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केंद्र के साथ बैठक में बीएमएस ने उठाया संविदा कर्मचारियों का मुद्दा

- श्रम मंत्री ने श्रम संहिताओं पर विचार के लिए बीएमएस समेत 15 संगठनों के साथ की बैठक नई दिल्ली, 20 जनवरी (हि.स.)। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने संसद से पारित श्रम कानूनों में संविदा कर्मचारियों को संरक्षण देने की मांग की है। बीएमएस ने कहा है कि पीएफ अंशदान के लिए श्रम कानूनों में पहले की ही तरह कम से कम 10 कर्मचारियों का नियम बरकरार रखा जाना चाहिए। सरकार ने संबंधित श्रम संहिता में यह संख्या 50 कर दी है, जिसका बीएमएस विरोध कर रहा है। सीटू समेत 14 सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने संसद से पारित चारों श्रम संहिताओं को श्रमिकों के खिलाफ बताया है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार के साथ बुधवार को चार श्रम संहिताओं को लेकर हुई परामर्श बैठक के दौरान बीएमएस ने यह मांग उठाई। बीएमएस के अलावा इस बैठक में सीटू समेत 14 अन्य सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। श्रम मंत्रालय के संयुक्त सचिव आरके गुप्ता भी बैठक में उपस्थित थे। बैठक में बीएमएस की ओर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस. मल्लेशम, राष्ट्रीय मंत्री निलिमा चिमोटे और क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि सीटू समेत अन्य सेंट्रल ट्रेड यूनियन; पिछले साल संसद से पारित श्रम संहिताओं को श्रमिकों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं। इन ट्रेड यूनियनों का कहना है कि सरकार ने इस कानून के मसौदे पर न तो संसद में चर्चा की और न श्रमिक संगठनों से ही चर्चा करना मुनासिब समझा। बीएमएस के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि हमने बैठक में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के पीएफ अंशदान और ईएसआई से जुड़े कई प्रमुख मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के सभी कर्मचारियों के पीएफ अंशदान को जरूरी बनाया जाना चाहिए। एक भी कर्मचारी यदि छूटता है तो इसके लिए संबंधित कंपनी का सर्वोच्च अधिकारी जिम्मेदार माना जाए। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की कई कंपनियां ऐसी भी हैं, जहां कर्मचारी वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन न तो उसका पीएफ कटता है और न ही ईएसआई में पंजीकरण किया गया है। जिन कर्मचारियों का वेतन अधिकतम 21 हजार रुपये मासिक है, वे ईएसआई के दायरे में आते हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा 29 से अधिक केंद्रीय श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में समेटा गया है। इन श्रम संहिताओं में सामाजिक सुरक्षा बिल 2020, आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता बिल 2020, औद्योगिक संबंध संहिता बिल 2020 और मजदूरी संहिता विधेयक 2019 शामिल हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ पवन-hindusthansamachar.in

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