प्राचीन मंदिरों के संवर्धन के लिए समिति गठित
मुंबई, 31 दिसम्बर (हि. स.)। महाराष्ट्र के प्राचीन मंदिरों के संवर्धन के लिए गुरुवार को लोकनिर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। यह समिति प्राचीन मंदिरों के काम को तय करने, इसके लिए लगने वाले फंड का इंतजाम करने आदि सुझाव सरकार को देगी। राज्य सरकार ने प्राचीन मंदिरों के संवर्धन के लिए वर्ष 2021-22 के आर्थिक बजट में 101 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। प्राचीन मंदिरों के लिए आज गठित की गई समिति में वित्त विभाग के प्रधान सचिव, पुरातत्व विभाग के संचालक, सर ज.जी कला महाविद्यालय के अधिष्ठाता, सांस्कृतिक कार्य विभाग के प्रधान सचिव, महाराष्ट्र राज्य सड़क़ विकास महामंडल के व्यवस्थापकीय संचालक को सदस्य के रुप में शामिल किया गया है। सार्वजनिक लोक निर्माण विभाग के सचिव इस समिति के सदस्य सचिव रहेंगे। उल्लेखनीय है कि छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा विकसित किए 300 किले और प्राचीन मंदिरों की वैभवशाली धरोहर प्राप्त महाराष्ट्र संतों की भूमि के रूप में भी पहचान है। देश में स्थित 12 में से 5 ज्योर्तिलिंग अकेले महाराष्ट्र में है। आलंदी, पंढरपुर, अष्टविनायक परिक्रमा यह महाराष्ट्र के सामाजिक आध्यात्मिक जीवन के अविभाज्य अंग हैं। महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी तुलजाभवानी, महालक्ष्मी, रेणुकामाता और सप्तशृंगी यह मातृदेवताओं के साढ़ेतीन शक्तीपीठ महाराष्ट्र में हैं। समृद्ध इतिहास की गवाही देनेवाली गुफाएं और शिल्प महाराष्ट्र का वैभव है। इन सभी वैभवों का जतन और संवर्धन कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त करवाने की सरकार की मंशा है। प्राचीन मंदिर, गुफाएं और शिल्पों का जीर्णोद्धार और संवर्धन का काम महाराष्ट्र राज्य सड़क़ विकास महामंडल को सौंपा गया है। इसके लिए महामंडल को स्वतंत्र निधि उपलब्ध करवाया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर-hindusthansamachar.in