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पूरे विश्व में एक ऐसा मंदिर जहां महाकाली पूजी जाती है कृष्ण स्वरूप में, लगाया जाता तुलसीदल भोग

- नए-नए चमत्कार दिखा रही है रोजाना रंगेश्वर महादेव की आद्धिशक्ति मां रगेश्वरी महाकाली - विदेशों से भी मनौती पूरी होने के बाद यहां पोशाक चढ़ाने आते हैं श्रद्धालु - श्री मां रंगेश्वरी महाकाली देवी भक्त मंडल 13 फरवरी को मनाने जा रहा है 26वां प्राकट्योत्सव मथुरा, 11 फरवरी(हि.स.)। मथुरा योगीराज श्रीकृष्ण की नगरी के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में जन्म लिया था और बालकृष्ण और बलदाऊ ने कंस का वध किया था और वहां रंग रंग कहकर जमीन फाड़कर प्रकट हुए रंगेश्वर महादेव ने दोनों भाईयों का विवाद समाप्त किया था। उन्हीं की आद्धिशक्ति मां रंगेश्वरी महाकाली आज भी रोजाना ऐसे ऐसे चमत्कार दिखा रही है, उनके दरबार में एक दीपक जलाकर भक्त अपनी सभी मनोकामना पूर्ण करवा लेते है। यह बात हम नहीं वहां आने वाले देशी-विदेशी श्रद्धालु कहते है। यह विश्व में एक ऐसा मंदिर है जहां दुर्गा काली मां श्रीकृष्ण के स्वरूप में पूजी जाती है, यहां रंगेश्वरी महाकाली पर तुलसी की माला पहनाई जाती है और तुलसीदल का भोग लगाया जाता है। उन्हीं का स्थापना महोत्सव माघ शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्र के द्वितीय तिथि को श्री मां रंगेश्वरी महाकाली देवी भक्त मंडल पिछले 26 वर्षों से मनाता चला आ रहा है। समाजसेवी माईदास अशोक कुमार गुप्ता और कन्हैयालाल अग्रवाल ने बताया कि यह उत्सव पिछले 26 वर्षों से लगातार यहां मनाया जा रहा है। रंगेश्वर काली मूर्ति का इतिहास- महादेव की मूर्ति लेने गए जयपुर, भूलवश महाकाली में हुई तब्दील मूर्ति आज से 26 वर्ष पूर्व समाजसेवी अशोक कुमार गुप्ता माईदास तथा उनके बड़े भाई कैलाश चंद गुप्ता और कन्हैयालाल अग्रवाल ने बकायेदार से रूपयो मांगे न देने पर महादेव मंदिर में रखने की बात कही थी, जब बकायेदार ने रूपये मंदिर में रख दिए तो डूबे हुई रकम पाने के बाद उन्होंने निर्णय लिया रंगेश्वर महादेव मंदिर की अमानत है, यहां महादेव जी की मूर्ति लाकर स्थापित की जाए। जब जयपुर से महादेव की मूर्ति लाई गई थी जो भूलवश काली की प्रतिमा में तब्दील हो गई थी, जिसे समाजसेवी कैलाश चंद गुप्ता और अशोक कुमार गुप्ता माईदास ने अपने घर पर रख लिया था, मूर्ति घर पर रखने के बाद अशोक कुमार गुप्ता को वह मूर्ति चमत्कार दिखाने लगी, जो वह कहते वह सत्य होने लगा। घर परिवार वाले उन्हें पागल कहने लगे। उसी समय समाजसेवी अशोक के भतीजे राजू के मकान में आग लग गई और पूरा घर जलकर राख हो गया जिसमें से रंगेश्वरी काली मां ने उसे बचाया। उसी समय रंगेश्वर महादेव मंदिर में कार्यरत सेवायत पुजारी को स्वप्न आया कि मुझे रंगेश्वर महादेव के पास ही स्थापित कराया जाएं। रंगेश्वर महाकाली की प्रतिमा का रंगेश्वर महादेव मंदिर में गोपालदास कैलाश चन्द फर्म, कन्हैयालाल अशोक कुमार ने माघ शुक्ला