां से चुनाव जीते जबकि कांग्रेस ने दो बार (1972 और 1996) में जीत दर्ज की थी। 2011 के विधानसभा चुनावों में तृणमूल ने इस सीट पर कब्जा कर लिया। तृणमूल को 53.37 प्रतिशत वोट मिले जबकि माकपा को 40.37 प्रतिशत वोट ही मिल पाये। इसी तरह 2016 के विधानसभा चुनावों में इन दोनों दलों के उम्मीदवारों को क्रमशः 96,833 और 81,796 वोट मिले। इस बीच भाजपा के वोटों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इस स्थिति में, माकपा डायमंड हार्बर की खोई हुई भूमि को पुनः प्राप्त करने में सक्षम होगा? प्रतीक-उर ने जवाब दिया, "मैं कर सकता हूं।" आप किस आधार पर ऐसा कह रहे हैं? उन्होंने जवाब दिया, "लोगों के स्नेह देख कर। प्रचार अभियान के दौरान लोग मुझे हाथ पकड़ कर घर के अंदर ले जा रहे हैं। कहते हैं घर आ जाओ। बैठ जाओ। तृणमूल कांग्रेस ने जीतने के बाद चोरी, लूट और तोलाबाजी म को अंजाम दिया। विकल्प एकमात्र आप हैं । लोग अपने घर पर बुला रहे हैं, हमे भोजन करा रहे हैं। और हमे अपना दर्द सुना रहे हैं।” लेकिन पिछले पंचायत वोट में माकपा यहा अपना उम्मीदवार ही नहीं दे सकी थी? जवाब में, उन्होंने कहा, “पंचायत चुनाव में हमारे उम्मीदवार को खड़ा नहीं होने दिया गया, । आज अगर चुनाव हो तो तृणमूल कांग्रेस की हर बूथ पर बुरी तरह हार होगी। वे कह रहे थे 'खेला होबे ’। हम बूथों में घूम रहे हैं, लेकिन हम खिलाड़ियों को नहीं ढूंढ पा रहे हैं। इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस कही नजर नहीं आ रही क्योंकि तृणमूल के अधिकतर नेता भाजपा में चले गए हैं। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि कौन किसके साथ है। लोग हमीं को विकल्प मान रहे हैं। प्रतीक दार्शनिक अंदाज में कहते हैं कि जनता की इच्छा ही वास्तविक है। जनता जो चाहती है, हमें वही करना पड़ता है। हमारी अपनी इच्छा या अनिच्छा कोई मायने नहीं रखती। हम जनता के साथ खडे हैं और उनके साथ ही आगे बढ़ना चाहते है। ”उल्लेखनीय है कि डायमंड हार्बर तीसरे चरण में छह अप्रैल को मतदान होना है। हिन्दुस्थान समाचार/सुगंधी/मधुप

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