Corona is not affected by the increase in immunity of people due to use of Ganga water: Nyammitra Gupta
Corona is not affected by the increase in immunity of people due to use of Ganga water: Nyammitra Gupta

गंगा जल के उपयोग से लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ने से उन पर कोरोना का प्रभाव नहीं : न्यायमित्र गुप्ता

बीकानेर, 07 जनवरी (हि.स.)। उत्तराखण्ड के गंगोत्री के गंगाजल से बनाया गया 'नोजल-स्प्रे' कोरोना पर प्रभावी सिद्ध हुआ है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा अनुमति मिलने पर शीघ्र ही देश की जनता के लिए वह बाजार में लाया जाएगा। उसका मूल्य 20 से 35 रुपये होने के कारण उसे गरीब व्यक्ति भी खरीद सकेगा। यह विचार गंगा नदी के बचाव के लिए बड़ा कार्य करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता ने गुरुवार को हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा 'क्या गंगाजल कोविड-19 पर रामबाण उपाय है? विषय पर ऑनलाइन आयोजित प्रथम 'सनातन संवाद' में रखे। समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने बताया कि ऑनलाइन संवाद में अधिवक्ता गुप्ता ने कहा भारत के पवित्र गंगाजल में मिलनेवाला बैक्टेरियाफॉज जीवाणु अनेक रोगों पर निर्माण करने वाले जीवाणुओं को मारता है, यह अनेक बार वैज्ञानिक शोध से सामने आया है। इसलिए हमने 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' के डॉक्टरों की सहायता से कोरोना पर शोध किया। उसमें सफलता मिली है। गंगास्नान तथा गंगा नदी की महिमा हमारे ऋषि-मुनियों ने अनेक धर्मग्रंथों में बताया ही है। वह अब वैज्ञानिक शोध में भी सिद्ध हो रहा है तथा वह समाज तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भारतीय सरकारी संस्थाएं इस शोध में सहायता न करते हुए बाधाएं लाने का काम कर रही हैं इसलिए अब केंद्र सरकार को इसमें ध्यान देने की आवश्यकता है। कोरोना के प्रारंभ में भारत के कुछ राज्यों में मृत्युदर 40 से 45 प्रतिशत थी तब गंगा नदी के किनारे रहने वाले गांवों में मृत्यु की मात्रा 5 प्रतिशत से भी कम थी तथा रोगी ठीक होने की मात्रा भी अधिक थी। ये सरकारी आंकड़े हैं। गंगा जल के उपयोग से लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ने से उन पर कोरोना का प्रभाव नहीं होता। माघमेले तथा कुंभमेले के समय 10 से 12 करोड़ की संख्या में लोग गंगास्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। उनमें से अनेक लोग विविध प्रकार के रोग तथा चर्मरोग से पीड़ित होते हैं, परंतु गंगास्नान करने से लोगों की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, यह शोध से सामने आया है। गंगा तथा यमुना इन दोनों नदियों के मूलभूत घटकद्रव्य और ऑक्सीजन की मात्रा बहुत भिन्न है, परंतु जिस समय प्रयाग में यमुना नदी का बड़ा प्रवाह गंगा नदी के प्रवाह में मिलता है, तब यमुना के सर्व घटकद्रव्य भी गंगा के घटकद्रव्य के समान हो जाते हैं। इसलिए उसे आगे गंगा नदी ही कहा जाता है।उन्होंने बताया कि इस प्रकार कुल 300 नदियां गंगा नदी में आकर मिलती हैं। फेसबुक और यू.ट्यूब के माध्यम से यह कार्यक्रम 23 हजारों से ज्यादा लोगों ने प्रत्यक्ष देखा। इस संवाद में सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस भी मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप-hindusthansamachar.in

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