Central Ayurveda Research Institute will benefit farmers and youth in Bundelkhand
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बुन्देलखण्ड में केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान देगा किसान और नौजवान को लाभ

- नववर्ष पर बुन्देलखण्ड के लिए मोदी सरकार ने दिया बड़ा तोहफा महेश पटैरिया झांसी, 08 जनवरी (हि.स.)। आंग्ल नववर्ष 2021 बुन्देलखण्ड के लिए एक बड़ी सौगात लेकर आया है। प्रदेश सरकार की कोशिशें अन्ततः बुन्देलखण्ड को केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान बनवाने में सफल हो गई। इन कोशिशों के चलते मोदी सरकार ने बड़े तोहफे के रुप देश का पहला केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान वीरांगना नगरी झांसी में दिया है। इससे न केवल बुन्देलखण्ड में जड़ी बूटियों की खेती की ओर रुझान कर रहे किसानों को बल्कि नौजवानों को भी रोजगार के बड़े अवसर मिलने के आसार हैं। उत्तर प्रदेश के वीरांगना नगरी झांसी को सदैव स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम चिंगारी जगाने वाले स्थल के रुप में देखा जाता है। अब इसे पहले केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के रुप में भी जाना जाएगा। यहां के क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (आरएआरआई) को हाल ही में अपग्रेड कर केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) बनाये जाने के साथ ही यह देश का पहला ऐसा संस्थान बन गया है जहां आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने के साथ साथ उनके गुणवत्ता परीक्षण (क्वालिटी चैक) का काम भी किया जायेगा। संस्थान के प्रभारी सहायक निदेशक डॉ जी बाबू ने शुक्रवार को हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि केंद्रीय अनुसंधान संस्थान में हाल ही में अपग्रेड होने के बाद संस्थान में आयुर्वेद रिसर्च फार्मेसी भी शुरू होने जा रही है, जिसमें औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भी है। आयुर्वेद फार्मेसी में दवाओं के विविध प्रकार चूर्ण, वटी, गुटी, टेबलेट, थ्वाथ,तेल, घृत और अवलेह आदि बनाने की व्यवस्था है। इसके साथ ही कच्ची औषधि से लेकर फाइनल प्रोडक्ट सभी के गुणवत्ता परीक्षण के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशाला भी संस्थान में बनायी गयी है। आयुर्वेद फार्मेसी और औषधि परीक्षण प्रयोगशाला के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण बीते रोज सात जनवरी को केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद येसो नाईक द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के अपर सचिव प्रमोद पाठक, सीसीआरएएस दिल्ली के महानिदेशक प्रो वैद्य के एस धीमान और विधायक झांसी नगर रविशर्मा भी उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि दोनों नवनिर्मित भवनों को पूरी तरह से डब्लयूएचओ के तय मानकों के हिसाब से बनाया गया है जहां अनुसंधान और दवा गुणवत्ता परीक्षण के लिए जरूरी अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया करायी गयीं हैं। संस्थान में आयुर्वेदिक दवाओं को रिसर्च के हिसाब से तैयार किया गया है। इसके बाद इन दवाओं को क्नीनिकल टेस्ट के लिए भेजा जायेगा। क्लीनिकल टेस्ट के बाद इन दवाओं के आमजन के इस्तेमाल में आने की संभावना काफी बढ जायेगी। इस पहल से आयुर्वेदिक दवाओं के अनुसंधान में तेजी आयेगी साथ ही आयुर्वेद का प्रचार प्रसार भी बढेगा। इसके अलावा संस्थान में राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड आयुष मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजना चल रही है जिसके तहत देश के विभिन्न एग्रो क्लामेट जोंस में स्थित केंद्रीय आयर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) के संस्थानों द्वारा भेजी जाने वाली कच्ची औषधि सेंपलों का संग्रहण केंद्र के रूप में स्थापित किया जायेगा। इसे राष्ट्रीय मानक औषध संग्रहालय का नाम दिया गया है। यहां अधिकृत ड्रग रॉ मटीरियल के बारे में प्रशिक्षण और विस्तृत जानकारी भी दी जायेगी। इस परियोजना से आम लोगों को आयुर्वेदिक कच्ची औषधियों के बारे में सटीक और विस्तृत जानकारी दी जायेगी जो औषधीय पौधों पर शोधकार्य करने वाले शोधार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी। संस्थान में कच्ची औषधि द्रव्य संग्रहालय और औषधीय पौधों का गार्डन भी आयुर्वेद पढ़ने वाले छात्रों और शोधार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। संस्थान में माइक्रो बायलॉजी लैब भी बनायी जा रही है जिसमें कच्ची औषधियों और फाइनल प्रोडक्ट की सुरक्षा तथा अन्य मापदंडों का आकलन किया जायेगा। एक लाख पादपों का डाटाबेस सुरक्षित उन्होंने बताया कि लैब में करीब एक लाख औषधि संबंधी पादपों का डाटा बेस मैनुअली और डिजिटली तैयार कर लिया गया है। इसके माध्यम से यहां बुन्देलखण्ड में पाए जाने वाली अधिकांश औषधियों के बारे में पूरी जानकारी दी जा सकेगी। बुन्देलखण्ड के लिए वरदान यह अनुसंधान संस्थान बुन्देखण्ड के लिए भविष्य का वरदान सिद्ध होगा। साथ ही हर्बल खेती करने वाले किसानों के लिए यह खास लाभान्वित करेगा। किसानों को अपनी जड़ी बूटियों को विक्रय करने का भी उचित स्थान उपलब्ध हो जाएगा। यही नहीं इसी के साथ ही नौजवानों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। 50 बैड की ओपीडी से होगा कायाकल्प बुन्देलखण्ड के लोगों को आयुर्वेद संस्थान में पहली बार 50 बैड की ओपीडी मिलने जा रही है। अब बड़े से बड़े उपचार के लिए भी यहां के लोगों को कहीं बाहर जाने की जरुरत नहीं होगी। अभी तक यह महज एक शोध केन्द्र था। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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