congress-expressed-apprehension-over-the-budget-of-2020-21-said--government-should-not-waste-time
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वर्ष 2020-21 के बजट पर कांग्रेस ने जताई आशंका, कहा- समय बर्बाद न करे सरकार

- चिदंबरम ने कहा, देश झेल रहा सरकार के गलत नीतियों के परिणाम नई दिल्ली, 28 जनवरी (हि.स.)। संसद के आगामी सत्र में सरकार द्वारा देश का बजट पेश किए जाने से पहले कांग्रेस ने देश की आर्थिक हालात और आगामी बजट से उम्मीदों की रूपरेखा प्रस्तुत की। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था महामारी के पहले से यानी 2018-19 की पहली तिमाही से ही नीचे गिरती जा रही है, जो आठ तिमाहियों तक लगातार गिरती रही है। ऐसे में सरकार कोरोना महामारी का बहाना बनाकर बच नहीं सकती है। यह वक्त लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने का है, इसलिए जरूरी है कि सरकार बजट पर समय बर्बाद न करे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम, जयराम रमेश और मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करके देश की आर्थिक हालात और आगामी बजट से उम्मीदों की रूपरेखा प्रस्तुत की। पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि यह सरकार असाधारण रूप से अस्थिर है और अच्छी सलाह तक लेने को तैयार नहीं है। इतना ही नहीं अपनी आर्थिक नीतियों के घातक परिणामों के बारे में कुछ भी सुनना इस सरकार को पसंद नहीं है। चिदंबरम ने निर्मला सीतारमण पर तंज कसते हुए कहा कि वर्तमान वित्तमंत्री को चार दशकों में पहली मंदी की अध्यक्षता करने का गौरव प्राप्त हुआ है। उनके नेतृत्व में वर्ष 2020-21 नकारात्मक वृद्धि के साथ समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि साल की शुरुआत में लगाए गए अनुमान के अनुसार एक भी आंकड़ा हासिल नहीं हो पाएगा। राजस्व के लक्ष्य बड़े अंतर से पीछे छूट जाएंगे, पूंजी निवेश को गहरी चोट लगेगी, राजस्व घाटा 5 प्रतिशत के लगभग रहेगा और राजकोषीय घाटा बढ़कर 7 फीसदी से ज्यादा हो जाएगा। 2020-21 के बजट पर समय बर्बाद करने का कोई औचित्य नहीं है। यह शुरू में आपदाकारी था और वित्त वर्ष के अंत में विनाशकारी साबित होगा। कांग्रेस नेता ने आशंका जताई कि लीपापोती करके वित्तमंत्री 2020-21 के लिए संशोधित अनुमान प्रस्तुत कर 2021-22 के लिए सुनहरी कहानी गढ़ने का प्रयास करेंगी। अतः 2020-21 के लिए संशोधित अनुमान झूठे आंकड़ों का पुलिंदा होगा और 2021-22 का बजट अनुमान एक भ्रामक मायाजाल। चिदंबरम ने कहा कि वर्ष 2020-21 के बजट की असलियत भी उसके प्रस्तुत किए जाने के कुछ ही हफ्तों में दिखने लगी थी। कांग्रेस ने तब भी चेताया था कि बजट गलत मान्यताओं पर आधारित है लेकिन उसकी नहीं सुनी गई। उन्होंने कहा कि महामारी नहीं भी फैलती तब भी अर्थव्यवस्था को निरंतर गिरना ही था। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में है, अर्थव्यवस्था में सुधार बहुत धीमा और पीड़ादायक होगा, 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि की दर (स्थिर मूल्यों पर) बहुत कम यानी 5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी। वहीं बेरोज़गारी की मौजूदा दर ग्रामीण इलाके में 9.2 प्रतिशत और शहरी इलाके में 8.9 प्रतिशत है। इतना ही नहीं 2021-22 में बेरोज़गारी की दर इससे भी अधिक बनी रहेगी, खत्म हुई ज्यादातर नौकरियां फिर से वापस नहीं आएंगी और नई नौकरियों के सृजन की दर बहुत मामूली होगी। संगठित क्षेत्र में की गई वेतन की कटौती तो बहाल हो जाएगी, लेकिन 2021-22 में वास्तविक वेतन नहीं बढ़ेगा। वहीं अगर केंद्र की भाजपा सरकार खेती विरोधी कानूनों एवं कृषि उत्पादों के लिए आयात/निर्यात की प्रतिगामी नीतियों के माध्यम से खेती में बाधाएं नहीं डालेगी तो कृषि क्षेत्र में संतोषजनक वृद्धि होगी। कांग्रेस नेताओं ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को बड़ा वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाए, जिससे लोगों के हाथों में पैसा जाएगा और मांग बढ़ेगी। आर्थिक तौर पर सबसे कमजोर वर्ग के 20-30 प्रतिशत परिवारों को छह माह तक सीधा पैसा दिया जाए। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को पुर्नजीवित करने की योजना बनाई जाए ताकि बंद हो चुकी यूनिट खुल सकें और नौकरियां बहाल हों। इसके अलावा, टैक्स दरों, खासकर जीएसटी एवं अन्य अप्रत्यक्ष टैक्स दरों (यानि पेट्रोल व डीज़ल के टैक्स दरों) में कटौती की जाए। सरकारी पूंजीगत व्यय बढ़ाए जाएं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पैसा पहुंचाने के साथ उन्हें हर लोन पर जांच एजेंसियों की निगरानी के भय के बिना कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। हिन्दुस्थान समाचार/आकाश/सुनीत-hindusthansamachar.in

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