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देशभक्ति की विचारधारा को सब कुछ मानती है भाजपाः मोदी

नई दिल्ली, 11 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान देश के गाँव-गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के भविष्य निर्माण का माध्यम बन रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विचारधारा देशभक्ति को ही अपना सब कुछ मानती है और ‘राष्ट्र प्रथम’ की बात करती है। मोदी ने यहां भाजपा मुख्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर आयोजित समर्पण कार्यक्रम के तहत पार्टी सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा और उसके नेतृत्व की सरकार महात्मा गांधी के उन सिद्धांतों पर चल रही है जो प्रेम और करुणा के पाठ पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने बापू की 150वीं जयंती भी मनाई और उनके आदर्शों को अपनी राजनीति में एवं अपने जीवन में भी उतारा। ये भाजपा की ही सरकार है जिसने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को वह सम्मान दिया जिसके वे हकदार थे। सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनवाकर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया। बाबा साहब अंबेडकर को भी भारत रत्न तब मिला जब केंद्र में भाजपा के समर्थन से सरकार बनी थी। मोदी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य के प्रति समर्पित एवं संकल्पित लोग देश के लिए तो मूल्यवान होते ही हैं, किसी भी संगठन के लिए भी उतने ही मूल्यवान होते हैं। ऐसे लोगों को भाजपा से जोड़ना भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमारे संगठन के ‘मात्रात्मक’ और ‘गुणात्मक’ विस्तार का भी यह सही अवसर है। उन्होंने सासंदों एवं पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि पंडित दीनदयाल, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, रबीन्द्रनाथ टैगोर, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे महापुरुषों के बारे में जरूर पढ़ें। इससे उनके राजनैतिक जीवन में एक नई दिशा मिलेगी और वह समाज में एक अलग छाप छोड़ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्ममानव दर्शन का सिद्धांत सदैव प्रासंगिक रहेगा। उनका मानना था कि एक सबल राष्ट्र ही विश्व को योगदान दे सकता है। यही संकल्प आज आत्मनिर्भर भारत की मूल अवधारणा है। इसी के बल पर देश आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। मोदी ने कहा कि कोरोनाकाल में देश ने अंत्योदय की भावना को सामने रखा और अंतिम पायदान पर खड़े हर गरीब की चिंता की। आत्मनिर्भरता की शक्ति से देश ने एकात्ममानव दर्शन को भी सिद्ध किया, पूरी दुनिया को दवाएं पहुंचाईं और आज हम वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल कहते थे कि हमें सिर्फ खाद्यान्न में ही नहीं बल्कि शास्त्रों और विचार के क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत को विदेशों से हथियारों पर निर्भर होना पड़ा था लेकिन आज रक्षा के क्षेत्र में भी भारत आत्मनिर्भर बन रहा है। आज भारत की विदेश नीति दबाव और प्रभाव से मुक्त होकर, राष्ट्र प्रथम के नियम से चल रही है। लोकल इकोनॉमी पर पंडित दीनदयाल का विज़न इस बात का प्रमाण है कि उनकी सोच कितनी व्यापक थी। आज ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से देश इसी विज़न को साकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि जो निर्णय देश में बहुत कठिन माने जाते थे, राजनीतिक रूप से मुश्किल माने जाते थे, केंद्र सरकार ने वे सभी निर्णय लिये, सबको साथ लेकर लिये और इन्हें सफलतापूर्वक लागू किया। मोदी ने कहा कि दल अलग हो सकते हैं, विचार अलग हो सकते हैं, चुनाव में पूरी शक्ति से एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं लेकिन भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान करती है। राजनीतिक अस्पृश्यता का विचार उसका संस्कार नहीं है। हाँ, ये बात अवश्य है कि भाजपा में वंशवाद को नहीं, कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जबकि वे भाजपा के आलोचक रहे। प्रणब मुखर्जी, तरुण गोगोई, एस.सी.जमीर इनमें से कोई भी राजनेता भाजपा या उसके गठबंधन का हिस्सा कभी नहीं रहे लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। हिन्दुस्थान समाचार/अजीत-hindusthansamachar.in

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