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क्या अफगान पराजय के बाद आसियान देशों के बीच विश्वास बहाल कर सकती हैं कमला हैरिस?

नई दिल्ली, 24 अगस्त: अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस फिलहाल दक्षिण-पूर्व एशिया के दौरे पर हैं और उनका यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब अमेरिका के लिए यह एक कठिन समय माना जा रहा है। यह इसलिए है, क्योंकि जो घटनाक्रम अफगानिस्तान में देखने को मिल रहा है, उससे अमेरिका की विश्वसनीयता अब तक के सबसे निचले स्तर पर है और उनकी सैन्य प्रतिष्ठा चरमरा गई है। सहयोगी सोच रहे हैं कि क्या अब वाशिंगटन का समय खत्म हो चुका है और क्या क्षेत्रीय तनाव और संघर्ष के मामले में इस पर भरोसा किया जा सकता है। हैरिस की यात्रा उस समय हुई है, जब काबुल की स्थिति अस्थिर है और यहां दो दशकों के अमेरिकी समर्थन के बाद भी कुछ नहीं बदल सका और अमेरिकी सेना की वापसी शुरू होते ही तालिबान ने देश पर कब्जा करना शुरू कर दिया और अब तो वह काबुल तक पहुंच चुका है और देश भर में अपना नियंत्रण स्थापित कर चुका है। अमेरिका के लिए इस समय स्थिति यह है कि उसे अपने सैनिकों की वापसी भी बड़ी हड़बड़ी में करनी पड़ रही है, जो कि उसके लिए शर्मनाक तो है ही साथ ही अपने सहयोगियों के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता पर भी सवालिया निशान है। दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन द्वारा पड़ोसियों को डराने के लिए अपने वायु और नौसेना बलों के उपयोग के कारण क्षेत्र में तनाव बना हुआ है और इस क्षेत्र के देश सोच रहे हैं कि क्या चीन के साथ संघर्ष होने पर अमेरिका पर भरोसा किया जा सकता है। चीन की ओर से ताइवान को लेकर अपनाई जाने वाली रणनीति पर भी स्पष्टता नहीं है और दूसरे देशों को लगता है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो जापान भी शायद पीछे न रहे। ताइवान और जापान दोनों ने अलग-अलग चीन के मुद्दे को अमेरिका के साथ कई बार उठाया है। टोक्यो ने कहा है कि अगर बीजिंग ताइवान पर घुसपैठ शुरू करता है तो अमेरिका और जापान को सैन्य हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। अफगानिस्तान के टूटने के साथ, अमेरिकी सहयोगी- जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और, दक्षिण-पूर्व एशिया के देश सोच रहे हैं कि क्या अमेरिका सही मायनों में चीनी आधिपत्य को समाप्त कर भी सकता है या नहीं। हैरिस की यात्रा सहयोगियों को आश्वस्त करने और क्षेत्र में अमेरिकी हितों के बारे में उनमें विश्वास जगाने के लिए है। सोमवार को सिंगापुर में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि अमेरिका की तत्काल प्राथमिकता अमेरिकी नागरिकों, अफगान सहयोगियों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों को निकालना है। उन्होंने कहा, हमारी एक जिम्मेदारी है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक गहरी प्रतिबद्धता महसूस करते हैं कि जिन लोगों ने हमारी मदद की वे सुरक्षित हों। सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग के साथ उनकी बातचीत बाइडेन प्रशासन के करीब के मुद्दों पर थी - जलवायु परिवर्तन से निपटना, विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण और कोरोनावायरस से पीड़ित अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करना। ली ने अफगानिस्तान में अमेरिकी हस्तक्षेप की सराहना करते हुए कहा कि वह 20 साल तक आतंकी समूहों को रोकने में सक्षम रहा, लेकिन साथ ही कहा कि देश को एक बार फिर आतंकवाद का केंद्र नहीं बनना चाहिए। हैरिस मंगलवार को वियतनाम पहुंचेंगी। वाशिंगटन ने आसियान केंद्रीयता के बारे में बात करके इस क्षेत्र को महत्व दिया है। हैरिस की सिंगापुर और वियतनाम यात्रा से पहले रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने जुलाई के अंत में सिंगापुर, वियतनाम और फिलीपींस का दौरा किया था। उनकी यात्रा सैन्य और सुरक्षा मुद्दों के बारे में थी, जिसमें अमेरिका ने क्षेत्रीय देशों को महत्वपूर्ण शिपिंग लेन को खुला रखने और चीनी खतरे से सुरक्षित रखने के लिए आश्वस्त किया था। इस दौरान उन्हें अमेरिकी सैनिकों के लिए आधार बनाए रखने के बारे में फिलीपींस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने में सफलता मिली। हैरिस की यात्रा अमेरिकी कोविड-19 टीकों के माध्यम से साझेदारी को मजबूत करने के बारे में है, जिसे चीनी से बेहतर माना जा रहा है। इसके अलावा आईटी और प्रौद्योगिकी सहयोग को मजबूत करने के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना भी इसका उद्देश्य है। विचार इस क्षेत्र में न केवल चीनी सैन्य महत्वाकांक्षाओं को रोकना है, बल्कि रिश्तों, व्यापार और प्रौद्योगिकी के माध्यम से यह भी साबित करना है कि अमेरिका भू-राजनीतिक तौर पर विश्वसनीय और सबसे आगे है। (यह आलेख इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है) --इंडिया नैरेटिव एकेके/एएनएम

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