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भाजपा संसदीय बोर्ड जल्द तय करेगा नगर निगमों के महापौरों के नाम

- अहमदाबाद में पहले कार्यकाल में अनुसूचित जाति का होगा महापौर, दूसरे कार्यकाल में महिला - राजकोट में पहली ओबीसी उम्मीदवार और बाद में महिला बन सकेगी महापौर गांधीनगर / अहमदाबाद, 25 फरवरी (हि.स.)। गुजरात की छह नगर निगम चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद अब यहां महापौर चुनने की कवायद शुरू हो गई है। भाजपा का राज्य संसदीय बोर्ड अगले दो दिन में महापौर चयन करने के लिए बैठक करेंगे। बैठक में चयनित तीन उम्मीदवारों के पैनलों में से एक का चयन किया जायेगा। आरक्षण नियम के तहत महिला महापौर तीन शहरों में पहले ढाई साल तक शासन करेंगी। इन नियम के मुताबिक नगर निगमों में ढाई साल बाद महापौर बदल दिया जायेगा। राज्य के छह नगर निगमों मेें महापौर चयन की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। अहमदाबाद में महापौर के लिए नाम चौंकाने वाला हो सकता है। संसदीय बोर्ड और वरिष्ठ नेता भी अहमदाबाद की कमान एक साधारण व्यक्ति को देने के पक्ष में लग रहे हैं। नगर निगम में दो बार पार्षद रह चुके किरीट परमार का नाम सबसे आगे चल रहा है। कई वर्षों से भाजपा से जुड़े परमार एक साधारण गरीब परिवार से हैं। भाजपा उन्हें महापौर बनाकर एक संदेश देना चाहती है कि एक साधारण व्यक्ति भी महापौर बन सकता है। दूसरी तरफ, लंबे समय से आरएसएस में सक्रिय रहे हिमांशु वाला की भी महापौर की दौड़ में हैं। उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। दूसरी ओर, डिप्टी मेयर के रूप में सरसपुर के भास्कर भट्ट और जतिन पटेल के नामों की चर्चा हो रही है। वडोदरा में हितेंद्र पटेल, मनोज पटेल, केतन पटेल, केयूर रकाडिया और पराक्रम सिंह जडेजा के नाम महापौर पद की दौड़ में हैं। राजकोट में नगर निगम के महापौर के लिए हिरेन खमानिया, डॉ. अल्पेश मनसुखभाई मोरजरिया, डॉ. प्रदीप रामभाई डव और बाबूभाई उधारेजा के नामों पर चर्चा चल रही है। नगर निगमों में इस आरक्षण क्रम में बनेंगे महामौर राज्य में 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मेयर और अन्य पदाधिकारियों करने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।गुजरात सरकार की आरक्षित नीति के अनुसार निगम में ढाई-ढाई साल के लिए महापौर चुने जाएंगे। इनके आरक्षण का क्रम भी घोषित किया जा चुका है। अहमदाबाद के महापौर का पहला कार्यकाल अनुसूचित जाति के लिए और दूसरा कार्यकाल में महिलाओं के लिए आरक्षित है। अहमदाबाद नगर निगम में 192 सीटों में से भाजपा ने 159 और कांग्रेस ने 25 सीटें जीती हैं। इसी तरह सूरत नगर निगम में पहले महिला और फिर सामान्य श्रेणी का महापौर बनेगा। सूरत में 120 सीटों में से भाजपा ने 93 और आम आदमी पार्टी ने 27 सीटें जीती हैं। आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार विपक्ष के रूप में मैदान में होगा। सूरत में महापौर पद के लिए पाटीदार नेता चुने जाने की संभावना है। वडोदरा नगर निगम में पहले सामान्य उम्मीदवार और दूसरे कार्यकाल में महिला महापौर बन सकेगी। वडोदरा में 76 सीटों में से भाजपा ने 69 और कांग्रेस ने केवल सात सीटें जीती हैं। राजकोट नगर निगम में पहले ओबीसी और दूसरे कार्यकाल में महिला उम्मीदवार महापौर बनेगी। राजकोट में 72 सीटों में से भाजपा ने 68 और कांग्रेस के पास केवल चार सीटों पर कब्जा जमाया है। भावनगर नगर निगम में पहले महिला और बाद में ओबीसी उम्मीदवार महापौर बनेगा। भावनगर में 52 सीटों में से भाजपा ने 44 और कांग्रेस ने शहर में आठ सीटें जीती हैं। इसी तरह जामनगर नगर निगम में पहले कार्यकाल के लिए महिला महापौर बनेंगी और दूसरे कार्यकाल के लिए अनुसूचित जाति के उम्मीदवार को महापौर बनने का मौका मिलेगा। यहां 64 सीटों में से भाजपा ने 50 और कांग्रेस ने 11 सीटें जीती हैं। हिदुस्थान समाचार/हर्ष/पारस

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