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​​एयर मार्शल ने स्वदेशी मिसाइलों और हथियार प्रणालियों पर दिया जोर

- वायुसेना में जल्द शामिल होने वाली एमआरएसएएम मिसाइल प्रणाली देखी - दो दिन के दौरे में डीआरडीओ की परियोजनाओं के बारे में भी ली जानकारी सुनीत निगम नई दिल्ली, 22 जनवरी (हि.स.)। वायुसेना के एयर मार्शल एचएस अरोड़ा ने अपने दो दिवसीय हैदराबाद के दौरे में कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर, डीआरडीओ के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स और वायु सेना अकादमी का दौरा किया। इस दौरान एयर मार्शल ने मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (एमआरएसएएम) की समीक्षा की, जिसे जल्द ही वायुसेना में शामिल किया जाना है। उन्होंने मिसाइलों और हथियार प्रणालियों के स्वदेशी और मिशन मोड विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। अपने दौरे के आखिरी दिन शुक्रवार को वायु सेना स्टेशन, बेगमपेट में पहुंचने पर एयर मार्शल अरोड़ा का स्वागत कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर के कमांडेंट ने किया और उन्हें सीएडब्ल्यू में आयोजित किए जाने वाले विभिन्न पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी दी।उन्होंने कॉलेज के अधिकारियों से प्रतिष्ठित हायर एयर कमांड कोर्स (एचएसीए) के पाठ्यक्रम के बारे में बात की। एयर मार्शल ने डीआरडीओ के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स का दौरा किया। उन्होंने विशिष्ट वैज्ञानिक एमएसआर प्रसाद, मिसाइल और रणनीतिक प्रणाली के महानिदेशक दशरथ राम, डीआरडीएल के निदेशक और आरसीआई के निदेशक बीएचवीएस नारायण मूर्ति से मुलाक़ात करके वायुसेना से संबंधित डीआरडीओ की परियोजनाओं पर प्रगति के बारे में जानकारी ली। एयर मार्शल अरोड़ा ने अपनी यात्रा के दौरान आरसीआई के विभिन्न प्रौद्योगिकी केंद्रों में जाकर मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की समीक्षा की, जिसे जल्द ही भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाना है। इस बारे में उन्होंने आरसीआई और डीआरडीएल के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की। उन्होंने मिसाइलों और हथियार प्रणालियों के स्वदेशी और मिशन मोड विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों के लिए भारतीय वायुसेना की ओर से पूर्ण सहयोग और समर्थन का आश्वासन भी दिया। वायु सेना अकादमी पहुंचने पर कमांडेंट एयर मार्शल आईपी विपिन ने एयर मार्शल अरोड़ा का स्वागत किया और उन्हें अकादमी में शुरू की जा रही प्रशिक्षण गतिविधियों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने वायु सेना अकादमी में विकसित की जा रही विभिन्न महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजनाओं का निरीक्षण करके समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने पिलाटस पीसी-7 ट्रेनर एयरक्राफ्ट और हॉक एयरक्राफ्ट पर उड़ान भी भरी। पिलाटस पीसी-7 ट्रेनर और हॉक विमानों ने भारतीय वायु सेना में पायलटों के उड़ान प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया है। हॉक विमान का उपयोग भारतीय वायुसेना के लड़ाकू पायलटों को प्रशिक्षण देने के अलावा वायुसेना की एरोबेटिक टीम 'सूर्य किरण' द्वारा भी किया जाता है। एयर मार्शल ने युवा कैडेटों को पेशेवर सक्षम सैन्य अधिकारियों में बदलने की प्रक्रिया में अधिकारियों और वायु सेना अकादमी के एयरमेन की कड़ी मेहनत और ईमानदारी से काम करने की सराहना की। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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