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मुख्यमंत्री कैप्टन किसानों से बोले, बातचीत से ही निकलेगा समाधान, साक्षात्कार पर जारी है राजनीति

- विपक्षी नेताओं ने कैप्टन को बताया केंद्र का एजेंट चंडीगढ़ , 21 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध पंजाब की राजनीतिक पार्टियों के लिए अब एक दूसरे पर वार करने का भी मुद्दा बन रहा है। एक दिन पूर्व एक अंग्रेजी समाचार पत्र को दिए विशेष साक्षात्कार में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कई किसान नेताओं से प्राप्त कृषि कानूनों को डेढ़ वर्ष तक स्थगित करने पर सहमति के इनपुट और केंद्र से साथ बातचीत करने की बातें की थीं। यही बातें आज अकाली दल, आम आदमी पार्टी के लिये मुद्दा बना गया है। विपक्ष की दोनों पार्टियों ने जहां मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बोली बोलने वाला कह दिया है वहीं भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने आग लगाई है,अब वे ही बुझायेंगे। मुख्यमंत्री कैप्टन ने कल एक अंग्रेजी समाचार पत्र को दिए अपने साक्षात्कार में कहा था कि बातचीत से ही मुद्दे हल होते हैं। उन्होंने साक्षात्कार के अंश लेकर मीडिया में प्रकाशित बयान को ‘गलत व्याख्या’ करार देते हुए कहा कि शरारत के साथ इस मुद्दे पर उनके पक्ष को गलत प्रभाव देने के लिए बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। साथ ही उन्होंने यह भी कहाकि कुछ समय से सीमा पार (पाकिस्तान) से हथियारों की तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं जो कि चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री ने कल के साक्षात्कार की बात को आज दोहराते हुए कहा कि उनका बयान स्पष्ट तौर पर कुछ किसान यूनियनों की तरफ से इस मुद्दे पर आई फीडबैक के संदर्भ में था, जिसको तोड़ मरोड़ कर पेश करते हुए समझौते के लिए उनके निजी सुझाव के तौर पर पेश किया गया। उनके पूरे बयान के संदर्भ में लाए जाने की बजाय, इस ख़ास मुद्दे (कृषि कानूनों के 24 महीनों के लिए निलंबन पर) को एक अलग बयान के तौर पर दिखाया गया जिसको उन्होंने तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया। मुख्यमंत्री ने चिंता प्रकट की कि पंजाब की सुरक्षा की नाजुक हालात को देखते हुए किसान मामले का शीघ्र समाधान किया जाना जरूरी है क्योंकि पिछले पांच-छह माह में सीमा पार से राज्य में हथियारों की तस्करी में वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने कुछ किसान नेताओं की उनके (मुख्यमंत्री) द्वारा आंदोलन में दख़ल देने की कोशिश करने की आशंकाओं को रद्द किया। इस मुद्दे पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर किसी भी दखलअन्दाज़ी या सीधे तौर पर मध्यस्थता को, जब तक कि दोनों पक्षों की तरफ से नहीं मांगी जाए, ऐसा कुछ भी करने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था ‘‘जहां तक मैं समझता हूं, वह यह है कि कुछ किसान नेता कृषि कानूनों को 18 माह तक के लिए स्थागित के लिए सहमत हैं, जिनकी अवधि 24 माह तक भी बढ़ाई जाने की संभावना हो सकती है।’’ मुख्यमंत्री ने उसी इंटरव्यू के दौरान यह भी कहा था कि जिस समय सीमा तक कानूनों पर रोक लगाने की बात हो रही है, वह पक्ष लगातार चर्चा का विषय है (सरकार और किसान यूनियन के दरमियान)। उन्होंने कहा कि यह फ़ैसला किसानों को ही करना पड़ेगा कि उनके हित में क्या है और किस हद तक खेती कानूनों को रद्द करने की अपनी माँग पर समझौता करें यदि वह वास्तव में इस तरह चाहते हैं और इसके लिए तैयार हैं। लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन के दिए गए साक्षात्कार पर प्रदेश में राजनीति जारी है। आम आदमी पार्टी के विधानसभा में नेता विपक्ष हरपाल सिंह चीमा का कहना था कि मुख्यमंत्री तो प्रधानमंत्री के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे है, जो प्रधानमंत्री कहते हैं, कैप्टन वो ही करते हैं। अकाली दल के वरिष्ठ नेता चरणजीत सिंह बराड़ का कहना था कि जो केंद्र सरकार चाहती है, मुख्यमंत्री वही बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का बस इतना ही कहना था कि कोई बातचीत का प्रस्ताव आयेगा को मंथन होगा। हिन्दुस्थान समाचार/ नरेंद्र जग्गा/रामानुज

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