शोधकर्ताओं ने किया बड़ा दावा कोविड-19 मरीज से 9 दिन बाद नहीं फैलता संक्रमण
शोधकर्ताओं ने किया बड़ा दावा कोविड-19 मरीज से 9 दिन बाद नहीं फैलता संक्रमण

शोधकर्ताओं ने किया बड़ा दावा कोविड-19 मरीज से 9 दिन बाद नहीं फैलता संक्रमण

शोधकर्ताओं ने किया बड़ा दावा कोविड-19 मरीज से 9 दिन बाद नहीं फैलता संक्रमण दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर अनेक शोध चल रहे है। इलाज और वैक्सीन से लेकर सार्स कोव-2 (SARS CoV-2) के बार्ताव पर भी शोध चल रहे हैं। इसमें संक्रमित होने के बाद मरीज की स्थिति और उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अन्य प्रभावों पर भी अध्ययन हो रहे हैं। इसी कड़ी में ताजा शोध में दावा किया गया है कि कोविड-19 मरीज से 9 दिन बाद संक्रमण नहीं फैलता है। इस वायरस को लेकर यह बहुत बड़ा दावा माना जा रहा है। यूके के शोधकर्ताओं ने 98 शोधों के आंकड़ों का अध्ययन किया और उनके आधार पर वे इस नतीजे पर पहुंचे। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार अगर कोविड-19 मरीज के गले, नाक, मल में नौ दिन बाद भी कोरोना वायरस की मौजूदगी पाई जाती है, तो भी उससे संक्रमण नहीं फैलता है।शोधकर्ताओं ने सार्स कोव-2 के 79 शोधों के अलावा 8 सार्स कोव-1 और 11 मार्स कोव के शोधों को भी अपने अध्ययन में शामिल किया था। देश में कोरोना के रिकॉर्ड 52 हजार नये मामले, संक्रमितों का आंकड़ा 15.83 लाख के पार इस अध्ययन में बताया गया है कि वायरस का जो जेनेटिक पदार्थ यानि कि RNA गले में 17 से 83 तक रहता है। लेकिन यह RNA खुद संक्रमण नहीं फैलाता। प्रमुख शोधकर्ता मुगे केविक और एंटोनियो ने PCR टेस्ट ऐसे जेनेटिक पदार्थ (RNA) की पहचान करता है जो संक्रमण नहीं फैलाता, लेकिन संवेदनशीलता के कारण उसकी पहचान हो जाती है। वहीं नौ दिन के बात वायरस का कल्चर विकसित करने के सारे प्रयास विफल रहते हैं। इस शोधपत्र में प्रमुखता से कहा गया है कि सार्स कोव-2 का RNA लंबे समय तक श्वसन तंत्र और मल में पाया जाता है लेकिन संक्रमण में सक्षम वायरस कम ही समय के लिए रह पाता है। इसी वजह से RNA की मौजूदगी का मिलना यह नहीं बताता कि मरीज से संक्रमण फैल सकता है। शोधकर्ताओं ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि बहुत से अध्ययनों का यह मानना है कि सार्स कोव-2 संक्रमित मरीजों में वायरल लोड बुखार के पहले सप्ताह में बहुत ज्यादा होता है, यह लक्षण दिखने से पहले 5 दिन में सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाने में सक्षम होता है। बहुत से मरीजों का जब तक टेस्ट होता है तब के वे अपने संक्रमण फैलाने का समय काफी कुछ निकाल चुके होते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे स्पष्ट होता है कि मरीज को शुरुआती दिनों में आईसोलेट करना कितना अहम है। इसके अलावा जिन संक्रमितों में लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं, वे भी शुरुआत में ही संक्रमण ज्यादा फैला सकते हैं। इस रिपोर्ट से एक फायदा यह भी हो सकता है कि किसी मरीज को अस्पताल में लंबे समय तक रखने की जरूरत खत्म की जा सकती है। इससे दूसरे मरीजों का इलाज जल्दी हो सकेगा और अस्पताल और स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी दबाव कम होने की पूरी संभावना है। वर्ल्डोमीटर के अनुसार इस समय पूरी दुनिया में 1 करोड़ 71 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि फिलहाल केवल 58 लाख से ज्यादा लोग सक्रिय तौर पर संक्रमित हैं. वहीं भारत में अब तक हुए संक्रमितों की संख्या 15 लाख 80 हजार से ज्यादा और सक्रिय मामलों की संख्या 5 लाख 28 हजार से ज्यादा हो चुकी है। भारत में यह संक्रमण इस समय सबसे तेजी से फैल रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि इस अध्ययन की भारतीय परिपेक्ष्य में समीक्षा कर फैसले लिए जा सकते हैं जिससे मरीजों को फायदा हो सके। Thank You, Like our Facebook Page - @24GhanteUpdate 24 Ghante Online | Latest Hindi News-24ghanteonline.com

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