Army itself developed the first indigenous machine pistol
Army itself developed the first indigenous machine pistol

सेना ने खुद विकसित की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल

- महज चार माह में विकसित 9 एमएम की पिस्तौल का नाम रखा गया 'अस्सी' - 50 हजार लागत की पिस्तौल सेना तथा अर्धसैनिक बलों में शामिल की जाएगी सुनीत निगम नई दिल्ली, 14 जनवरी (हि.स.) । भारतीय सेना ने खुद डीआरडीओ के सहयोग से भारत की पहली स्वदेशी 9 एमएम की मशीन पिस्तौल विकसित की है। महज चार माह में विकसित की गई इस पिस्तौल का नाम ‘अस्मी’ रखा गया है जिसका अर्थ गर्व, आत्मसम्मान तथा कठिन परिश्रम है। सेना प्रवक्ता के अनुसार इस हथियार का डिजाइन और विकास कार्य इंफ्रेंटरी स्कूल, महोव तथा डीआरडीओ के आर्मामेन्ट रिसर्च एंड डवलेपमेंट स्टैब्लिशमेंट (एआरडीई), पुणे ने अपनी विशेषज्ञताओं का उपयोग करते हुए किया है। यह हथियार 4 महीने के रिकार्ड समय में विकसित किया गया है। इस पिस्तौल का ऊपरी रिसीवर एयरक्राफ्ट ग्रेड एलुमिनियम से तथा निचला रिसीवर कार्बन फाइबर से बना है। ट्रिगर सहित इसके विभिन्न भागों की डिजाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग में 3डी प्रिटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है। सशस्त्र बलों में हेवी वेपन डिटेंचमेंट, कमांडरों, टैंक तथा विमानकर्मियों ड्राइवर, डिस्पैच राइडरों, रेडियो, राडार ऑपरेटरों, नजदीकी लड़ाई, चरमपंथ विरोधी तथा आतंकवाद रोधी कार्यवाइयों में व्यक्तिगत हथियार के रूप में इसकी क्षमता काफी अधिक है। इसका इस्तेमाल केंद्रीय तथा राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटियों तथा पुलिसिंग में किया जा सकता है। प्रत्येक मशीन पिस्तौल की उत्पादन लागत 50 हजार रुपये के अंदर है और इसके निर्यात की संभावना भी है। प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर' भारत के विजन को ध्यान में रखते हुए यह कदम आत्मनिर्भरता के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। इसे सेना तथा अर्धसैनिक बलों में तेजी से शामिल किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in