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अलीगढ़ : जेएनएमसी में मरीजों के शरीर में छूटे सर्जिकल स्पंज को हटाने में मिली कामयाबी

अलीगढ़, 27 नवंबर (आईएएनएस)। आम तौर पर कुछ खाने से पेट फूलने और पेट खराब होने की समस्या हो जाती है, लेकिन अलीगढ़ में तीन रोगियों के लिए ये लक्षण सर्जिकल त्रुटियों के परिणाम के रूप में सामने आए। उन्होंने जिने अस्पतालों में ऑपरेशन कराया था, वहां के सर्जनों ने उनके शरीर के अंदर सर्जिकल स्पंज छोड़ दिया था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) अस्पताल के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष अफजल अनीस के नेतृत्व में सर्जनों की एक टीम ने तीन रोगियों के शरीर के अंदर गलती से छोड़ दिए गए सर्जिकल स्पंज को सफलतापूर्वक बाहर निकाल दिया। अनीस के अनुसार, इनमें से दो रोगियों के शरीर में निजी चिकित्सकों द्वारा किए गए कोलेसिस्टेक्टोमी रिसेक्शन के बाद कई दिनों तक स्पंज बचे थे, जबकि एक के पास एक अवर चिकित्सा केंद्र में हिस्टेरेक्टॉमी प्रक्रिया के बाद महीनों तक श्रोणि में एक कपास स्पंज था। डॉ. अनीस ने कहा, इन मरीजों के शरीर में कई दिनों तक स्पंज पड़े रहे। वे बुखार, उल्टी और दर्द से पीड़ित हो गए। सीटी स्कैन के साथ उनकी जांच की गई, जिसमें गॉसिपिबोमा के केस का पता चला। शरीर को खोलने पर अंदर स्पंज पाया गया, जिसे हटा दिया गया। स्पंज के कारण डुओडेनम की दीवार को गंभीर क्षति पहुंची। ऐसा निजी चिकित्सकों द्वारा लापरवाही से की गई सर्जरी के कारण हुआ। हालांकि, हम बिलरोथ-द्वितीय शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के माध्यम से क्षतिग्रस्त परत को ठीक करने और गैंगरेनस का उत्पादन करने में कामयाब रहे। उन्होंने बताया कि तीसरे रोगी के श्रोणि में कपास स्पंज छूट गया था, जिस कारण हुए संक्रमण के बाद उसे महीनों तक शौच में कठिनाई का सामना करना पड़ा। एक सीईसीटी स्कैन के बाद, रेक्टोसिग्मोइडेक्टोमी प्रक्रिया की गई और एक स्टेपलिंग डिवाइस के साथ खोखले विसरा की निरंतरता को बहाल किया गया। ठीक होने पर रोगी को छुट्टी दे दी गई है। उन्होंने कहा, यह चौंकाने वाली बात है कि इस तरह की गंभीर त्रुटियां अभी भी कुछ निजी अस्पतालों में हो रही हैं, भले ही हमारे पास डब्ल्यूएचओ सर्जिकल सुरक्षा चेकलिस्ट है, जिसे प्रतिकूल घटनाओं को कम करने के लिए व्यापक परामर्श के बाद विकसित किया गया है। इस तरह की लापरवाही मरीज में दर्द, संक्रमण, अंगक्षति और यहां तक कि मौत का कारण बन सकती है। अनीस ने कहा कि ऐसे हादसों से बचने के लिए मरीजों को अत्याधुनिक सुविधाओं वाले डॉक्टरों और सरकारी अस्पतालों तक पहुंचना चाहिए। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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