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योग अपनाएं, रोग भगाएं

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर विशेष योगेश कुमार गोयल विश्व स्तर पर योग को वैसे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सतत प्रयासों के चलते वर्ष 2015 में अपनाया गया था किन्तु भारत में योग का इतिहास सदियों पुराना है। माना जाता रहा है कि पृथ्वी पर सभ्यता की शुरूआत से ही योग किया जा रहा है लेकिन साक्ष्यों की बात करें तो योग करीब पांच हजार वर्ष पुरानी भारतीय परम्परा है। 2700 ईसा पूर्व वैदिक काल में और उसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं। महर्षि पतंजलि ने अभ्यास तथा वैराग्य द्वारा मन की वृत्तियों पर नियंत्रण करने को ही योग बताया था। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी योग का व्यापक उल्लेख मिलता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही अद्वेतानुभूति योग कहलाता है। इसी प्रकार भगवद्गीताबोध में वर्णित है कि दुःख-सुख, पाप-पुण्य, शत्रु-मित्र, शीत-उष्ण आदि द्वंदों से अतीतय मुक्त होकर सर्वत्र समभाव से व्यवहार करना ही योग है। भारत में योग को निरोगी रहने की करीब पांच हजार वर्ष पुरानी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो भारतीयों की जीवनचर्या का अहम हिस्सा है। सही मायनों में योग भारत के पास प्रकृति प्रदत्त ऐसी अमूल्य धरोहर है, जिसका भारत सदियों से शारीरिक और मानसिक लाभ उठाता रहा है लेकिन कालांतर में इस दुर्लभ धरोहर की अनदेखी का ही नतीजा है कि लोग तरह-तरह की बीमारियों के मकड़जाल में जकड़ते गए। स्वामी विवेकानंद ने भी अपने शिकागो सम्मेलन के भाषण में सम्पूर्ण विश्व को योग का संदेश दिया था। कुछ वर्षों पूर्व योगगुरु स्वामी रामदेव द्वारा योग विद्या को घर-घर तक पहुंचाया जा सका। देखते ही देखते सम्पूर्ण विश्व के कई देशों में लोगों ने इसे अपनाना शुरू किया। दरअसल आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में योग का महत्व कई गुना बढ़ गया है। योग न केवल कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित होता है बल्कि मानसिक तनाव को खत्म कर आत्मिक शांति भी प्रदान करता है। यही वजह है कि जिस प्रकार किसी बीमारी के इलाज के लिए आज दवा की जरूरत मानी जाती है, उसी प्रकार स्वस्थ जीवन के लिए दिनचर्या में अब योग आवश्यक माना जाता है। दरअसल यह एक ऐसी साधना, ऐसी दवा है, जो बिना किसी लागत, बगैर किसी खर्च के शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है। यह न केवल मानसिक तनाव से छुटकारा दिलाता है बल्कि मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ाकर दिनभर शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है, जिससे योग करने वाले व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यही कारण है कि अब युवाओं में भी योग की लोकप्रियता बढ़ रही है। माना गया है कि योग तथा प्राणायाम से जीवनभर दवाओं से भी ठीक न होने मधुमेह रोग का भी इलाज संभव है। यह वजन घटाने में भी सहायक माना गया है। योग की इन्हीं महत्ताओं को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा से आह्वान किया था कि दुनियाभर में प्रतिवर्ष योग दिवस मनाया जाए ताकि प्रकृति प्रदत्त भारत की इस अमूल्य पद्धति का लाभ पूरी दुनिया उठा सके और विश्वभर के लोग स्वस्थ जीवन जी सकें। उन्होंने अपने आह्वान में कहा था कि भारत के लिए प्रकृति का सम्मान अध्यात्म का अनिवार्य हिस्सा है। यह भारत के बेहद गर्व भरी उपलब्धि रही कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री के इस प्रस्ताव के महज तीन माह के भीतर 177 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के प्रस्ताव पर स्वीकृति की मोहर लगा दी, जिसके उपरांत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसम्बर 2014 को घोषणा कर दी गई कि प्रतिवर्ष 21 जून का दिन दुनियाभर में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। 21 जून 2015 को सम्पूर्ण विश्व में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों के चलते दुनिया भर में लोगों के गिरते स्वास्थ्य की समस्या से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को अंगीकृत करने हेतु विश्व के तमाम देशों के नेताओं से आह्वान किया था और इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी राष्ट्र द्वारा दिए गए प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 90 दिनों से भी कम अवधि में लागू कर दिया गया हो। उस समय संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम के. कुटेसा ने कहा भी था कि इस प्रस्ताव को इतने सारे देशों द्वारा समर्थन देने से स्पष्ट है कि लोग योग के फायदों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। वर्ष 2015 में मनाए गए पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम थी ‘सामंजस्य और शांति के लिए योग’। 