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असम व पूर्वोत्तर देश की जीडीपी में सबसे बड़ा सहभागी बनेगा: अमित शाह

नगांव (असम), 25 फरवरी (हि.स.)। आज का दिन असम के लिए बहुत सौभाग्य का दिन है। इस पवित्र भूमि पर भृगु गिरी महाराज ने विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना की जो कल्पना की थी, वह आज साकार हो रही है। नगांव (असम) के महामृत्युंजय मंदिर में 126 फीट ऊंचे शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा होने से आज उनका संकल्प पूरा हो गया है। मैं महादेव से सभी देशवासियों के उत्तम स्वास्थ्य व खुशहाली की प्रार्थना करता हूं। ये बातें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को असम दौरे पर नगांव जिला के पुनरीगोदाम इलाके के भेरभेरी में वर्ष 2003 से निर्माणाधीन विश्व के सबसे बड़े लिंगकार महा मृत्युंजय मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेते हुए कही। पूजा-अर्चना में हिस्सा लेने के बाद अमित शाह मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, वित्त आदि मामलों के मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत कुमार दास को मैं इस कार्य के लिए बधाई देना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि पुराणों की बातों को मानें तो इसी भूमि पर दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने महामृत्युंजय विद्या का आविष्कार किया था। उसी भूमि पर आज लगभग 126 फीट ऊंचे शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा हो रही है। उन्होंने कहा कि बहुत तीर्थाटन करने के बाद भृगु गिरी जी महाराज ने इस स्थान को चुना था। यहीं पर उन्होंने महामृत्युंजय मंदिर के निर्माण की कल्पना की थी। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि इस पवित्र भूमि पर इस संकल्प के पूर्ण होते ही असम फिर से एक बार विकास के रास्ते पर चल पड़ेगा। जो असम आंदोलनों के लिए, हथियारों और हिंसा के लिए जाना जाता था, वह अब विकास के लिए, औद्योगिक विकास, शिक्षा, पर्यटन के लिए जाना जाएगा। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में असम के मुख्यमंत्री और हिमंत विश्वशर्मा ने पांच साल में नए युग की शुरुआत की है, यह पहला पड़ाव है। अभी असम को हमें भ्रष्टाचार मुक्त, घुसपैठियों से मुक्त, हिंसा से मुक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि असम और समूचे उत्तर पूर्व को देश का सबसे बड़ा जीडीपी सहभागी भी बनाना है। आज इस पवित्र स्थान पर एक महान आत्मा के संकल्प की पूर्ति हुई है। मुझे विश्वास है कि वैष्णव और शैव परंपरा दोनों का असम बहुत अच्छे से निर्वहन करता रहा है। आज यहां पर इस शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा होने से निश्चित ही हम पर असम पर भगवान शिव का आशीर्वाद होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तर पूर्व और असम देश का सबसे बड़ा जीडीपी सहभागी बनेगा। मैं इसके लिए समूचे असम की जनता को दिल से बधाई देना चाहता हूं। उल्लेखनीय है कि मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2003 में आरंभ हुआ था। 22 से 27 फरवरी तक मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा है। इस समारोह को संचालित करने के लिए तमिलनाडु से लगभग 250 से अधिक विद्वान ब्राह्मण हवन व पूजन के कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित करने में जुटे हुए हैं। साथ ही 108 यंज्ञ कुंडों के जरिए एक विशाल यज्ञ भी आयोजित किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/सुनीत

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