द्वितीया संवत 2051 दिनांक 01 फरवरी1995 में स्थापित करवाया गया, उसी दिन से यहां रोजाना चार पहर रंगेश्वरी महाकाली का श्रृंगार तथा आरती होती है और इस आरती में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। मान्यता बड़ी और श्रद्धालुओं की इच्छाओं की पूर्ति होने लगी। समाजसेवी माईदास अशोक कुमार गुप्ता बड़े ही भक्तिपूर्वक रविवार के दिन अपने हाथों से रंगेश्वर महाकाली देवी का श्रृंगार करते है, भजन संकीर्तन होता है, जिसमें माता की भेंटें गाई जाती है। अमृत सुख बरसाती है रंगेश्वर वाली काली, जिसका वचन न जाए खाली, दो साल पूर्व राम मंदिर निर्माण की थी घोषणा समाजसेवी अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि आज से दो साल पूर्व शारदीय नवरात्रि की नौवें नवरात्र पर आयोजित जागरण में ममतामयी रंगेश्वर महाकाली ने श्रद्धालुओं से भरे दरवार में घोषणा की थी कि अयोध्या का राम मंदिर बनेगा, कोर्ट का आदेश राम भक्तों के पक्ष में होगा, निर्विरोध बनेगा राममंदिर। ऐसी घोषणा जब उन्होंने की थी तो किसी को विश्वास नहीं हुआ था लेकिन एक मीडियाकर्मी ने इसकी कवरेज की थी। आज वर्तमान में पूरा विश्व देख रहा है कि भाजपा के कार्यकाल में राममंदिर निर्माण हो रहा है, जो रंगेश्वर महाकाली ने वचन दिया था। अमृत सुख बरसाती है रंगेश्वर वाली, जिसका वचन न जा खाली, कोई कहता मां तो कोई कह काली, हजार रूप दिखाई देते वो है रंगेश्वर वाली महाकाली रंगेश्वर महादेव ने संतुष्ट किया था कृष्ण और बलराम को, इसलिए आद्याशक्ति मां को कृष्ण काली रूप अति प्रिय सर्वशक्ति स्वरूपिणी मां जगदम्बा के प्राकट्य के पीछे करूणामयी एवं ममतामयी होना है। अपने दरवार में आशीर्वाद से दयामयी मां सभी भक्तों के कष्टों का निवारण करती है, तुलसीदल, माखन का भोग, आद्याशक्ति मां को कृष्ण काली के रूप अति प्रिय है। जगत तारिणी मां के चरणों में शिवलिंग की अद्भुत छटा के दर्शन से क्लेशों एवं चिंता दूर हो जाती है। उनके त्रिपुंड पर दीपक अपनी अखंडता से प्रकाश अलौकिक एवं अनोखी छटा बिखेरता है। ऐसा प्रतीत होता है कि त्रिपुंड गणियों से जड़ित हो, तुलसीदल द्वारा माताजी को मिठाई एवं खाने का भोग लगता है, मां कृष्ण रूप रंगेश्वरी देवी जी को तुलसीजी से अधिक प्यार है। उन्होंने एक बार सवारी आने पर स्पष्ट किया कि मेरे पति ने ही कृष्ण बलराम को कंस मारने के पश्चात संतुष्ट किया था। उन्होंने जमीन से प्रकट होकर कहा था कि हे कृष्ण तुमने छल से तो बलराम ने बल से कंस को मारा है। जिसे सुनकर दोनों भाई संतुष्ट हुए थे। इसी लिए मेरे पति रंगेश्वर महादेव और रंगेश्वरी महाकाली कृष्ण स्वरूप में यहां स्थापित है। मनौती पूरी होने पर श्रद्धालु लगाते हैं पोशाक चढ़ाने के लिए एक साल पूर्व से नम्बर समाजसेवी माईदास अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि सुख का अमृत बरसाती है रंगेश्वरी महाकाली, जिसका वचन नहीं जाता कभी खाली। इसी मान्यता को लेकर जिसकी मनौती पूरी हो जाती है वह उनको पोशाक श्रृंगार आदि चढ़ाता है, जिसको लेकर आज भी लंदन, यूके, दुबई तथा अन्य देशों में रह रहे महामाई के भक्त रंगेश्वर महाकाली को पोशाक चढ़ाने के लिए एक साल पूर्व से ही नम्बर लगाते है। