chauri-chaura-festival-not-even-the-memorials-of-17-martyrs-were-made-in-banda
chauri-chaura-festival-not-even-the-memorials-of-17-martyrs-were-made-in-banda

चौरी-चौरा महोत्सव : बांदा में 17 शहीदों के स्मारक तक नहीं बने.

अनिल सिंह बांदा, 03 फरवरी (हि.स.)। 1857 से लेकर अब तक विभिन्न युद्ध और ऑपरेशन में हजारों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व सैनिक देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर चुके हैं। इनमें से कुछ शहीदों के स्मारक बने हैं, जबकि बड़ी संख्या में ऐसे शहीद हैं जिनके स्मारक तक नहीं बने है। जिससे आने वाली पीढ़ियां इनके बारे में कुछ नहीं जानती है। लेकिन वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार ने ज्ञात-अज्ञात शहीदों को चौरी-चौरा महोत्सव में याद करने का संकल्प लिया। इसी कड़ी में शहीद स्मारकों की खोजबीन हुई तो पता चला कि जनपद में 17 ऐसे शहीद हैं जिनके स्मारक तक नहीं बने हैं। प्रदेश में योगी सरकार द्वारा 4 फरवरी 1921 में गोरखपुर में हुए चौरी-चौरा कांड के शताब्दी वर्ष में 1857 से लेकर अब तक के शहीदों को याद करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत शहीदों के स्मारकों पर 1 साल तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसके लिए जनपद वार शहीद स्मारकों की खोजबीन कराई गई। इनमें बांदा में 17 ऐसे शहीद हो चुके हैं जिनके स्मारक नहीं है। इनमें 1962 भारत चीन युद्ध में शहीद हुए गनर कमल किशोर का स्मारक नहीं है जो ग्राम कमासिन तहसील बबेरू के निवासी थे। इसी युद्ध में ग्राम नौगांव तहसील नरैनी निवासी गंधर्व सिंह ने भी जान गवाई। 1965 में भारत-पाक युद्ध में ग्राम अलोना निवासी सुकुरुआ शहीद हुए थे। 1971 के भारत-पाक युद्ध में ग्राम रसूलपुर थाना तिन्दवारी निवासी जगराम सिंह शहीद हुए। इसी युद्ध में कालू कुआं निवासी ओमप्रकाश, ग्राम जौहरपुर निवासी सूरज पाल सिंह ग्राम झंझरी का पुरवा निवासी छोटे सिंह शहीद हुए थे। इसी तरह ऑपरेशन पवन श्रीलंका में पचनेही निवासी बेनी माधव सिंह ने देश के लिए बलिदान दिया था। ऑपरेशन मेघदूत में ग्राम नरौली निवासी चंद्रपाल सिंह और ग्राम लुकतारा निवासी ओंकार शहीद हुए थे। जम्मू कश्मीर में शिव सिंह ऑपरेशन रक्षा में शहीद हो गए। ग्राम पल्हरी निवासी राम भवन भी एक युद्ध में शहीद हुए। इसी तरह बेना मऊ तहसील बबेरू निवासी राजेंद्र प्रसाद ऑपरेशन रक्षक में शहीद हुए। इसी ऑपरेशन में ग्राम दिघवट निवासी रामप्रकाश और ऑपरेशन मेघदूत में ग्राम कंधोली तहसील नरैनी निवासी राजेश कुमार सिंह और ऑपरेशन रक्षक जम्मू कश्मीर में ग्राम मोहल्ला निवासी रामबहोरी ने अपने प्राण निछावर किए थे और जम्मू-कश्मीर ऑपरेशन रक्षा में ग्राम बुधनी तहसील बबेरू निवासी शिव सिंह ने अपने प्राण न्योछावर किए थे। इन सभी शहीदों के स्मारक नहीं बनाए गए हैं, जिससे इनके बारे में गांव के लोग भी कुछ नहीं बता पा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर जिले के करीब एक दर्जन स्थानों पर शहीदों के स्मारक बने हुए हैं। इनमें प्रमुख है भूरा गढ़ दुर्ग जहां 8 जून 18 59 में क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर मृत्यु दंड एवं आजीवन कारावास दिया गया था। यहां बनाए गए स्मारक में 28 शहीदों के नाम भी दर्ज है। इसी तरह ग्राम भूसासी में कारगिल शहीद हिमाचल सिंह पुत्र बृजभान सिंह का स्मारक बना है। जो कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के दौरान शहीद हुए थे। इसी तरह फतेहगंज क्षेत्र के ग्राम बघोलन में शहीद स्मारक बना हुआ है। यहां 22 जुलाई 2007 को एसटीएफ के 6 जवानों की डकैतों ने हत्या कर दी थी। इसी प्रकार पैलानी तहसील में पुराने थाने के पास शहीद स्मारक बना है। कहा जाता है कि, प्रथम युद्ध में यहां 45 सैनिक शहीद हुए थे। इसके अलावा मटौध ग्रामीण में अजीत कुमार प्रजापति का स्मारक बना हुआ है। 1971 की लड़ाई में शहीद हुए उदय भान सिंह की स्मृति में ग्राम औदहा विकासखंड कमासिन में स्मृति द्वार बना है। 1975 की लड़ाई में शहीद हुए वीरेंद्र कुशवाहा का स्मारक ग्राम सिमौनी थाना बबेरू में बना है। संतोष सिंह का स्मारक मियां बरौली गांव में बना हुआ है यह भी सेना में शहीद हुए थे। राम भवन पटेल छत्तीसगढ़ पुलिस में शहीद हुए थे इनका स्मारक मिलाथु थाना बबेरू क्षेत्र में बना है। इसी तरह ग्राम कैरी में योगेंद्र सिंह का स्मारक बना हुआ है। यह एसटीएफ छत्तीसगढ़ में शहीद हुए। श्याम बिहारी शुक्ला उत्तर प्रदेश पुलिस में शहीद हुए इनका स्मारक बिसंडा में बना है। सीताराम का स्मारक ग्राम फफूंदी में बना है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in