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सोल्यूशन का हिस्सा बनें, पोल्यूशन का नहीं : सोलर गांधी

-सोलर सब्सिडी बंद कर उस पैसे से सरकारी भवनों पर सोलर प्लांट लगाकर जनता को फायदा दिखाएं सरकारें उदयपुर, 08 फरवरी (हि.स.)। सोलर गांधी के नाम से पहचाने जाने वाले आईआईटी मुम्बई के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी का कहना है कि सरकारें सोलर सब्सिडी को बंद कर उस पैसे का इस्तेमाल सरकारी भवनों, सरकारी स्कूलों में सोलर प्लांट लगाने में करें। इन भवनों से बिजली बिल खत्म हो जाने के उदाहरण जब लोगों के सामने पहुंचेंगे तब लोगों का रुझान इस ओर बढ़ेगा। तभी हम आने वाले समय में प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ पाएंगे और धरती पर बढ़ रहे प्रदूषण को कम कर पाएंगे। अपने मोबाइल सोलर घर के साथ उदयपुर पहुंचे प्रो. सोलंकी ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में बताया कि वे सौर ऊर्जा के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 26 नवम्बर 2020 को भोपाल से रवाना हुए और अलग-अलग शहरों में नागरिकों, छात्र-छात्राओं के बीच अपनी बात रखते हुए उदयपुर पहुंचे हैं। इससे आगे वे राजसमंद, चित्तौड़ सहित राजस्थान के भी कई शहरों में अपनी बात रखेंगे। उन्होंने अपनी यात्रा को ‘एनर्जी स्वराज यात्रा’ का नाम दिया है। उन्होंने यात्रा के लिए एक बस को ही घर का रूप दिया है और उसमें बिजली की आवश्यकता सौर ऊर्जा से ही पूरी हो रही है। चूंकि, बैटरी से चलने वाली बस की सहज उपलब्धता नहीं होने के कारण सामान्य बस का ही उन्होंने उपयोग किया। खाना पकाना, टीवी, एसी, गीजर, चार्जर, रोशनी आदि के लिए बिजली की उपलब्धता सोलर पैनल से ही हो रही है। बस में न केवल किचन व टाॅयलेट है, बल्कि स्टडी रूम, पूजा स्थल, चर्चा कक्ष भी है। खासतौर से उन्होंने पूजा स्थल पर तुलसी का पौधा भी रखा हुआ है जिसे वे पर्यावरण संरक्षण के लिए श्रेष्ठ पौधों में मानते हैं। उल्लेखनीय है कि तुलसी का पौधा भारतीय परम्परा में पूजनीय है और वैज्ञानिक और चिकित्सकीय दृष्टिकोण से तुलसी में कई विशेष गुण हैं। उदयपुर के विद्या भवन परिसर में अपनी बस में ही ठहरे प्रो. सोलंकी कहते हैं कि हमें सोल्यूशन का हिस्सा बनना चाहिए, पोल्यूशन का नहीं। हम लोग शाॅर्ट टर्म में जी रहे हैं। आज जरूरत पड़ी तो एसी लगा लिया, लेकिन यह नहीं सोचा कि आने वाली पीढ़ी तक धरती का औसत तापमान कितना हो जाएगा। मानव ही इस धरती का दुश्मन बन बैठा है। उन्होंने कहा कि आने वाले छह साल में धरती के औसत तापमान में डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो जाएगी। धरती के शुद्ध और सात्विक वातावरण को मानव ने ही दूषित किया है तो इसे सुधारने की जिम्मेदारी भी मानव की ही है। कोई बाहरी ग्रह से नहीं आएगा हमारा पर्यावरण सुधारने। आम आदमी के लिए सोलर प्लांट के महंगा होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बिजली कितनी सब्सिडी के बाद लोगों तक पहुंच रही है, यदि बिजली उत्पादन की मूल लागत लोगों से वसूलनी शुरू की जाए तो उन्हें पता चलेगा कि सोलर प्लांट कितना सस्ता है। यह भी सही है कि पांच साल के लिए आने वाली सरकारों के लिए मूल लागत वसूलना संभव नहीं है, लेकिन सरकार कम से कम मूल लागत बता तो सकती है और नागरिकों से अपनी बिजली खुद पैदा करने के लिए जागरूक कर सकती है। यही उनकी ‘एनर्जी स्वराज यात्रा’ का उद्देश्य है। प्रो. सोलंकी ने प्रण लिया है कि वे 11 साल तक अपने मोबाइल सोलर घर में रहते हुए एनर्जी स्वराज पर जनजागरण करेंगे। इसके लिए उन्होंने किसी भी सरकारी तंत्र से आर्थिक सहायता नहीं ली है। उन्हें कुछ समय पहले आईट्रिपलई की एक प्रतिस्पर्धा में एक लाख डाॅलर का अवार्ड मिला था, इसी राशि को उन्होंने फाउंडेशन बनाकर एनर्जी स्वराज के जनजागरण में उपयोग करने का निर्णय किया है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप/रामानुज-hindusthansamachar.in

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