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जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को बनाना होगा न्यायसंगत, विकासशील को मिले प्रगति करने का मौका : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 10 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से न्याय संगत तरीके से ही निपटा जा सकता है। इसके लिए विकसित देशों को खुले मन से विकासशील देशों को प्रगति के लिए जगह देनी होगी और वृहद और दूरगामी लक्ष्य रखने होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ‘विश्व सतत विकास सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि मानवता का विकास जनमानस और ग्रह के स्वास्थ्य से ही संभव है। दोनों विषय आपस में जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से होने वाली प्राकृतिक आपदाओं की सबसे ज्यादा मार गरीब लोगों पर पड़ती है। यह एक दुखद वास्तविकता है। भारत इस पर ठोस कार्रवाई पर बल देता है और इस दिशा में अपनी भूमिका के तौर पर प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान विश्व समुदाय का ध्यान साथ मिलकर कार्य करने और नवाचार की ओर आकृष्ट कराया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सतत विकास सभी के सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन क्षमता को भी बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसके लिए मानव संसाधन विकास और तकनीक की जरूरत होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी का गंतव्य ग्रह को हरित बनाना है। भारत अपने संस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप कार्य कर रहा है और पिछले दशक में ग्रीन कवर बढ़ाने वाले तीन देशों में भारत शीर्ष पर है। उन्होंने बताया कि भारत 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33-35 प्रतिशत कम करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस संबंध में 24 प्रतिशत के स्तर को हासिल कर चुका है। स्वच्छ उर्जा के लिए 2030 तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 450 गीगावॉट करने के मार्ग पर हैं। जल जीवन मिशन ने केवल 18 महीनों में 3.4 करोड़ से अधिक घरों को नल कनेक्शन से जोड़ा है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे रह रहे 1.8 करोड़ से अधिक घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप-hindusthansamachar.in

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