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उत्तर प्रदेश के बाद अब मरुधरा में हाइवे पर फाइटर प्लेन उतारने की तैयारी

- फाइटर प्लेन उतारने के लिए 3 किमी. लंबी हवाई पट्टी तैयार की गई - ट्रायल के लिए सेना ने प्रशासन के उच्च अधिकारियों से मांगी अनुमति जालोर, 22 जून (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के आगरा एक्सप्रेसवे पर फाइटर प्लेन उतारने के बाद अब राजस्थान के मरुधरा को इसके लिए तैयार किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत जालोर जिले के अगड़ावा गांव में एनएच-925ए पर फाइटर प्लेन उतारने के लिए 3 किमी. लंबी हवाई पट्टी तैयार की गई है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अब जल्द ही इस हवाई पट्टी पर फाइटर प्लेन उतारने का ट्रायल किया जाएगा। इसके लिए सेना की ओर से प्रशासन के उच्च अधिकारियों से अनुमति मांगी गई है। गांधव-सांता 60 किलोमीटर मार्ग के अंतर्गत इस हिस्से में हवाई पट्टी का निर्माण किया गया है। इस हवाई पट्टी की कुल चौड़ाई 33 मीटर है, जो 3 किमी तक लंबी है। इसके बाद आगे के हिस्से में रोड 10 मीटर चौड़ाई की है। जब सेना अपना ऑपरेशन चलाएगी तो यह हिस्सा यातायात के लिए बंद कर दिया जाएगा और केवल फाइटर विमान की लैंडिंग होगी। इस हवाई पट्टी के दोनों हिस्सों पर फेंसिंग भी की गई है। साथ ही, इसके लिए सर्विस रोड भी बनाई गई है। जब सेना का ऑपरेशन होगा तो वाहन हवाई पट्टी के पास बनी 7 मीटर सर्विस रोड से आवाजाही कर सकेंगे। सामरिक हितों और सुरक्षा के लिहाज से यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट माना जा रहा है। इस हवाई पट्टी पर आपात स्थितियों में एक साथ कई फाइटर विमान उतर सकेंगे। यह पट्टी सीधे तौर पर चितलवाना क्षेत्र के हिस्से में एक तरफ सीमावर्ती बाड़मेर जिले के लिए सामरिक महत्व का साबित होगा, तो दूसरी तरफ का हिस्सा गुजरात के कच्छ के रण और पाकिस्तान की सीमा पर चौकसी का प्वाइंट साबित होने के साथ सेना की छावनी भी साबित होगा। संभावना जताई जा रही है कि इसी माह के अंत में या फिर जुलाई माह में ट्रायल की प्रक्रिया पूरी हो सकती है। भारतमाला परियोजना के डायरेक्टर जितेन्द्र चौधरी कहते हैं कि प्रोजेक्ट के तहत इस हिस्से का काम पूरा हो चुका है। यहां फाइटर विमान लैंडिंग की टेस्टिंग होनी है। यह हिस्सा आम दिनों में वाहनों की आवाजाही के काम आएगा, लेकिन सेना के ऑपरेशन के दौरान यह हिस्सा यातायात के लिए बंद कर दिया जाएगा। एसडीएम भूपेन्द्र यादव भी पुष्टि करते हुए कहते हैं कि फाइटर प्लेन उतारने की अनुमति सेना देती है। ऐसे में परियोजना से जुड़े अधिकारी सेना से इस संबंध में संपर्क बनाए हुए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर/सुनीत

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