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आप नेताओं ने पीएम मोदी से की अपील, किसान नेताओं के साथ शुरू करें बातचीत

चंडीगढ़, 22 मई (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) के पंजाब अध्यक्ष भगवंत मान और दिल्ली से पार्टी विधायक राघव चड्ढा ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का अनुरोध किया है, जो पिछले छह महीने से कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। मोदी को लिखे पत्र में, लोकसभा सांसद भगवंत मान और विधायक चड्ढा ने कहा कि पंजाब के साथ ही कई अन्य राज्यों के किसान केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर पिछले छह महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के दौरान किसानों ने अब तक अपने 470 साथियों को खो दिया है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक है। आप नेताओं ने कहा कि हालांकि समस्या का समाधान निकालने के लिए किसान प्रतिनिधियों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। उन्होंने कहा, सरकार ने 22 जनवरी से किसानों के साथ बातचीत करने का कोई प्रयास नहीं किया है, जो किसानों और देश के हित में नहीं है। आप नेताओं ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं और कृषि के बिना इस देश की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि मौजूदा कोविड महामारी के दौरान कृषि को छोड़कर सभी क्षेत्रों में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा, कृषि क्षेत्र की मजबूती के साथ, पंजाब और देश के बाकी हिस्सों का ग्रामीण बुनियादी ढांचा बच गया है। आप नेताओं ने कहा कि कोरोना काल के दौरान देश में खेती सेक्टर ही ऐसा सेक्टर है, जहां पैदावार में कोई कमी नहीं आई। यह पूरी तरह से पॉजिटिव रहा है। जबकि कई दूसरे सेक्टरों की हालत पतली हो रही है। उन्होंने कहा कि देश की रीढ़ की हड्डी किसान है। वे अपनी जान जोखिम में डाल कर दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए उनकी बातों को पीएम मोदी को सुनना चाहिए। उन्होंने पत्र में कहा, अपने भविष्य को लेकर चिंतित देश के बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं सहित देश के किसान अपना घर छोड़कर दिल्ली की सीमाओं पर बस गए हैं, जो मानवाधिकारों के भी खिलाफ है। आप नेताओं ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को लिखा कि, अब किसान नेताओं ने एक बार फिर बातचीत का आह्वान किया है, प्रधानमंत्री को भी विनम्रता और उदारता के साथ निमंत्रण को स्वीकार करना चाहिए और स्थायी रूप से हल करते हुए इस मुद्दे पर बातचीत फिर से शुरू करनी चाहिए। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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