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ में रहने वाली टीना आलौद से वंचित थी, आज से लेकर नौ साल पूर्व वह मंदिर पहुंची जहां उन्होंने मां के दरवार में आलौद की मनौती मांगी लेकिन उनके भाग्य में आलौद नहीं थी, लेकिन हठ लगाने पर मां ने उन्हें स्वप्न दिया कि उनकी मां को छह महीने बाद कैंसर होगा और वह मर जाएंगी उसके बाद तुम्हारे यहां कन्या के रूप में आपकी मां जन्म लेंगी। जो आज आठ वर्ष की है। ऐसे सैकड़ों चमत्कार है जिन्हें अगर बताया जाएं तो पूरा दिन निकल जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मंदिर की स्थापना के बाद रंगेश्वरी महाकाली ने प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा की तथा पूर्व विधायक प्रदीप माथुर की भी मनौती पूरी करी थी। 20 वर्षों से एक चिकित्सक भक्त रात्रि में करता उनका अलौकिक श्रृंगार - आरती मेरी मैय्या के चरण प्यारे-प्यारे, मुझे और किसी से क्या लेना : डा. रविन्द्र चाहे सर्दी की प्रकोप हो, या फिर मूसलाधार बरसात हो, या भयंकर गर्मी या फिर कोराना काल की रातें हो आज तक इनकी रात्रि की आरती होना, अलौकिक श्रृंगार होना छूटा नहीं है। इस मंदिर में सुबह मंगला आरती रंगेश्वर महादेव की आरती के बाद होती है, उसके बाद दोपहर आरती होती, उसके बाद सायंकाल तथा रात्रि साढ़े दस से साढ़े 11 बजे रंगेश्वर महाकाली की आरती होती है। रात्रि की आरती बड़े भावपूर्ण और श्रद्धाभाव से एक चिकित्सक डाक्टर द्वारा की जाती है। इसके बाद रंगेश्वर महाकाली का सोने का पालना रोजाना तैयार किया जाता है, जिसमें मखबली कपड़ा बिछाया जाता है, दूध का भोग लगाया जाता है। डाक्टर रविन्द्र जो पूरे दिन मरीजों का उपचार करने के पश्चात रात्रि नौ बजे मंदिर आते है, बड़े प्रेमभाव से मंदिर की सफाई श्रीमां रंगेश्वरी महाकाली देवी भक्त मंडल के साथ करते है, मां का अलौकिक श्रृंगार अपने हाथों से करते है, उनका कहना है कि आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं वह रंगेश्वर महाकाली की कृपा है। डाक्टर रविन्द्र ने बताया कि यह सेवा मैं 20 वर्षों से लगातार कर रहा हूं, 20 साल पहले इस मंदिर में पोछा लगाया करता था, उस समय हमारा इकलौता ढाई साल का बेटा लापता हो गया था, रिपोर्ट लिखवाईं कहीं पता नहीं चला, मैं मां रंगेश्वर वाली महाकाली का घर में दीपक जलाया तो एक अंजान महिला मेरे बच्चे को लेकर घर पहुंची, उसके बाद वह महिला कहां चली गई उसका पता नहीं चला लेकिन उसी दिन से मेरा रंगेश्वर वाली महाकाली पर अटूट विश्वास हो गया। उन्होंने मेरे जीवनकाल में कई ऐसे चमत्कार किए हैं उनका मैं बखान नहीं कर सकता हूं। पौछा लगाने को तरसते हैं बड़े बड़े समाजसेवी मंदिर में माईदास अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि रंगेश्वरी