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केंद्र ने दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को किया अधिसूचित

- डिसेबिलिटी एक्ट के तहत उपलब्ध फंड के बारे में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा हलफनामा नई दिल्ली, 19 अप्रैल (हि.स.)। केंद्र सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए नेशनल हेल्थ पॉलिसी फॉर रेयर डिसीजेस को पिछले 30 मार्च को नोटिफाई कर दिया है। इस बात की सूचना आज केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को दी। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो हलफनामा दायर कर ये बताएं कि डिसेबिलिटी एक्ट के तहत कितना फंड उपलब्ध है। इस मामले पर अगली सुनवाई 20 मई को होगी। हाईकोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया कि वो दस दिनों के अंदर बताएं कि जितने याचिकाकर्ता हैं, उनकी बीमारियों के इलाज में कितना खर्च आएगा। हाईकोर्ट ने ये नोट किया कि केंद्र सरकार ने एम्स को रेयर डिसीज के इलाज के लिए दिया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि अगर एम्स को और खर्च की जरूरत होगी तो वो उपबल्ध कराएगी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि डिसेबिलिटी एक्ट की धारा 86 के तहत फंड का प्रावधान है। उस फंड को भी रेयर डिसीज के बीमारों पर खर्च किया जा सकता है। अर्नेश शॉ नामक बच्चे ने याचिका दायर की थी। पिछले 23 मार्च को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो नेशनल हेल्थ पॉलिसी फॉर रेयर डिसीजेस को 31 मार्च तक लागू करें। कोर्ट ने केंद्र सरकार को दुर्लभ बीमारियों के इलाज के रिसर्च करने के लिए एक कमेटी और एक फंड गठित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने नेशनल कंसोर्टियम फॉर रिसर्च, डेवलपमेंट एंड थेराप्युटिक फॉर रेयर डिसीजेस नामक कमेटी का गठन करने और रेयर डिसीजेस फंड गठित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि रेयर डिसीजेस कमेटी एम्स में गठित की जाएगी जहां रेयर डिसीज से पीड़ितों के आवेदनों के इलाज और खर्च पर विचार किया जाएगा। अगर एम्स में सीधे कोई आवेदन आता है तो कमेटी उस पर दो हफ्ते के अंदर विचार करेगी। अगर कोई आवेदन दूसरे संस्थान में दिया जाता है तो उस आवेदन पर ये कमेटी चार हफ्ते के अंदर विचार करेगी। कोर्ट ने कहा था कि पिछले तीन सालों के दौरान रेयर डिसीज के लिए आवंटित जो फंड खर्च नहीं किया जा सका है, उसे रेयर डिसीज फंड में ट्रांसफर किया जाएगा। इस फंड की देखरेख एम्स करेगा जो कि इस फंड की नोडल एजेंसी होगी। कोर्ट ने कहा था कि इसके लिए लोगों से दान लेने के लिए जो डिजिटल प्लेटफार्म बनाया जाएगा, उसे इस फंड से लिंक किया जाएगा। कोर्ट ने कहा था कि सरकार आगामी वित्तीय वर्ष में रेयर डिसीज पर बजट बढ़ाने पर विचार करे। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत

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