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झारखंड लोक सेवा आयोग सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम पर विवाद, भाजपा ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की

रांची, 3 नवंबर (आईएएनएस)। झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम पर विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने परीक्षा परिणामों में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। आरोप है कि इस परीक्षा में सफल घोषित किये गये उम्मीदवारों में 33 ऐसे हैं, जिन्होंने तीन अलग-अलग शहरों में स्थित केंद्रों पर एक ही कमरे में परीक्षा दी थी। पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता और पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने इसपर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि एक ही कमरे में आगे-पीछे के क्रमांक से इतने परीक्षार्थियों के उत्तीर्ण होना असामान्य है और यह बड़ी गड़बड़ी का मामला हो सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। ज्ञात हो कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने 7वीं से लेकर 10वीं सिविल सेवा के लिए संयुक्त रूप से एक साथ परीक्षा ली है। लगभग पांच वर्षों के अंतराल के बाद विगत 19 सितंबर को राज्य भर में बनाये गये 1102 केंद्रों पर प्रारंभिक परीक्षा ली गयी थी। सोमवार की शाम आयोग ने इसका परीक्षाफल जारी किया है। इसमें 4293 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया है। कुल 252 पदों पर नियुक्ति के लिए चार लाख से भी ज्यादा उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए थे। इधर झारखंड राज्य कर्मचारी चयन द्वारा लगभग चार हजार पदों के लिए ली गयी छह परीक्षाओं को रद्द किये जाने पर भी भारतीय जनता पार्टी ने तीव्र विरोध जताया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि एक तरफ सरकार ने वर्ष 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है, दूसरी तरफ एक साथ छह-छह परीक्षाओं के विज्ञापन रद्द कर राज्य के बेरोजगारों के साथ मजाक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने एक साल में पांच लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन यह घोषणा अब मजाक बनकर रह गयी है। --आईएएनएस एसएनसी/आरजेएस

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