2016 के योग दिवस की थीम ‘युवाओं को जोड़ें’, 2017 की थीम ‘स्वास्थ्य के लिए योग’, 2018 में ‘शांति के लिए योग’, 2019 में ‘हृदय के लिए योग’, 2020 में ‘घर पर योग, परिवार के साथ योग’ और इस वर्ष योग दिवस की थीम है ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’। दरअसल आज की मानसिक तनाव भरी जीवनशैली में लोगों में हृदय संबंधी बीमारियां बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं और योग को अपनाकर मानसिक शांति प्राप्त करते हुए इस प्रकार की बीमारियों से सहजता से बचा जा सकता है। वैश्विक स्तर पर योग दिवस मनाए जाने का उद्देश्य यही है कि इसके जरिये लोगों को शारीरिक व मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें योग के माध्यम से इसका समाधन उपलब्ध कराया जाए और योग के अद्भुत व प्राकृतिक फायदों के बारे में लोगों को बताकर उन्हें योगाभ्यास के जरिये प्रकृति से जोड़ा जा सका, जिससे समूचे विश्व में चुनौतीपूर्ण बीमारियों की दर घटाने में अपेक्षित सफलता मिल सके। लोगों के बीच वैश्विक समन्वय मजबूत करने में भी योग सहायक भूमिका निभा सकता है। दुनियाभर के 170 से भी ज्यादा देश अब प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाते हैं और योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का संकल्प लेते हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के लिए 21 जून का ही दिन निर्धारित किए जाने की भी खास वजह रही। दरअसल यह दिन उत्तरी गोलार्ध का पूरे कैलेंडर वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ‘ग्रीष्म संक्रांति’ भी कहा जाता है। इस दिन प्रकृति, सूर्य तथा उसका तेज सर्वाधिक प्रभावी रहता है और भारतीय संस्कृति के नजरिये से देखें तो ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है तथा यह समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में अत्यंत लाभकारी माना गया है। ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर ही दुनियाभर में मनाया जाता है, यही कारण है कि प्रधानमंत्री की अगुवाई में ही इस दिन भारत में विशेष आयोजन किया जाता रहा है। पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उनके नेतृत्व में हजारों लोगों तथा कुल 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे। उस दौरान 35985 लोगों के साथ ‘सबसे बड़ी योग कक्षा’ तथा 84 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने के दो विश्व रिकॉर्ड भी गिनीज बुक में दर्ज हुए थे। 21 जून 2016 को चंडीगढ़ में आयोजित दूसरे योग दिवस के अवसर पर भी मोदी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने योग आसन किए। 2017 में तीसरे योग दिवस के अवसर पर उनके नेतृत्व में लखनऊ में आयोजित विशाल कार्यक्रम में 51 हजार लोगों ने भाग लिया था। 2018 में देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान में आयोजित योग कार्यक्रम में करीब 60 हजार लोगों ने योग साधना की थी। 2019 में योग दिवस का मुख्य कार्यक्रम झारखण्ड की राजधानी रांची में आयोजित किया गया था, जहां प्रधानमंत्री के साथ करीब 35 हजार लोगों ने योग साधना की थी, जिनमें करीब चार हजार स्कूली बच्चे भी शामिल रहे। हालांकि पिछले साल से कोरोना महामारी के चलते अधिक से अधिक संख्या में लोगों को इस दिन घर में ही योग करने को प्रेरित किया जा रहा है। बहरहाल, योग से न केवल मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है बल्कि इससे मांसपेशियों में लचीलापन आता है, शरीर मजबूत बनता है, तनाव और अवसाद दूर होता है, रीढ़ की हड्डी सीधी होती है तथा पीठ दर्द में बहुत आराम मिलता है। इसके अलावा लगभग सभी गंभीर बीमारियों में योग के चमत्कारिक प्रभाव देखे गए हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी अब योग के महत्व को स्वीकारने लगा है। इसलिए स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने तथा रोगों को दूर भगाने के लिए जरूरी है कि योग को अपनी दिनचर्या का अटूट हिस्सा बनाया जाए। (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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