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संवैधानिक प्रावधान है अध्यादेश, लोकतांत्रिक मूल्यों पर विपक्ष को उपदेश देने का कोई हक नहीं : केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी

नई दिल्ली , 16 नवंबर (आईएएनएस)। अध्यादेश को लेकर विरोधी दलों के हमले का जवाब देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि अध्यादेश, संविधान का हिस्सा है और कांग्रेस एवं अन्य विरोधी दलों को नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर उपदेश देने का कोई हक नहीं है। आईएएनएस से बात करते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अपने शासन काल में लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित राज्य सरकारों को 114 बार अलोकतांत्रिक तरीके से अनुच्छेद 356 का प्रयोग कर बर्खास्त किया है। उन्होने कहा कि कांग्रेस और अन्य विरोधी दल आज नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर उपदेश दे रहे हैं, उन्हें इस पर बोलने का कोई हक ही नहीं है। आईएएनएस के साथ 1952 की पहली लोकसभा से लेकर वर्तमान में चल रही 17वीं लोकसभा के दौरान लाए गए कुल अध्यादेश के आंकड़ों को साझा करते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 2014 से 2019 के दौरान 44 अध्यादेश लाए गए थे और वर्तमान कार्यकाल के दौरान अब तक 41 अध्यादेश लाए गए हैं जबकि कांग्रेस की सरकार 1971 से 1977 के दौरान 96 और 1991 से लेकर 1996 के दौरान 93 अध्यादेश लेकर आई थी। आईएएनएस से बात करते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि 1996 से लेकर 1998 के छोटे से कार्यकाल के दौरान संयुक्त मोर्चा की सरकार 63 अध्यादेश लेकर आई थी। आपको बता दें कि , इससे पहले केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर सोमवार को केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और टीएमसी के राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन के बीच ट्विटर पर भी घमासान देखने को मिला था। ईडी और सीबीआई निदेशक के कार्यकाल को दो साल से बढ़ा कर पांच साल करने वाले अध्यादेश को लेकर अध्यादेशों के आंकड़ों के एक चार्ट को शेयर करते हुए ममता बनर्जी की पार्टी के राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भाजपा पर संसद का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया था। टीएमसी नेता के इस ट्वीट पर ट्वीट के जरिए ही निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लिखा कि कांग्रेस के शासन काल में कुल 524 अध्यादेश लाए गए थे। पांचवी लोकसभा ( 1971-1977 ) के दौरान सबसे ज्यादा 96 अध्यादेश लाए गए थे। उन्होने टीएमसी नेता को चुनौती देते हुए पूछा कि क्या डेरेक इस संख्या को विस्तार से बता सकते हैं? केंद्रीय मंत्री ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर टीएमसी नेता पर कटाक्ष करते हुए लिखा कि डेरेक ओ ब्रायन को यह समझाने की जरूरत है कि अध्यादेश संवैधानिक प्रावधान हैं, जो संसद द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से पारित होने के बाद कानून बन जाते हैं। इसके साथ ही उन्होने ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अध्यादेश , लोकतंत्र का ही हिस्सा है लेकिन टीएमसी से यह बात समझने की उम्मीद करना बेमानी है क्योंकि हमने देखा है कि राज्य में विपक्षी दलों के लोकतांत्रिक अधिकारों की क्या हालत है। हाईकोर्ट ने क्या कहा है और राज्य सरकार विधान सभा के कितने सत्र बुलाती है। --आईएएनएस एसटीपी/आरजेएस

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