राजीव गांधी सरकार ने 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय किया
राजीव गांधी सरकार ने 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय किया

राजीव गांधी सरकार ने 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय किया

राजीव गांधी सरकार ने 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय किया बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने के प्रस्ताव पर भी मोदी कैबिनेट की मुहर लग चुकी है। नई शिक्षा नीति पर देश के अलग-अलग हिस्सों में बहस छिड़ी हुई है। सरकार के इस फैसले को लेकर अब शिक्षा जगत के जानकार भी बंटे हुए हैं। 35 साल पहले का वो किस्सा जब शिक्षा मंत्रालय का नाम बदल दिया गया था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदला नहीं गया है बल्कि उसे पुराना नाम वापस दिया गया है जिस नाम से वह आजादी के बाद से 1985 तक जाना जाता था। 35 साल पहले 1985 में राजीव गांधी सरकार ने शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया था। इस मंदिर में सुहागरात से पहले जरूरी है जाना, मुस्लिम भी मानते हैं ये प्रथा 1984 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने के बाद कई क्षेत्रों में परिवर्तन और नवाचार करना चाहते थे। उस वक्त वे तमाम सलाहकारों से घिरे रहा करते थे। उन्हीं में से एक सुझाव को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने स्वीकार कर शिक्षा मंत्रालय का नाम बदल दिया था। उस वक्त इसके पीछे तर्क दिए गए थे कि देश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए शिक्षा से संबंधित सभी विभागों को एक छत के नीचे लाया जाना चाहिए। जिसके बाद 26 सितंबर, 1985 को शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया और पी वी नरसिम्हा राव को उस विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया। उस वक्त संस्कृति, युवा और खेल जैसे संबंधित विभागों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत लाया गया था। इनके लिए राज्य मंत्री नियुक्त किए गए थे। यहां तक कि महिला और बाल विकास विभाग, जो 30 जनवरी, 2006 से एक अलग मंत्रालय बन गया, उस वक्त केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत एक विभाग था। राजीव गांधी के इस फैसले का उस वक्त तमाम लोगों ने विरोध भी किया था। अकादमिक हलकों ने शिकायत की थी कि देश में अब कोई ‘शिक्षा’ विभाग ही नहीं बचा, लेकिन फैसला लिया जा चुका था। इसके बाद 1986 में राजीव गांधी सरकार ने एक नई शिक्षा नीति को भी मंजूरी दी। देश के इतिहास में वह दूसरी शिक्षा नीति थी। वही शिक्षा नीति अब तक चली आ रही थी। 35 सालों के बाद अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार हुआ है। यहां आपको यह भी बता दें कि जिस तर्क के साथ राजीव गांधी ने शिक्षा मंत्रालय को बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय किया था वह ज्यादा दिन चल नहीं सका था। 1999 में एचआरडी मंत्रालय में से संस्कृति विभाग को अलग कर संस्कृति मंत्रालय बना दिया गया था। इसके अलावा युवा विभाग को भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अलग कर दिया गया था। यह काम अक्टूबर 1999 में अटल सरकार के कार्यकाल में किया गया था। 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बड़े कुनबे को काट-छांट कर कुछ छोटा करने का निर्णय लिया। जिसी वजह से अक्टूबर 1999 में, एक नया संस्कृति मंत्रालय अस्तित्व में आया, जिसकी जिम्मेदारी उस वक्त अनंत कुमार को दी गई थी। इसके अलावा वहां से अलग हुए युवा विभाग का प्रभार भी अनंत कुमार को ही दिया गया था। वाजपेयी सरकार के इन फैसलों के साथ, एचआरडी मंत्रालय केवल नाम में ‘एचआरडी’ बना रहा, जबकि व्यावहारिक रुप से वह शिक्षा मंत्रालय के स्वरुप में वापस आ गया था। Thank You, Like our Facebook Page - @24GhanteUpdate 24 Ghante Online | Latest Hindi News-24ghanteonline.com

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