महाकाली मंदिर में सर्वप्रथम उन्होंने अभी रोजाना पोछा लगाया था लेकिन अब वहां आने वाले श्रद्धालु हमें नहीं लगाने देते, क्योंकि वहां आने वाला भक्त पर कब मईया की नजर होगी वह यहां पोछा लगा कर अपनी किस्मत खुलवा लेगा यह तो रंगेश्वरी महाकाली को ही पता है। आज भी यहां पोछा लगाने के लिए लोग तरसते है। वर्तमान में पोछा लगाने की सेवा अशोक खिलौने वाले करते है। जिनकी होलीगेट अंदर दुकान है। राज राजेश्वरी मां रंगेश्वरी वाली की शयन की अनुपम शोभा लौरी गाकर स्वर्ण मंड़ित पलंग में कराई जाती है रंगेश्वरी काली को शयन आजा आजा निन्द्रा आ जा, मईया सो जा मईया सो जा......माखन मिश्री का भोग लगाऊं, मां रंगेश्वरी देवी के मंदिर में मां के भक्त नित्यप्रति रात्रि 11 बजे मातेश्वरी के शयन की सेवा बड़े लाड़ प्यार से करते हैं इस समय महाकाली की सेवा चिकित्सक डा. रवि, दीपक रोहिला, अशोक खिलौने वाले, जोनी, कान्हा सैनी, गोपी तथा अन्य भक्तगण विधि विधान से मां का अभिषेक करते हैं, इसके पश्चात उनकी सेवा करके उनका रात्रि श्रृंगार करते हैं, इसके पश्चात स्वर्ण मंडित पलंग पर मां की दिव्य अलौकिक छवि रख उसका दिव्य आभूषणों, पुष्पों एवं वस्त्रों से अलंकृत करते हैं। रात्रि में आरती दिव्य भोग जैसे दूध, मेवा, मिठाई पानी से सेवा की जाती है। तंत्रोक्त देवी सूक्तम तथा मां की भेटों से उनकी आराधना की जाती है और ‘आ जा आ जा निन्द्रा आ जा, मईया सो जा मईया सो जा’ की लौरी गाकर उनको शयन कराई जाती है। श्रीमां रंगेश्वरी महाकाली स्थापना महोत्सव 13 फरवरी को, होंगे विविध कार्यक्रम श्री मां रंगेश्वरी महाकाली देवी भक्त मंडल के मंत्री कन्हैया लाल अग्रवाल ने बताया कि राजराजेश्वरी महामाई मां रंगेश्वरी महाकाली देवी का 26 वां स्थापना महोत्सव 13 फरवरी को रंगेश्वर मंदिर में मनाया जाएगा। जिसका कार्ष्णि गुरूशरणानंदजी महाराज के सानिध्य में इस बार रात्रि नौ बजे आयोजित जागरण का शुभारंभ मूलक पीठाधीश्वर राजेन्द्र महाराज करेंगे। उन्होंने कहा कि 13 फरवरी प्रातः 8 बजे पंचामृत अभिषेक वेद मंत्रों द्वारा किया जाएगा। 9 बजे झिलमिल चुनरी मनोरथ कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। पूर्वान्ह 11 बजे लड्डू सवामनी हवन तथा दोपहर 12 बजे हवन यज्ञ तथा दो बजे कन्या लांगुरा भोग तथा रात्रि में जागरण, छप्पन भोग भंडारा होगा जिसका कार्ष्णि गुरूशरणानंदजी महाराज के सानिध्य में इस बार रात्रि नौ बजे आयोजित जागरण का शुभारंभ मूलक पीठाधीश्वर राजेन्द्र महाराज करेंगे। कार्यक्रम अध्यक्ष अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, मंत्री कन्हैया लाल, संयोजक रामस्वरूप कसेरे, कोषाध्यक्ष अमरनाथ गोयल, निवेदक माईदास अशोक कुमार गुप्ता आदि थे। उपाध्यक्ष प्रदीप जी श्रीगुप, कपिल अग्रवाल, नीशू अग्रवाल, विभोर अग्रवाल, दीपक रौहिरा गौरांग, शोभित अग्रवाल, हिमांशु अग्रवाल। हिन्दुस्थान समाचार/महेश-hindusthansamachar.in

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