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बिहार: बक्सर में काले हिरण को बचाने की कवायद, बनेगा रेस्क्यू सेंटर

बक्सर, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। बिहार के बक्सर जिले में काले हिरणों का मिलना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन अब इनके संरक्षण और संवर्धन की कवायद प्रारंभ की गई है। बक्सर के कई क्षेत्रों में काले हिरण पाए जाते हैं, अब जिला प्रशासन नावानगर प्रखंड में 12 एकड़ सरकारी जमीन का चयन कर रेस्क्यू सेंटर बनाने की योजना बनाई है, जिसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। बक्सर के जिलाधिकारी अमन समीर आईएएनएस को बताते हैं, बक्सर के विभिन्न इलाकों का दौरा करने के क्रम में जंगली इलाकों में अक्सर काले हिरण विचरण करते दिखते हैं। ऐसे में अब इनके संरक्षण और संवर्धन को लेकर जिला प्रशासन ने एक प्रसताव राज्य सरकार को भेजा है। उन्होंने कहा कि नावानगर में 12 एकड़ भूमि को चयन कर रेस्क्यू सेंटर बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग को भेजा गया है। समीर का मामना है, सरकार की मंजूरी मिलने के बाद इसका कार्य प्रारंभ हेागा। उनका मानना है कि यहां इन विलुप्त प्रजातियों को बचाया जा सकेगा बल्कि कुत्तों या जंगली जानवरों का शिकार हुए हिरणों को लाकर रखा जाएगा और उनके इलाज की भी समुचित व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले के नैनीजोर स्थित गंगा के किनारे, बिहार घाट, शिवपुर दियारे भदवर गांव के जमुई वन, चैगाईं, सरैयां, राजपुर के इलाके में ये हिरण पाए जाते हैं। बक्सर के जिलाधिकारी बताते हैं कि इसके लिए स्थानीय वन प्रमंडल पदाधिकारी से भी बात की गई है। बताया जाता है कि वन विभाग भी अभयारण्य तैयार करने की योजना बनाकर विभाग को प्रस्ताव भेजा है। समीर बताते हैं, वन एवं पर्यावरण विभाग से बातचीत कर इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने की कवायद जारी है। यहां काले हिरणों को लाकर रखा जाएगा, जिसे आने वाले पर्यटक भी इनका दीदार कर सकेंगे। बक्सर में हिरणों की कई प्रजातियां पाई जाती है। ग्रामीणों की मानें तो बक्सर के इलाकों में काले हिरण, बारासिंघा, चिंकारा व सांभर प्रजाति के हिरण मिलते थे, लेकिन अब बारासिंघा और चिंकारा की प्रजाति के हिरण कम दिखाई पड़ते हैं। जिला प्रशासन का मानना है कि बक्सर पौराणिक महत्व की धरती है, जिस कारण पर्यटक यहां आते हैं, अभयारण्य के बनने के बाद पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है। एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष सरकार करीब 10 वर्ष पहले भी इस इलाके में ब्लैक बक सफारी नाम से योजना भी बनाई थी, लेकिन यह योजना सरकारी सरजमीं पर नहीं उतरी। ग्रामीण बताते हैं कि यहां हिरणों की संख्या अधिक होने के कारण शिकारियों की नजर इस क्षेत्र में बनी रहती है। अक्सर यहां हिरणों के शिकार की घटनाएं होती रहती है। कई मामलों में शिकारियों की गिरफ्तारी भी होती है, लेकिन अभयारण्य बनने के बाद शिकारियों की गतिविधियों पर रोक लग सकेगी। --आईएएनएस एमएनपी/आरजेएस

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