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मानव में संक्रामक रोगों में 61 प्रतिशत बीमारियां पशुजन्य – डॉ. हर्षवर्धन

- आईसीएमआर के वन हेल्थ सिमपोजियम का किया उद्घाटन नई दिल्ली, 12 अप्रैल(हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन हेल्थ गोष्ठी और कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस सिमपोजियम में उन्होंने कहा कि वन हेल्थ दृष्टिकोण से पता चलता है कि लोगों का स्वास्थ्य पशुओं के स्वास्थ्य के साथ जुड़ा है। कोरोना वायरस का संक्रमण इसका ताजा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी में जलवायु तथा भूमि के उपयोग में परिवर्तन जैसे कि वनों की कटाई से रोगों के नये अवसर बन सकते हैं। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि अब लोगों, पशुओं और पशु उत्पादों की आवाजाही बढ़ रही है, इस कारण रोग सीमाओं से पार विश्व भर में फैल सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार लोगों और पशुओं द्वारा साझा किए गए रोगों से विश्व में प्रति वर्ष 2.5 अरब बीमारी के मामले होते हैं और 27 लाख लोगों की मृत्यु होती है। मानव जीवन को प्रभावित करने वाले कुल 1415 संक्रामक रोगों में से लगभग 61 प्रतिशत यानी 868 पशुजन्य हैं। इसके अलावा उभरे या फिर से उभर रहे 177 संक्रमणों में से लगभग 73 प्रतिशत यानी 130 पशुजन्य हैं। भारत की पहचान संक्रामक पशुजन्य रोगों, दवा प्रतिरोधक और खाद्य आधारित रोगाणु के उभरने से संबंधित अधिक जोखिम के चार वैश्विक हॉट्सपॉर्ट में से एक के रूप में की गई है। वर्तमान कोविड-19 महामारी से पता चलता है कि नये रोगाणु का तेजी से प्रसार वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अधिक हो रहा है। ऐसी स्थिति में कमी लाने के लिए जैव सुरक्षा के साथ वन हेल्थ दृष्टिकोण की आवश्यकता है। नागपुर में बनेगा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वन हेल्थ केन्द्रीय मंत्री ने इस मौके पर इको-हेल्थ इनिशिएटिव्स इन इंडिया के लिए उच्च स्तरीय संचालन समिति के गठन की घोषणा की। इस समिति का सचिवालय आईसीएमआर में होगा और इसे अभी नागपुर में बनने वाले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वन हेल्थ का सहयोग मिलेगा। डॉ. हर्ष वर्धन ने इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल साइंसिज का लोकार्पण किया, जो वन हेल्थ पर केन्द्रित है। यह जर्नल देश में वन हेल्थ दृष्टिकोण को आकार देने में मार्गदर्शन देगा। इस जर्नल में वन हेल्थ के मुद्दे पर कई लेख शामिल हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ विजयालक्ष्मी

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