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कृषि से जुड़े रिसर्च और टेक्नॉलॉजी स्कूली पाठयक्रम का हिस्सा बनें : पीएम मोदी

नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आजादी के इस अमृतकाल में हमें कृषि से जुड़े आधुनिक विज्ञान को गांव-गांव, घर-घर तक पहुंचाना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके लिए कुछ बड़े कदम उठाए गए हैं। हमें अब कोशिश करनी है कि मिडिल स्कूल लेवल तक कृषि से जुड़े रिसर्च और टेक्नॉलॉजी हमारे स्कूली पाठयक्रम का भी हिस्सा बनें। मोदी ने मंगलवार को जलवायु अनुकूल फसलों की 35 किस्मों को लॉन्च करने के लिए एक आभासी कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्कूलों के स्तर पर ही हमारे विद्यार्थियों के पास ये विकल्प हो कि वो कृषि को करियर के रूप में चुनने के लिए खुद को तैयार कर सकें। पीएम मोदी ने कहा कि बीज से लेकर बाजार तक का जो पूरा इकोसिस्टम है, देश उसे जो तैयार कर रहा है, उसे हमें लगातार आधुनिक बनाते रहना है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, डेटा एनालिटिक्स और ब्लॉक चेन टेक्नॉलॉजी, डिमांड और सप्लाई से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने में बहुत मदद कर सकती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ऐसे इनोवेशन ऐसे स्टार्सअप को प्रमोट करना है जो इन तकनीकों को गांव-गांव तक पहुंचा सकें। देश का हर किसान, विशेषरूप से छोटा किसान, इन नए उपकरणों, नई टेक्नॉलॉजी का उपयोग करेगा, तो कृषि सेक्टर में बड़े परिवर्तन आएंगे। किसानों को कम दाम में आधुनिक टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराने वाले स्टार्सअप के लिए भी ये बेहतरीन अवसर है। मैं देश के युवाओं से इस अवसर का लाभ उठाने का आग्रह करूंगा। गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बीते दिनों आत्मनिर्भर भारत से संबंधित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ²ष्टिकोण के बारे में यूजीसी व अन्य अधिकारियों से चर्चा की है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक देश की एकता और अखंडता के लिए भारतीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन भी महत्वपूर्ण है। इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारतीय भाषाओं की ओर उचित ध्यान नहीं दिया गया है और उनकी देखभाल सही तरीके से नहीं की गई है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक देश ने पिछले 50 वर्षों में 220 से अधिक भाषाओं को खो दिया है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय भाषाओं के पठन और पाठन को हर स्तर पर स्कूली और उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने की जरूरत है। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने मातृभाषा में सीखने के लाभों जैसे कि आलोचनात्मक सोच विकसित करने, ज्ञान प्रणाली की बेहतर समझ का निर्माण करने की बात कही है। --आईएएनएस जीसीबी/एएनएम

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